गुरुवार, 6 अक्तूबर 2016

ऑनलाइन सर्जिकल स्ट्राइक !

इस बार दीवाली महीने के आख़िर में है।तब तक जेब पूरी तरह फट चुकी होगी।यह बात जानते सब हैं पर समझता केवल बाजार है।यह समय न लुटने वाले के लिए मुफीद होता है न लूटने वालों के।लुटने वाले तो निरा विकल्पहीन ठहरे पर लूटने वाले अपने सभी विकल्प खुले रखते हैं।त्यौहार भले महीने की आखिरी तारीख को हो,पर पगार तो पहली को ही मिलती है।बाजार इसी पगार को ताकता है और फिर उसी हिसाब से अपना हिसाब-किताब दुरुस्त करता है।


नौकरी-पेशा लोगों की सुविधा देखते हुए अधिकतर ऑनलाइन शॉपिंग साइटों ने महीने की शुरुआत से ही अपनी दुकानें सजा ली हैं।कम्पनियों ने अख़बार और टीवी के जरिए सर्जिकल स्ट्राइक की तरह हर घर पर विज्ञापनों से हमला कर दिया है।उपभोक्ता के पास कुछ भी खरीद लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा।ताज़ी तनख्वाह पर सबसे पहला हक़ बाजार का ही बनता है।अड़ोस-पड़ोस में लगातार कुरियर वाले लड़के आते हों और आपके दरवाज़े पर भूल से भी ठक की आवाज न आए, तो सब कुछ सामान्य जैसा नहीं लगता।पता नहीं लोग क्या सोचने लग जाएं ! उनका पहला सवाल नौकरी की सलामती को लेकर ही होता है।आख़िरकार संभावित 'कड़ी निंदा' से बचने के लिए हमें भी एहतियाती इंतज़ामात उठाने पड़े।


सेल की सुबह से ही मोबाइल खोलकर बैठ गया।हर जगह एप्पल के नए फोन की बुकिंग शुरू थी।कई सालों से मन के अंदर की दबी इच्छा उभर आई।बाजार और बच्चे सातवें वेतनमान का ताना मार ही रहे थे।सोचा कि चलो ट्राइ करने में क्या जाता है ! सत्तर-अस्सी हज़ार की फिगर देखकर 'बाय नाउ' पर जाकर फिंगर हर बार अटक गई।हर साईट पर तब तक दौड़ता रहा, जब तक 'ऑउट ऑफ़ स्टॉक' की चेतावनी नहीं जारी हो गई।मन में एक संतोष मिला कि इस दफ़े ज़रूर ले लेता यदि स्टॉक खत्म न हो जाता।


आईफोन सात की वास्तविक सेल सात तारीख़ को शुरू हो रही है।समझदार बाजार ने इसके पहले ही मेगा-सेल,बिग बिलियन डे और दीवाली-धमाका जैसे कई नामों से अपनी बिक्री चालू कर दी।आईफोन पर अस्सी हजार खर्च करने के बाद दस किलो आटे की बोरी लेने के लिए दस बार सोचना पड़ता है।बाजार जानता है कि आईफोन का दीवाना तो अपनी किडनी बेचकर भी उसे खरीद सकता है। जूते,चश्मे और घड़ियों का पुराना स्टॉक इसीलिए पहले हिल्ले लगाया जा रहा है।पूरी तनख्वाह को पूर्ण रूप से निवेश करने का इससे बेहतर आइडिया और क्या हो सकता है !


इस 'दिवाला सेल' में आहुति देने के लिए आख़िरकार मेरा भी नम्बर आ गया।निजी प्रयासों से 'ऑउट ऑफ़ स्टॉक' के चलते आईफोन से बची रक़म सूट-साड़ी, मेमोरी कार्ड और पॉवर बैंक की साँठगाँठ से स्वाहा हो गई।बचे हुए हौसले से आईफोन आठ के लिए मंसूबे तो बाँधे ही जा सकते हैं।


फ़िलहाल,खरीदारी के खाली डब्बे बॉलकनी में रख लिए हैं।पता नहीं कब पड़ोसी बाजार के सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत हमसे माँग ले !

कोई टिप्पणी नहीं:

अनुभवी अंतरात्मा का रहस्योद्घाटन

एक बड़े मैदान में बड़ा - सा तंबू तना था।लोग क़तार लगाए खड़े थे।कुछ बड़ा हो रहा है , यह सोचकर हमने तंबू में घुसने की को...