शुक्रवार, 8 अप्रैल 2016

राष्ट्रभक्ति के लीक होने का गौरव !

वो लोग पिछड़े जमाने के थे,जो लीक बनाते थे।फिर उस पर दूसरे लोग चलते थे।अब लीक होने का समय है।इस पर लोग रश्क करते हैं।वे फ़ोर्ब्स-500 की लिस्ट से चूके तो पनामा-500 में लीक यानी प्रकट हो गए।लीक बनाने और हो जाने में बुनियादी अंतर है।लीक बनाने के लिए जहाँ लम्बे वक्त और श्रम की ज़रूरत होती है,वहीँ लीक होने के लिए केवल पैसा बनाना होता है।खासकर जब पैसा पानी की तरह बह रहा हो तो उसके लिए ‘पनामा नहर’ से उपयुक्त जलाशय दूसरा नहीं है।

बूँद-बूँद से समुद्र भरने की बात भले की गई हो पर पनामा जैसी नहरें दोनों हाथों से उलीचने के बाद भी अधभरी रह जाती हैं। देश-दुनिया के जो लोग इस नहर में डुबकी नहीं लगा पाए हैं,वे सदमे में हैं ।इस वाली सूची में उनका नाम तो होना ही चाहिए था।अंतर्राष्ट्रीय स्तर के किसी खेल में हम स्थान भले नहीं बना पाए हों,पर इसमें हम बाकी दुनिया को करारी टक्कर दे रहे हैं ।ऐसे माहौल में भी इंडिया ‘स्टैंड अप’ नहीं होगा तो कब होगा ?

लीकने का अपना इतिहास है। लीक बनाने वाले तो अहम माने जाते हैं पर लीक पर चलने वालों का कोई इतिहास नहीं होता।कहा भी गया है-लीक छाँड़ि तीनों चलैं,शायर,सिंह,सपूत।वे भारत-माता के सपूत हैं ,इसीलिए लीक छोड़ रहे हैं ।आधुनिक युग में नेता,अभिनेता और व्यापारी सभी लीकातुर हैं।अलग-अलग देश के लीकुओं ने एक साथ लीक कर वैश्विक एकता का प्रदर्शन किया है।

इस लीक के बहाने सरकार को गरीबी रेखा नापने का एक बड़ा सरल उपाय मिल गया है।अब से सरकारी सब्सिडी पाने के लिए पजामा-लीक वालों को ही योग्य माना जाएगा जबकि सरकारी लोन केवल पनामा-लीक वालों को ही उपलब्ध होगा।इससे बैंकिंग सेक्टर की दुविधा भी खत्म होगी।पजामा-लीक वाले खाते अपने यहाँ और पनामा-लीक वाले विदेशी बैंकों में सुरक्षित बने रहेंगे।

आज लीक बनाने वालों की अपेक्षा लीक होने वालों की माँग ज्यादा है।वे लीक से हट भी रहे हैं और लीक-समर्थ भी हैं।पहले लोगों के दिलों में राष्ट्रभक्ति बहती थी,अब उनके खातों से लीक हो रही है।ऐसे दुर्लभ ‘लीकुओं’ से प्रेरणा पाकर आप भी लीक होने के लिए सज्ज रहें।

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