दृश्य : १
लाइक:यार आओ उसकी वॉल पर टहल आते हैं।
कमेंट : मैं तो न जा रहा।उसने कई दिनों से मुझे इग्नोर किया हुआ है।
लाइक: अरे,मैं तो तेरे भले के लिए ही जा रहा हूँ।उसने जो भी लिखा होगा,लाइक करके चला आऊँगा।तभी वह हमसे मिलने आएगा।
कमेंट : तो ठीक है पर ज़्यादा देर तक टिकना मत।
दृश्य : २
लाइक : ओह,उसने आज मुझे तीन जगहों पर छुआ है।मैं तो रोमांचित हूँ।
कमेंट :सोच तो मैं भी यही रहा हूँ।पर अभी उसके झाँसे में मैं तो नहीं आऊँगा।तू ज़रा पता तो लगा,आख़िर माज़रा क्या है ?
लाइक: मैं इसमें देर नहीं लगाता।देख आया हूँ।स्साले का एक टुकड़ा ‘झुमरी तलैय्या टाइम्स’ में छपा है,इसीलिए हमें ‘टुकड़ा’ डाल रहा है।
कमेंट :देख,तुझे जाना तो पड़ेगा अब।’फ़ेसबुक-लाज’ भी कोई चीज़ होती है।वह तुझे तीन बार छू चुका है ,एक बार तू भी उसे छू आ।
लाइक:पर उसका लेखन मुझे जमता नहीं।करूँ तो क्या करूँ ? तुम्हीं चले जाओ।
कमेंट : नहीं,मेरे जाने में अड़चन है।ऐसा कर,मेरे पास एक उपाय है।तू लाइक करके थोड़ी देर तक टिका रह।जैसे भीड़ बढ़े,अपना ‘लाइक’ वापस करके चला आ।उसे पता भी नहीं चलेगा।मैं ऐसा करूँगा तो पकड़ा जाऊँगा।
दृश्य : ३
लाइक :यार,आज उसने फिर अच्छा लिखा है।
कमेंट : तू कहना क्या चाहता है ? दुनिया अच्छा लिख रही है।एक उसने लिख दिया तो क्या ?
लाइक: ये देखो,अब तो सारे वरिष्ठ भी आ गए।स्साला हिट हो गया है।अब क्या करें ?
कमेंट:ये सब सठिया गए हैं।इनकी रेटिंग न घट जाए,इसलिए ऐसा साहित्यिक-कुकृत्य कर रहे हैं।ये नहीं जानते कि वो भस्मासुर है।
लाइक: तो फिर क्या करें? हम जाएँ ?
कमेंट : न,न।ये ख़ाली तेरे बस की बात नहीं है।अब मुझे भी जाना पड़ेगा।क्या होगा,दो लाइन मार दूँगा।बातों का तो सम्पूर्ण कोश उपलब्ध है।कुछ घटेगा थोड़ी।
लाइक: पर इससे तो वह सातवें आसमान पर पहुँच जाएगा ?
कमेंट :तू चिंता मत कर।हमारा कमेंट उसके लिखे की ही तरह जलेबी जैसा गोल-मटोल होगा।
दृश्य :४
लाइक : उसने तो आज धमाका कर दिया !
कमेंट : हाँ,कमीने ने वाक़ई अच्छा लिखा है।
लाइक : फिर क्या करें,दोनों चलें ?
कमेंट : ना,ना,ना।बिलकुल नहीं।ऐसी ग़लती भी मत करना।’इग्नोर’ मार।
लाइक : तो क्या उसे ऐसे छोड़ दें ? कुछ तो योजना होगी?
कमेंट : कुछ नहीं।अपनी दीवाल ज़िन्दाबाद।उसकी स्थापनाओं के ख़िलाफ़ यहीं लिख मारूँगा।
लाइक: फिर मैं क्या करूँ ?
कमेंट : तू वहाँ-वहाँ जा,जहाँ कभी नहीं गया।उसके विरोधियों को ‘गिफ़्ट’ दे,फिर देख मेरा कमाल।
दृश्य : ५
लाइक :भई,आज तो मज़ा आ गया !
कमेंट : क्या हुआ ? किसी वरिष्ठ ने फिर छुआ क्या ?
लाइक : नहीं भाई।कल हम जिसे ‘लाइक’ कर आए थे,उसकी आज पिटाई हो रही है।
कमेंट : अच्छा ! पर इसमें तेरा क्या योगदान ?
लाइक : कुछ नहीं।मैंने उसकी ‘पिटाई’ को ‘लाइक’ कर दिया बस।तुम्हें भी जाने की ज़रूरत नहीं।
कमेंट :पर इतने से तुम इत्ता ख़ुश क्यों हो ?
लाइक: उसका दुःख जितना ज़्यादा बढ़ेगा,हमें उतनी ही मात्रा में सुख मिलेगा।
कमेंट:फिर ठीक है।आज का दिन मज़े से निपट जाएगा और ‘वो’ भी !
