बहुत दिन हो गए थे।टीवी वालों को क्रिकेट और केजरीवाल को छोड़कर कुछ और सूझ ही नहीं रहा था।यह सब देखकर नेता जी अपच का शिकार हो गए।उनको मितली-सी आने लगी पर उसके बाहर आने का शुभ मुहूरत नहीं मिल रहा था।तभी नेता जी के मुखिया ने खुलेआम ऐलान किया कि पिछले दस महीनों में उनकी सरकार में एक भी दाग़ नहीं लग पाया है।यह सुनकर नेता जी को गहरा सदमा लगा।उनके रहते इस सरकार की यह बड़ी वाली बेइज्जती थी।दाग़ के अभाव में सरकार का किया-धरा सब शून्य हो जाता, इसलिए इस जिम्मेदारी को उन्होंने बखूबी संभाला। आखिर उनके होते दस-करोड़ी पार्टी किसी उपलब्धि से वंचित रहे,ऐसा नहीं हो सकता।
नेता जी ने मुँह में पान की गिलौरी दबाई पर पिच्च करने से पहले बयान देना नहीं भूले।बचपन से ही रंग-रोगन करने में उनकी तगड़ी रूचि रही है।सफ़ेद को काला करने में वो माहिर रहे हैं.माना जाता है कि शरीर गोरा होने पर भले ही दमकता हो पर कारनामे यदि काले हों,तभी राजनीति चमकती है।कभी किसी ने गोरे धन के बारे में कुछ सुना है ? अब तो सबकी एक ही ख्वाहिश है कि काला-धन आये तो उनके हिस्से के पन्द्रह लाख भी उजले हों जाएँ ।नेता जी खाली बैठे-बैठे उकतिया गए थे इसलिए मुखिया जी के ‘कोई दाग़ न होने‘ के जवाब में एकठो बयान दाग दिया।अब हर तरफ उन्हीं की चर्चा है।जब इस बयान को अच्छी रेटिंग मिल गई,नेता जी ने खेद प्रकट करके बता दिया कि ‘अप्रैल-फूल’ क्यों आता है ?
नेता जी ने यह भी कहा है कि यह उनकी मर्जी...उनका मुँह है वो चाहे उसमें पान का बीड़ा रखें या करैले के फ्लेवर से कुल्ला करें।उनके मुँह में कोई माइक घुसेड़कर नहीं पूछने वाला कि उनके मुँह में क्या है ! अगर कोई पूछ भी लेगा तो वे फख्र से कह सकते हैं,’इट्स माय चॉइस’।
कुछ लोग यह कहकर अफवाह फैला रहे हैं कि सरकार कुछ नहीं कर रही है। मुखिया जी जहाँ ‘मन की बात’ कहकर इस बात को गलत साबित कर रहे हैं,वहीँ उनके नेता जी बीच-बीच में ‘गन्दी-बात’ कहकर बेहाल जनता का मनोरंजन कर देते हैं।किसी ने सही कहा है कि ‘जो कुछ नहीं करते,वे कमाल करते हैं।’अब इस पर कोई सवाल उठाकर आप नया बवाल ना मचाएं।क्रिकेट और केजरीवाल की तरह यह धारावाहिक भी जल्द निपट लेगा।ऐसे सोप-ओपेरा झाग बहुत देते हैं लेकिन धुलाई करते हुए चूक जाते हैं।
नेता जी ने मुँह में पान की गिलौरी दबाई पर पिच्च करने से पहले बयान देना नहीं भूले।बचपन से ही रंग-रोगन करने में उनकी तगड़ी रूचि रही है।सफ़ेद को काला करने में वो माहिर रहे हैं.माना जाता है कि शरीर गोरा होने पर भले ही दमकता हो पर कारनामे यदि काले हों,तभी राजनीति चमकती है।कभी किसी ने गोरे धन के बारे में कुछ सुना है ? अब तो सबकी एक ही ख्वाहिश है कि काला-धन आये तो उनके हिस्से के पन्द्रह लाख भी उजले हों जाएँ ।नेता जी खाली बैठे-बैठे उकतिया गए थे इसलिए मुखिया जी के ‘कोई दाग़ न होने‘ के जवाब में एकठो बयान दाग दिया।अब हर तरफ उन्हीं की चर्चा है।जब इस बयान को अच्छी रेटिंग मिल गई,नेता जी ने खेद प्रकट करके बता दिया कि ‘अप्रैल-फूल’ क्यों आता है ?
नेता जी ने यह भी कहा है कि यह उनकी मर्जी...उनका मुँह है वो चाहे उसमें पान का बीड़ा रखें या करैले के फ्लेवर से कुल्ला करें।उनके मुँह में कोई माइक घुसेड़कर नहीं पूछने वाला कि उनके मुँह में क्या है ! अगर कोई पूछ भी लेगा तो वे फख्र से कह सकते हैं,’इट्स माय चॉइस’।
कुछ लोग यह कहकर अफवाह फैला रहे हैं कि सरकार कुछ नहीं कर रही है। मुखिया जी जहाँ ‘मन की बात’ कहकर इस बात को गलत साबित कर रहे हैं,वहीँ उनके नेता जी बीच-बीच में ‘गन्दी-बात’ कहकर बेहाल जनता का मनोरंजन कर देते हैं।किसी ने सही कहा है कि ‘जो कुछ नहीं करते,वे कमाल करते हैं।’अब इस पर कोई सवाल उठाकर आप नया बवाल ना मचाएं।क्रिकेट और केजरीवाल की तरह यह धारावाहिक भी जल्द निपट लेगा।ऐसे सोप-ओपेरा झाग बहुत देते हैं लेकिन धुलाई करते हुए चूक जाते हैं।
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