रविवार, 19 नवंबर 2023

राजधानी में प्रदूषण

इन दिनों राजधानी फिर से चर्चा में है।पॉवर और पॉल्यूशन के कॉकटेल ने इसकी मारक-क्षमता को और बढ़ा दिया है।कहते हैं कि राजधानी का पानी सबकोसूटनहीं करता।अब हवा के ऊपर इल्ज़ाम है कि उसने राजधानी की नाक में दम कर दिया है।इसवार्षिक-पापपर सभी बुद्धिजीवी एकमत हैं,जबकि राजनैतिक जीव एक-दूसरे पर प्रदूषण उछालने पर पूर्णतः सहमत।

इस सबके बीच कल शाम राजधानी में एकप्रदूषण-युक्तचर्चा आयोजित की गई। इसमें शामिल होने का सौभाग्य आपके दोस्त को भी मिला।ख़ास बात यह रही कि इसमें सभी चर्चाकारपहुँचेहुए थे।ऐसी चर्चाएँ होते रहने का एक फ़ायदा तो यही है कि भागीदारों को निरंतर इस बात का एहसास होता है कि वे अभी भी जीवित हैं और उन्हें कोई सुनता भी है।सो तय समय से मात्र दो घंटे देरी से चर्चा शुरू हुई क्योंकि शहर में धुँध होने से उन सभी का साक्षात्कार जाम से हुआ।कृपया ग़लत समझें,यह रात वालाजामनहीं था।उसका तो राजधानी में इन दिनों सूखा पड़ा हुआ है क्योंकिफ्रीमें बाँटने वाले अभी तक जेल से हीकट्टर-पुण्यकमा रहे हैं।ऐसे में निजीपॉल्यूशन-निवारणके लिए चर्चाकारों के गिलास बेरंग ही रहे।


बहरहाल,‘ब्रांडेड-पानीके साथ बैठक शुरू हुई।इसमें साहित्य,सियासत और मीडिया सहित अलग-अलग क्षेत्रों से दिग्गज पधारे हुए थे।कुछ ने अभी भी चेहरे परनक़ाबओढ़ रखा था।कुछ ने पिछले हफ़्ते संपन्नसम्मान-समारोहमें ही इसे नोंचकर फेंक दिया था।उनका मानना था कि इससे उन्हें प्रशंसकों के समक्ष खुलकर आने में बाधा पड़ती थी।इसका लाभ भी उन्हें मिला।आधे सरकारी अकादमी में सेवादार बन गए और आधे राज्यसभा के उम्मीदवार हो गए।नक़ाब वाले अभी दुविधा में थे कि नक़ाब लगाकर प्रदूषण से बचें या इसे हटाकरससम्मानमरें ! जानकारों का मानना था कि वे भी २०२४ के आते-आते पूरी तरहखुलजाएँगे।


तभी मंच सेदीप-प्रज्वलनका आह्वान किया गया।अधिकतर लोग अपनी-अपनी माचिस साथ लाए थे,अलबत्ता इसकी नौबत नहीं आई।आयोजक के आह्वान में ही इतना ताप था किविमर्श-स्थलधधक उठा।इस बात का विशेष ध्यान रखा गया था कि भागीदारों द्वारा बैठक से पहले उड़ाया गया धुँआ घटना-स्थल तक पहुँचे।लंबे इंतज़ार में श्रोता पहले ही धुँआ हो चुके थे।वे राख में तब्दील होते,इससे पहले ही संचालक ने पहले चर्चाकार के मुँह में माइक थमा दिया।


