राफ़ेल को लेकर इधर पूरे देश में रार मची हुई थी,उधर ख़ुद राफ़ेल भाई की हालत ख़राब थी।अचानक उसकी उड़ान पर लगाम लग गई।दिन में उसे नेता मारते,रात में ‘प्राइम-टाइम’।राफ़ेल को लगने लगा कि इंडिया पहुँचने से पहले जब उसका यह हाल है ,जब वहाँ पधारेगा तो क्या होगा ? हिंदुस्तान के लोग उसे स्वीकारेंगे भी या नहीं ? इसी उधेड़बुन में वह वह फँसा हुआ था।कुछ सूझ नहीं रहा था,तभी एक पहुँचे हुए संकटमोचक ने सलाह दी कि वह बोफ़ोर्स बहन से मिल ले।उसे लड़ाई में दगने से ज़्यादा चुनाव में चलने का लम्बा अनुभव है।राफ़ेल भाई को यह बात जँच गई और वह बोफ़ोर्स बहन से मिलने उसके ठिकाने पर पहुँच गया।दोनों के बीच अज्ञात क्षेत्र में हुई वह बातचीत हमारे संवाददाता चौपट चौरसिया के हाथ लग गई।बिना किसी काट-छाँट के उसे यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है ताकि सब अपने-अपने हिसाब से काट-छाँट कर लें:
राफ़ेल : बोफ़ोर्स बहन ! बड़ी उम्मीद से तुम्हारे पास उड़कर आया हूँ।सीमाओं की रक्षा करने का दायित्व भले मेरा हो पर इस वक़्त मुझे स्वयं रक्षा की ज़रूरत है।और हाँ,हमारी यह मुलाक़ात गुप्त रहनी चाहिए,नहीं तो ‘प्राइम-टाइम’ का एक और अटैक मुझे झेलना पड़ेगा।लोग भरे बैठे हैं।
बोफ़ोर्स: अरे नहीं राफ़ेल भाई ! तुम कुछ ज़्यादा ही सेंटिया रहे हो।लड़ाकू लोग दिल से नहीं दिमाग़ से काम करते हैं।वे विरोधियों की नहीं सुनते बल्कि उन्हें सबक़ सिखाते हैं।जबसे तुम्हारे आने की गड़गड़ाहट सुनी है,मैं बेहद ख़ुश हूँ।बहुत दिनों बाद लगा कि और भी कोई है जो हमारी टक्कर का है।वैसे तो हम हमेशा दुश्मन को निशाने पर लेते रहे हैं पर यहाँ तो हमीं निशाने पर आ गए थे।फिर भी देखिए,इतनी चर्चा और ख़र्चा के बाद हम अभी तक स्लिम और फ़िट बने हुए हैं।तुम अपनी चर्चा से नाहक परेशान हो।यह तो सफलता की पहली निशानी है।लड़ाई के मैदान में तुम्हारा स्वागत है।
राफ़ेल : बहन ! मेरी ज़िंदगी में पहली बार ऐसा हो रहा है,जब हम बिना उड़े ‘हिट’ हो रहे हैं।सोच रहा हूँ कि कहीं उड़ने के पहले ही मेरे पंख न कट जाएँ ! यहाँ तक कि हमारे अपने देश में उबाल आया हुआ है।मैदान से ज़्यादा मीडिया में मार-काट मची है।मेरे जाने से पहले ही वह युद्धक्षेत्र बन गया है।बहना,तुमने तो ऐसी मार ख़ूब झेली है।कुछ अपने अनुभव हमें भी बताओ जिससे हमको सुकून मिल सके।
बोफ़ोर्स :हा हा हा।सुकून तो तुम्हें भरपूर मिलेगा।हम दोनों लड़ाकू प्रजाति के हैं।यह साफ़ तौर पर हमारी सफलता है कि लड़ाई के मैदान में शामिल होने से पहले ही लोग हमको लेकर आपस में लड़ने लगते हैं।मेरा क़िस्सा तो अजीब ही है।एक मंत्रीजी तो केवल इधर से उधर चिट्ठी ले जाने पर खेत रहे।चुनाव से पहले जो नेताजी जेब में हमारे नाम की पर्ची लेकर घूमते थे,उन्हें सत्ता-सुख की प्राप्ति हुई,भले ही देशवासियों को पर्ची में लिखे नाम को देखने का सुख कभी नहीं मिला।विरोधियों द्वारा हमारे नाम का बार-बार मंत्रोच्चार करने से असमय ही एक युवा नेता ऐतिहासिक बहुमत से अल्पमत में आ गया पर मजाल कि हमारे हितैषियों का बाल भी बाँका हुआ हो।हमने सबकी रक्षा की।पिछले तीस सालों से मैं हिंदुस्तान की सियासत संभाल रही हूँ।हमसे मार खाने वाले दुश्मन देश तो घबराते ही हैं,हमें अपनाने वाले हमारे ज़िक्र भर से काँपते हैं।ऐसा सौभाग्य कहीं और नहीं मिलेगा।इसलिए तुम बेखटके आ जाओ।उड़ो और दूसरों को उड़ाओ।
राफ़ेल : मेरी घबराहट का कारण कुछ और है।कहा जा रहा है कि मेरे सौदे में कुछ लोगों ने खाने-पीने के बाद डकार भी नहीं ली।यह बात विरोधियों को हज़म नहीं हो रही है।इसी पर सारा बवाल मचा हुआ है।जिन्हें खाने को नहीं मिला,उनका हाज़मा तो ख़राब होगा ही।सबके पेट भरने का इंतज़ाम मैं अकेले कैसे कर सकता हूँ ! हमने तो सुना है वहाँ नाले से भी गैस बनती है।सरकार को चाहिए कि इसका ठेका अपने विरोधियों को दे दे।उनके मुँह में भी ढक्कन लग जाएगा।तुम क्या सोचती हो इस बारे में बहन ?
बोफ़ोर्स : मैं तो बिंदास हूँ।शुरू-शुरू में मुझे भी झटका लगा था पर अब सब नॉर्मल लगता है।धीरे-धीरे तुम भी अभ्यस्त हो जाओगे।रही बात खाने-पीने की,तो इस मामले में भारतीय ज़्यादा चूज़ी नहीं हैं।जहाँ भी मिलता है,जो भी मिलता है,खा लेते हैं।हम किसी के पेट भरने का निमित्त बनें,यह हमारे लिए गौरव की बात है।हम दगते हैं,दग़ा नहीं देते।हम ख़ास मिशन के लिए बने हैं,‘कमीशन’ तो हम हथियारों का प्राण-तत्व है।ये न हो तो हम कहीं आ-जा नहीं सकते।विकास के असली सारथी हम हथियार हैं।इसीलिए सभी विकसित देश हथियार संपन्न हैं।वास्तव में शांतिकाल विकास-विरोधी होता है।लड़ाई रोज़गार का प्रमुख साधन है और हमारे तुम्हारे रहते इसमें किसी प्रकार की कमी नहीं आएगी।माहौल पूरी तरह से तुम्हारे पक्ष में है।जितना तुम पर ‘अटैक’ होगा,उतना ही अटैक करने की तुम्हारी क्षमता बढ़ेगी।
इस बातचीत के बाद से ही राफ़ेल की लोकेशन नामालूम है।ख़बर है कि मीडिया जल्द ही इस पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ करने वाली है।
संतोष त्रिवेदी
2 टिप्पणियां:
उम्दा संतोष भाई
शुक्रिया भाई।
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