सुनते हैं टमाटर फिर से लाल हो गया है।कुछ लोग इसी पर लाल-पीले हो रहे हैं
।टमाटर का गुणधर्म ही लाल होना है।वह तो केवल अपना धर्म निभा रहा है।वैसे भी देश
में ‘महागठबंधन’ की सफलता की खबर उस तक पहुँच गई है।वह भी सरकार
के खिलाफ प्याज,दाल और तेल के
साथ ‘महागठबंधन’ में शामिल होना चाहता है।विकास का दौर है तो
कोई क्यों पीछे रहे ?टमाटर
विकास-यात्रा का नया राही है।
मँहगाई ऐसी-ऐसी जगहों से निकलकर आ रही है कि इसके खिलाफ मोर्चा भी नहीं बन पा
रहा है।सरकार को भी इसके लिए कुछ करने की ज़रूरत नहीं पड़ रही।कोई न कोई चीज़ उसे
राहत देने के लिए मैदान में आ जाती है।विकास की गाड़ी सरपट दौड़ रही है।बुलेट ट्रेन
आने से पहले रेल-किरायों का लेवल भी वहाँ तक आना जरूरी है ।इसीलिए हर दूसरे-तीसरे
दिन किराया अपने आप बढ़ लेता है।यात्री को किराए के तौर पर अहसास होना चाहिए कि वह
ए सी क्लास में चल रहा है,भले ही कोच
स्लीपर का हो।विकास धीरे-धीरे ही पटरी पर आएगा।इसमें समय लगेगा ।साठ साल की
पुरानी मालगाड़ी एकदम से ‘राजधानी’ की रफ़्तार नहीं पकड़ सकती।
खाने-पीने की चीज़ें मँहगी हो रही हैं,यह कहना गलत है।हमारी क्रय-शक्ति कितनी बढ़ गई है,इससे यह पता चलता है।विकास फटे-पुराने चीथड़े पहनकर नहीं
आता।वह सूटेड-बूटेड होगा,तभी उड़ता हुआ
दिखेगा।इसलिए अब विकास की दौड ‘उड़ान’ में बदल गई है।हवा में उड़ने के लिए भी तो ईंधन
चाहिए।बस,सरकार उसी का जुगाड़ कर
रही है।
टमाटर के दाम बढ़ गए हैं तो नूडल्स की तरह देसी ‘सूप’ का पाउच लाया जा
सकता है।इससे प्याज,दाल और टमाटर के ‘महागठबंधन’ की चुनौती से निपटा जा सकता है।आखिर सब कुछ सरकार ही तो
नहीं करेगी।जनता को कुछ तो छोड़ना होगा।
प्याज,दाल,तेल और टमाटर ‘सब मिले हुए हैं’।यह गठबंधन घोर अवसरवादी है।ऐसे समय में जब सरकार विकास को विदेशों से घसीटकर
लाने को कृत-संकल्प है,उसकी हौसला-अफजाई
करनी चाहिए।इसलिए टमाटर पर लाल होने से पहले यह सोचें कि यह किसकी साजिश है।तेज
भागती हुई सरकार दाल-रोटी पर चिंतन करने
लगेगी तो विकास-यात्रा क्या खाक़ होगी?
1 टिप्पणी:
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन - कवियित्री निर्मला ठाकुर जी की प्रथम पुण्यतिथि में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
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