©संतोष त्रिवेदी
#समकालीन_व्यंग्य
लाइक:यार आओ उसकी वॉल पर टहल आते हैं।
कमेंट : मैं तो न जा रहा।उसने कई दिनों से मुझे इग्नोर किया हुआ है।
लाइक: अरे,मैं तो तेरे भले के लिए ही जा रहा हूँ।उसने जो भी लिखा होगा,लाइक करके चला आऊँगा।तभी वह हमसे मिलने आएगा।
कमेंट : तो ठीक है पर ज़्यादा देर तक टिकना मत।
दृश्य : २
लाइक : ओह,उसने आज मुझे तीन जगहों पर छुआ है।मैं तो रोमांचित हूँ।
कमेंट :सोच तो मैं भी यही रहा हूँ।पर अभी उसके झाँसे में मैं तो नहीं आऊँगा।तू ज़रा पता तो लगा,आख़िर माज़रा क्या है ?
लाइक: मैं इसमें देर नहीं लगाता।देख आया हूँ।स्साले का एक टुकड़ा ‘झुमरी तलैय्या टाइम्स’ में छपा है,इसीलिए हमें ‘टुकड़ा’ डाल रहा है।
कमेंट :देख,तुझे जाना तो पड़ेगा अब।’फ़ेसबुक-लाज’ भी कोई चीज़ होती है।वह तुझे तीन बार छू चुका है ,एक बार तू भी उसे छू आ।
लाइक:पर उसका लेखन मुझे जमता नहीं।करूँ तो क्या करूँ ? तुम्हीं चले जाओ।
कमेंट : नहीं,मेरे जाने में अड़चन है।ऐसा कर,मेरे पास एक उपाय है।तू लाइक करके थोड़ी देर तक टिका रह।जैसे भीड़ बढ़े,अपना ‘लाइक’ वापस करके चला आ।उसे पता भी नहीं चलेगा।मैं ऐसा करूँगा तो पकड़ा जाऊँगा।
दृश्य : ३
लाइक :यार,आज उसने फिर अच्छा लिखा है।
कमेंट : तू कहना क्या चाहता है ? दुनिया अच्छा लिख रही है।एक उसने लिख दिया तो क्या ?
लाइक: ये देखो,अब तो सारे वरिष्ठ भी आ गए।स्साला हिट हो गया है।अब क्या करें ?
कमेंट:ये सब सठिया गए हैं।इनकी रेटिंग न घट जाए,इसलिए ऐसा साहित्यिक-कुकृत्य कर रहे हैं।ये नहीं जानते कि वो भस्मासुर है।
लाइक: तो फिर क्या करें? हम जाएँ ?
कमेंट : न,न।ये ख़ाली तेरे बस की बात नहीं है।अब मुझे भी जाना पड़ेगा।क्या होगा,दो लाइन मार दूँगा।बातों का तो सम्पूर्ण कोश उपलब्ध है।कुछ घटेगा थोड़ी।
लाइक: पर इससे तो वह सातवें आसमान पर पहुँच जाएगा ?
कमेंट :तू चिंता मत कर।हमारा कमेंट उसके लिखे की ही तरह जलेबी जैसा गोल-मटोल होगा।
दृश्य :४
लाइक : उसने तो आज धमाका कर दिया !
कमेंट : हाँ,कमीने ने वाक़ई अच्छा लिखा है।
लाइक : फिर क्या करें,दोनों चलें ?
कमेंट : ना,ना,ना।बिलकुल नहीं।ऐसी ग़लती भी मत करना।’इग्नोर’ मार।
लाइक : तो क्या उसे ऐसे छोड़ दें ? कुछ तो योजना होगी?
कमेंट : कुछ नहीं।अपनी दीवाल ज़िन्दाबाद।उसकी स्थापनाओं के ख़िलाफ़ यहीं लिख मारूँगा।
लाइक: फिर मैं क्या करूँ ?
कमेंट : तू वहाँ-वहाँ जा,जहाँ कभी नहीं गया।उसके विरोधियों को ‘गिफ़्ट’ दे,फिर देख मेरा कमाल।
दृश्य : ५
लाइक :भई,आज तो मज़ा आ गया !
कमेंट : क्या हुआ ? किसी वरिष्ठ ने फिर छुआ क्या ?
लाइक : नहीं भाई।कल हम जिसे ‘लाइक’ कर आए थे,उसकी आज पिटाई हो रही है।
कमेंट : अच्छा ! पर इसमें तेरा क्या योगदान ?
लाइक : कुछ नहीं।मैंने उसकी ‘पिटाई’ को ‘लाइक’ कर दिया बस।तुम्हें भी जाने की ज़रूरत नहीं।
कमेंट :पर इतने से तुम इत्ता ख़ुश क्यों हो ?
लाइक: उसका दुःख जितना ज़्यादा बढ़ेगा,हमें उतनी ही मात्रा में सुख मिलेगा।
कमेंट:फिर ठीक है।आज का दिन मज़े से निपट जाएगा और ‘वो’ भी !
©संतोष त्रिवेदी
#समकालीन_व्यंग्य
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