वह सियासत को बहुत क़रीब से जानने वाले थे।हालिया प्रदूषण से वह ख़ासे प्रभावित दिखे।उठते ही सुलग उठे, ‘इस समय प्रदूषण का स्तर बेहद ख़तरनाक स्थिति में पहुँच गया है।राजधानी ही नहीं पूरा देश इसकी चपेट में है।एक राज्य के मुखिया अपने मुख से ही प्रदूषण पैदा कर रहे हैं।भरी सभा में उन्होंने संतानोत्पत्ति की पूरी प्रक्रिया का आँखों देखा हाल ही सुना डाला ! राजधानी का प्रदूषण सिर्फ़ फेफड़े ख़राब कर रहा है पर जो फैला रहे हैं,उससे हमारी पूरी पीढ़ी शर्मसार हो रही है।तिस पर उनके समर्थक कह रहे हैं कि तो केवल नई पीढ़ी कोएजुकेटकरने का काम कर रहे हैं।हम तो कहते हैं किएजूकेटही करना है तो व्हाट्सऐप पर कर डालो।अइसे तोपरदूषननहीं ना ख़तम होगा !’ इतना कहकर वह एकदम से बैठ गए।संचालक ने इसमें अपनी टीप जोड़ दी कि प्रदूषण पर हो रही चर्चा को एक दिशा मिल गई है।उम्मीद है,आगे के वक़्ता चर्चा को और समृद्ध करेंगे।


इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी मिलते ही पास बैठे साहित्य-मनीषी भरभरा उठे, ‘जब भी समाज भ्रमित हुआ है,साहित्य ने रास्ता दिखाया है।यह प्रदूषण अब गला घोंट रहा है,हम तो पिछले तीस सालों से साहित्य घोट रहे हैं।इससे सियासत को फ़र्क़ पड़ा और ही समाज को।लेकिन हमने अपनी लेखनी को रुकने नहीं दिया।मेरी सातवीं किताब प्रकाशक के पास पड़ी है।आगामी पुस्तक-मेले में इसे लॉंच करने की योजना है,पर इस धुँध के चलते यह संभावना भी धूमिल लगती है।साहित्य के लिए यह बड़ी चुनौती है कि वह हम जैसे वरिष्ठों का ख़्याल रखे।नव-लेखकों ने साहित्य को प्रदूषित कर दिया है।उन्हें प्रेमचंद और परसाई तो साफ़-साफ़ दिखते हैं पर जब हम सामने आते हैं तो इन्हें प्रदूषण दिखाई देने लगता है।यह धुँध अवश्य साफ़ होनी चाहिए।’ 


आख़िर में मीडिया से आए पहलवान ने हुंकार भरी, ‘हमारे पास ब्रेकिंग न्यूज़ है।यह चौबीसों घंटे हमारी जेब में रहती है।जब चाहें, जेब से निकाल लेते हैं।इस वक़्त की टॉप- ब्रेकिंग न्यूज़ ये हैं कि विपक्षी नेताओं के सभी ठिकानों पर चुनावी-छापे पड़े हैं,पराली का धुँआ कोर्ट तक पहुँच गया है और कृत्रिम-बारिश का बजट असली बारिश में बह गया है।रही बात प्रदूषण की,उसकी चिंता करें।हमने पुख़्ता इंतज़ाम किया है कि वह ड्राइंग-रूम से निकलकर बाहर पाए।लोग घर बैठे ही इत्मीनान की साँस ले सकें इसलिए फ़ेस्टिव-सीज़न में हम दिन भर में तीन-चार बारविश्व-युद्धकरवा ही देते हैं।इससे बड़ा फ़ायदा यह है कि जो बम बच्चों के ऊपर गिर रहे हैं,उनकोयुद्ध-रागके ज़रिएडिफ्यूजकिया जा सके।वैसे भी पटाखों से पर्याप्त प्रदूषण पैदा नहीं हो पा रहा था इसलिए बमबाज़ी इस काम को सुगम बना रही है।यह समस्या अब हमारी नहीं इंटरनेशनल है।


इतना सुनते ही संचालक ने अचानक प्रदूषण-समाप्ति की घोषणा कर दी।बैठक के बाहर आकर देखा,बादल बिना गरजे ही बरस रहे थे।


साहित्य-महोत्सव और नया वाला विमर्श

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