शनिवार, 21 मई 2016

रामराज में चिंतन !

मंत्री जी ने सचिव को तलब किया।वे देश के मौजूदा हालात की समीक्षा करने के लिए बड़ी देर से बेचैन थे।सचिव ने मंत्री जी के सामने साप्ताहिक रिपोर्ट पेश की।बात कोई ख़ास नहीं थी।ले-देकर देश में कुछ समस्याएं ही बची थीं,जो माननीय मंत्री जी से बार-बार भेंट करना चाहती थीं।मंत्री जी भी अपने दायित्वों को भलीभांति समझ रहे थे।ऐसा भी नहीं कि वे किसी समस्या को नज़रन्दाज़ करते हों,इसीलिए इतनी भीषण गर्मी को अपने केबिन में अठारह डिग्री तक उतार लाए थे। मंत्री जी सामने धरी फाइलों पर अपनी कृपाफुहार डालने लगे।वे ठंडे शरीर और ठंडे दिमाग से अकाल और अराजकता पर एक साथ  चिंतन कर सकते थे।सामने खड़े सचिव से उन्होंने जवाब माँगा,‘सूखे का क्या स्कोर है फ़िलहाल ?’’

सचिव साहब अचानक सकपका गए।उनको लगा कि मंत्री जी किसी आईपीएल मैच की खुमारी में हैं।अनजान बनते हुए निवेदन करने लगे, ‘सर,सूखे के स्कोर से आपका तात्पर्य मेरी अल्पमति में नहीं चढ़ पा रहा है।कृपा करके तनिक खुलासा करें ताकि इस पर त्वरित कार्यवाही की जा सके।’ मंत्री जी सचिव की बुद्धि पर तरस खाते हुए बोले-‘मिस्टर गुप्ता,आप केवल यह बताएँ कि सूखे से पिछले सप्ताह कितने किसान देह त्यागकर हमारे राज्य से मुक्ति पा चुके हैं ? कम से कम हमें उनका शोक मनाने से तो वंचित मत करिए ।इससे हमें आपदा-कोष की सार्थकता सिद्ध करने का अवसर प्राप्त होगा और राहत-राशि भी अनाथ नहीं रहेगी !’

सचिव ने फाइल पर लिखी हुई संख्या मंत्री जी के आगे सरका दी।मंत्री जी उस पर नोट लिखने लगे-‘पिछले दिनों पानी के लिए भेजे टैंकर रुपयों से लबालब पाए गए।इससे पता चलता है कि लोगों को पानी के बजाय पैसे की अधिक तलब है।नदी-नाले भी विकास की दौड़ में हमारी बराबरी पर उतर आए हैं।उनमें भी पानी खत्म हो गया है,केवल कीचड़ बचा है।इस कारण सूखे से निपटने में भारी अड़चनें आ रही हैं।हमें और गहरे गड्ढे खोदने होंगे।किसानों की आत्महत्या पर हम बराबर चिंतित हैं।इससे हमारे वोट लगातार घट रहे हैं।बहरहाल,अकाल की मुख्य वजह यह कि डिग्री दिखाने के मौसम में सूर्यदेव भी पीछे नहीं रहना चाहते हैं।इससे निपटने के लिए हम जल्द ही सूर्य-नमस्कार अभियान में और तेजी लाएँगे।’

मंत्री जी ने यह फाइल सचिव की ओर बढ़ा दी और अगली समस्या को दूसरी फाइल में ढूँढने लगे।सचिव ने मौक़ा देखकर मंत्री जी की मदद की, ‘सर इस बार हमारे ऊपर जंगलराज का आरोप नए तरीके से लगा है।इसको काउंटर करना बहुत ज़रूरी है नहीं तो आने वाले चुनावों में हमारी संभावनाएं कम हो सकती हैं।’ मंत्री जी ऐनक साफ़ करते हुए बोले, ‘आप बिलकुल भोले हैं गुप्ता जी ! जानते भी हैं कि जंगलराज क्या होता है ? वहाँ न गगनचुम्बी इमारतें होती हैं और न ही वातानुकूलित कक्ष।जंगलराज में कोई अपराधी नहीं माना जाता,हम तो बकायदा मान रहे हैं।न कोई धरना,न प्रदर्शन।वहाँ न कोई सुनवाई होती है न समीक्षा।जबकि यहाँ हम हर हफ्ते सूखे और जंगलराज पर एक साथ चिन्तन कर रहे हैं।इस लिहाज से हम पूर्ण रामराज की ओर बढ़ रहे हैं।' ऐसा कहकर मंत्री जी जंगलराज वाली फाइल पर नोटिंग करने लगे-‘अपराधियों को हम छोड़ेंगे नहीं।कानून और व्यवस्था की हम लगातार समीक्षा करते रहेंगे।इस मुद्दे पर कानून अपना काम करेगा।हम कानून अपने हाथ में नहीं लेंगे।’

1 टिप्पणी:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

कानून अपने आप करेगा :)
अच्छा है ।

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