अब कोई भी खबर हैरान नहीं करती पर इधर एक दिलचस्प खबर आई है।उत्तम प्रदेश के सचिवालय की कुछ फाइलों को दो कुत्तों ने कुतर दिया।हैरानी वाली बात यह है कि इसके लिए किसी कुत्ते को न टेंडर दिया गया और न ही वह इसकी पात्रता रखता था।फ़िर भी यह अनहोनी हो गई।जाँच के आर्डर दे दिए गए हैं कि इतनी पुख्ता व्यवस्था होने के बावजूद कुत्ते आखिर फाइलों तक कैसे पहुँचे और उन्होंने किस नीयत से उन्हें कुतरा ?
इस वाकये की जाँच मुस्तैदी से होगी और होनी भी चाहिए।आखिर कुत्तों ने आदमी के काम में दखल दिया है।पुलिस ‘अमानत में खयानत’ के आरोप में कुत्तों को अदालत में घसीट सकती है।नगर निगम को सतर्क कर दिया गया है कि वह साफ़-सफ़ाई जैसे रूटीन कार्यों को छोड़कर इस आपदा में प्रशासन का सहयोग करे।हमें राज्य की पुलिस-व्यवस्था पर पूरा भरोसा है.गुम हुई भैंसों की तरह ये कुत्ते भी जल्द बरामद कर लिए जायेंगे।
यहाँ मुख्य बात यह है कि आखिर कुत्तों को फाइलें चबाने की सूझी ही क्यों ? यह काम अमूमन चूहे करते रहे हैं या ऑफिस का पुराना बाबू।चूहे या कुत्तों द्वारा फाइलें निपटाने का तरीका बिलकुल अलग है।वे अक्सर उन्हीं फाइलों को कुतरते हैं,जिनकी उपयोगिता खत्म-सी हो जाती है।जिनके न रहने से कुछ बनता-बिगड़ता नहीं है पर टेबल पर पड़ी रहने से कभी भी विस्फोटित हो सकती हैं।इसलिए उनका कुतरा जाना ही उनकी नियति है।बाबू किसी भी फाइल को यूँ ही नहीं निपटाता।उसके बनने और चलने का सारा व्यय जोड़ता है,पूरी तरह दुहता है और आगे के लिए बढ़ा देता है।यदि फ़ाइल गैर-दुधारू हुई तो उसे अन्ना(छुट्टा)छोड़ देता है।वह अपने-आप ही धूल-धूसरित होकर निपट लेती है।
सवाल फ़िर भी यही है कि कुत्तों ने ऐसा क्यों किया ? हो सकता है उन्होंने बड़ी बारीकी से सचिवालय की गतिविधियों का अध्ययन किया हो।यह भी हो सकता है कि वे इस बात का रहस्य जान गए हों कि दफ्तर में घुसा दुबला-पतला आदमी बाहर निकलकर अचानक इत्ता मोटा-ताजा कैसे हो जाता है ! इसलिए महज एक प्रयोग करने के लिए यह कदम उठाया हो.जानने वाले बताते हैं कि कुछ आदमियों ने कुत्तों के भौंकने की आवाजें सुनी थीं.कुत्तों से यहीं गडबड हो गई.ऐसे काम परम शान्ति के क्षणों में किए जाते हैं.जाँच का मुख्य विषय यही होना चाहिए।
रही बात फाइलों के कुतरे जाने की,उनको तो हर हाल में निर्वाण की गति को प्राप्त होना ही है ।
2 टिप्पणियां:
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन : द माउंटेन मैन - दशरथ मांझी में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति
एक टिप्पणी भेजें