रविवार, 7 मई 2017

मित्रता पर ऑनलाइन वज्रपात !

वे मित्र थे।अब नहीं रहे।पिछली रात जब हम सोए थे,सब कुछ ठीक-ठाक था।यह जानकर हमने इत्मीनान की नींद ली थी कि उनके फेसबुकी दिल में अपन महफूज हैं।सुबह उठे तो देखा;ठुकराए प्रेमी के गुलदस्ते की तरह अपन उनके फेसबुकी दरवाजे पर मुरझाए पड़े हैं।दरवाजा अंदर से कसकर बंद है।धूल झाडक़र अंदर जाने की कोशिश की, तो यह जानकर दिल बैठ गया कि दरवाजा लॉक है और हम ब्लॉक !
मित्र गहरे थे इसलिए हम भी गहराई में डूब गए।भूकंप की तरह फेसबुक में ब्लॉक हो जाने का पूर्वानुमान अभी तक नहीं लग सका है।हमने तुरंत इस हादसे की खबर दूसरे मित्र से फ़ोन पर साझा की।सुनते ही वे टूट पड़े-गलती तुम्हारी है।तुम दो दिन पहले देशभक्ति और नैतिकता पर उनसे खूब बहसियाये थे।उनसे तार्किक जवाब पाने की अशिष्ट कोशिश भी की थी।अब भुगतो।पर वे तो कल तक मेरी इसी अशिष्टता के धुर प्रशंसक थे।अचानक ऐसा क्या हुआ ? ’ उदासी को फोन में टैग कर हमने मित्र की ओर सवाल उछाल दिया।मित्र तैयार थे,पलटकर बोले-पहले मैं भी चेक कर लूं कि इस वक्त उनका मित्र हूँ कि नहीं।दो मिनट बाद ही राहत की साँस लेते हुए उन्होंने बताया कि फ़िलहाल वे इस अनिष्ट से बच गए हैं।साथ ही इसके समर्थन में उन्होंने यह तर्क भी जोड़ दिया कि उनका शनि बहुत मजबूत स्थान पर बैठा हुआ है और वे खुद भी पहुँचे हुए सनीचर हैं।हम अवाक् रह गए।इस कोण से तो हमने सोचा ही नहीं संयोग से यह वाकया शनिवार को ही घटित हुआ था।शायद इसीलिए वे बच गए और हम पर गाज गिर गई। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह कि अब हमारा  क्या होगा ?इसी उधेड़बुन में दुनिया में अपनी मुँह-दिखाई के तमाम विकल्पों पर हम विचार करने लगे।


मित्र ने इसका भी फ़ौरी समाधान कर दिया।बोले-ऐसा करो,कुछ दिनों के लिए तुम भूमिगत हो जाओ।मेरा मतलब मित्रता का खाता ही बंद कर दो।इससे ब्लॉक से पड़ने वाले विपरीत प्रभाव से बचा जा सकता है।उसने तुम्हें ब्लॉक किया है,तुम सबके लिए ब्लॉक हो जाओ।’ ‘लेकिन अभी कल ही हमने साहित्य-महोत्सव की अपनी ढेरों फोटुएँ फेसबुक को समर्पित की हैं,उन पर ठीक तरह से लाइक और कमेन्ट तो जाने दो।यह मौक़ा हाथ से निकल गया तो साहित्यकार बनने की अंतिम सम्भावना भी नष्ट हो जाएगी।हम आर्तनाद कर उठे।उन्होंने हमें गहरे संकट से उबारने की कोशिश जारी रखी।कहने लगे--फिर ठीक है।अब तुम अपने अनब्लॉक होने की प्रतीक्षा करो।ऐसे लोग प्रतिक्रिया जानने के लिए ज्यादा देर तक इंतज़ार नहीं करते।किसी दूसरी पहचान से तुम्हारी गतिविधि अभी भी देख रहे होंगे।तुम्हें रणनीति बनानी होगी तभी तुम्हारी मित्रता फिर से ऐक्टिवेट हो सकती है।तुम मुझे अपना गुरू मानते हो,इसलिए इसका गुर तुम्हें बता रहा हूँ।तुम उनकी किताब पर एक झटपट-समीक्षा लिख दो।अब यह मत पूछना कि कौन-सी टाइप की।तुम इसमें कुशल हो और तुम्हारे इसी हुनर का मैं भी क़ायल हूँ।इस समीक्षा को फ़ेसबुक पर प्रसारित कर दो।फिर देखना जल्द ही तुम्हें सम्पूर्ण निर्वाण की प्राप्ति होगी।मरी हुई मित्रता संजीवनी पाकर चहक उठेगी।'


ऐसे परम शुभचिंतक मित्र से बात करने के बाद मैं काफ़ी हल्का हो गया।फेसबुक की मेरी मित्रसूची पहले ही हल्की होकर पाँच हज़ार से सीधे चार हज़ार नौ सौ निन्यान्नवे पर चुकी थी।लग रहा था जैसे एक ही कारोबारी-सत्र में निफ्टी-सूचकांक एकदम से बैठ गया हो ! उस मित्र के एक क्लिक ने मुझे शीर्ष पायदान से नीचे ढकेल दिया था।मित्रता की सारी मेमोरी एक ही बटन से डिलीट हो गई थी मैं स्मृति-शून्य हो चुका था।यह काम घुप्प अँधेरे में हुआ था।इसलिए कि अँधेरे में ट्रिगर दबाने से आत्मग्लानि की आशंका न्यूनतम होती है सारे चौर्य सॉरी शौर्य-कर्म  अंधेरे में ही किये जाते हैं।इससे नैतिकता भी बेदाग बनी रहती है।
मैं अभी इस दुर्घटना से पूरी तरह उबरा भी नहीं था कि श्रीमती जी ने पूछताछ शुरू कर दी-‘ये सुबह से क्या ब्लॉक-ब्लॉक लगाए हो ? हम तो अभी वाशरूम से आये हैं।फ्लश भी सही ढंग से काम कर रहा है।जाओ तुम भी हल्के हो लो ?’ मैंने निवेदन किया,‘भागवान मैं ऑलरेडी हल्का हो चुका हूँ।अब और अफोर्ड नहीं कर सकता।दरअसल बात यह है कि मेरे एक मित्र ने मुझे फेसबुक में ब्लॉक कर दिया है।इतना सुनते ही श्रीमती जी मुझे धिक्कारने लगीं-तुमसे एक भी काम ठीक से नहीं सधता ! एक मित्र को साधने में भी तुम सफल नहीं हो पाए।इस मुए ब्लॉक से हम पर दुखों का पहाड़ टूट सकता है।अगर यह बात खुल गई तो सामने वाला रग्घू बनिया उधारी देना बंद कर देगा।मुझे तो यही चिन्ता खाए जा रही है।

इस घोर संकट की तरफ़ हमारा ध्यान ही नहीं गया था।एक ब्लॉक ऐसे दुर्दिन भी दिखा सकता है,कभी सोचा था।बहरहाल,उनकी किताब की समीक्षा में मैं अपनी सम्भावना देखने लगा हूँ।


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