रविवार, 26 जनवरी 2025

राजधानी में वसंत

राजधानी में चुनाव हैं।मौसम सर्द से अचानक गर्म हो उठा है।वसंत के आने में भले थोड़ा वक़्त हो, पर राजधानी में इसने अभी सेएंट्रीले ली है।चुनाव के प्रभाव में नेता ही नहीं वसंत ने भी आचार-संहिता तोड़ डाली।यह उसी का प्रभाव है कि प्रदूषित राजधानी एकदम से हरिया उठी है।सब कुछ फ्री बँट रहा है।तीन दल मिलकर यह पुण्य-कर्म कर रहे हैं।कहने को तो तीनों अलग-अलग विचार के हैं पर आचार के मामले में सब मिले हुए हैं।आख़िर बात जनता के हित की है।तीनों अपने जादू के पिटारे रोज़ खोलते हैं और हवा में कई सारे तीतर-बटेर एक साथ उछाल देते हैं।पढ़ना फ्री,खाना फ्री,रहना फ्री,जाना फ्री।फ्री की बिजली,फ्री का पानी।फ्री की साँस।इतने सारेफ्रीदेखकर जनता भौंचक है।वह सोच नहीं पा रही है कि क्या ले और क्या मना करे ! वह यह भी नहीं सोच पा रही कि उसे अभी तक इसीलिए कुछ नहीं दिया गया था ताकि नेताओं को उसेफ़्रीदेने का मौक़ा मिल सके।इस फ्री के मेले में उसे फ्री का प्रदूषण भी नहीं याद रहा।यहफ्रीका चुनाव कितना मँहगा पड़ता है, इसके बारे में वह सोचना भी नहीं चाहती।यहाँ एक-दूसरे में ही नहीं तीसरे में भी प्रतियोगिता चल रही है।जो जितना ज़्यादा बाँटेगा,उतना ज़्यादा जीतेगा।इस चुनाव में जिसे सबसे कम उम्मीद है,वह सबसे ज़्यादा बाँट रहा है।जनता भले बँट जाए,नेताओं की एकता बेमिसाल है।


सभी दल भूखी और तंगहाल जनता को सब कुछ फ्री देने पर आमादा हैं, लेकिन शर्तों के साथ।सबकी सम्मिलित अपील है कि हवा में छोड़ी हुई चीज उनके कटोरों में तभी गिरेगी,जब वह उनका बटन दबाएगी।दलीय भेदभाव से उठकर तीनों दल आम जनता कोसब कुछ फ्रीपाने का पासवर्ड दे रहे हैं।उनके घोषणा-पत्र,संकल्प-पत्र में ही यह पासवर्ड लिखा हुआ है।अपने भरोसे चाचा को भी इस वसंत का लाभ मिला।उनके दरवाजे के पार से कल रात कोई तीन लिफाफे टिका गया।एक में करारे नोट,दूसरे में एक जोड़ी सुंदर जूते और तीसरे में कच्छा और बनियान का नया सेट मिला।सभी लिफाफों में हाथ से लिखा प्रेम-पत्र संलग्न था।रूपए, जूते और कच्छा-बनियान तो उन्होंने धर लिए पर उन प्रेम-पत्रों में क्या है ,यही समझने के लिए वह मेरे पास दौड़े आए। 



तीनों पत्र मजेदार थे।मुझे यह देखकर अच्छा लगा कि सभी पार्टियां अपनी परंपरा से स्नेह करती हैं ।भरोसे चाचा ने मुझे भरोसे में लेकर अपने निजी ख़त मेरे हवाले कर दिए।मैंने पहले गुलाबी लिफाफा खोला।लिफाफा बेहद आकर्षक था।चाचा ने बताया कि नोट इसी में निकले थे।पत्र क्या था,दिल की बात थी।मैंने पढ़ना शुरू किया, ‘लिखता हूँ ख़ून से,स्याही समझना।मेरी दी मदद को इंकार मत करना।आपकी सेवा के लिए ही मुझे ईमानदार होना पड़ा।आगे मौक़ा देंगे,इससे बढ़कर ईमानदारी दिखाएँगे।मेरी भेंट ईमानदारी से दी गई है।इसे अस्वीकार करने का मतलब है,आप ईमानदार नहीं हैं।सच्ची ईमानदारी है कि इस हाथ से ले,उस हाथ से दे।ईश्वर ने इसीलिए आपको दो हाथ दिए हैं।लिखा थोड़ा,समझना बहुत।


मैंने अब दूसरा ख़त उठा लिया।चाचा को भरोसा दिलाया कि पहले सब खुल जाएँ,फिर हम इनका मर्म समझा देंगे।दूसरा ख़त शानदार और बड़ा था।संदेश अंदर था।राजधानी को मेरी नहीं आपकी ज़रूरत है।मैं तब तक कुछ करने में असमर्थ हूँ,जब तक मेरे हाथ सरकारी चाबुक हो।चाबुक भी चमड़े की होनी चाहिए इसलिए मेरे जूते चमड़ी -फ्रेंडली है।यह आपके ऊपर है कि इन्हें पहनते हैं या फिर सिर पर लेते हैं।मुझे देशव्यापी सेवा का अनुभव है,इसलिए चुपचाप मेरी ही सेवा गृहण करें।लोग दूसरों पर कृपा करते हैं,आप ख़ुद पर करें।इसे जुमला समझें।धन्यवाद।


चाचा की निगाह अब तीसरे लिफ़ाफ़े की तरफ़ थी,जिसमें कच्छा और बनियान मिले थे।मैंने पत्र पढ़ना शुरू किया, ‘ मैं आपका चिर-परिचित हूँ।आपको कच्छा-बनियान पहनने लायक़ मैंने ही छोड़ा।आगे भी आपकी यह हालत बरक़रार रहे,इसके लिए मुझे ही रिचार्ज करें।दूसरे जो भी दे रहे हैं,उसमें एक बढ़ाकर दूँगा।यह कच्छा-बनियान हमेशा से आपका रहा है,आगे भी रहेगा।और एक बात।इतने सालों में हम आप को कुछ बना नहीं पाए तो आप भी मेरा क्या बिगाड़ पाए ? इसलिए पिछला सब भूलने में भलाई है।मुझे वोट देते रहेंगे,तो विकास होता रहेगा।मैं आपकी ही नहीं,आपके बच्चों की भी जिम्मेदारी लेता हूँ।क़सम से।


मैं कुछ कहता कि भरोसे चाचा बीच में ही बोल उठे, ‘यही वाला सबसे बढ़िया है।कम से कम बच्चों के लिए कच्छे-बनियान का इंतज़ाम तो नहीं करना पड़ेगा।अगला क़सम खा रहा है।साथ में कुछ और खा लेगा, मुझे क्या।बदले में मुझे बस एक वोट देना है।मेरे वोट की क़ीमत मुझे ही नहीं पता थी अब तक !’ यह कहते हुए उन्होंने तीनों पत्र कलेजे से लगा लिया।मैं खुश था कि मुझे समझाना नहीं पड़ा।



5 टिप्‍पणियां:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

वाह

Digvijay Agrawal ने कहा…

कीमती लिफाफा
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में सोमवार 27 जनवरी 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!

Onkar ने कहा…

बहुत सुंदर

Bharti Das ने कहा…

बहुत सुंदर

नूपुरं noopuram ने कहा…

करारा है ! बड़ी जोर से लगा ! ये बड़ी नाइंसाफ़ी है ! चुनाव अभी बाकी है ! : )

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