शुक्रवार, 8 जनवरी 2021

लोकतंत्र का मंदिर

यह अच्छा ही हुआ कि हमारे यहाँलोकतंत्र के मंदिरके निर्माण की इजाज़त मिल गई।देश में लोकतंत्र का निबाह हो और उसका मंदिर हो,यह निहायत बचकानी बात है।ऐसा नहीं है कि हमारे यहाँ पहलेलोकतंत्र का मंदिरथा ही नहीं, पर लोकतंत्र की तरह वह भी बहुत पुराना हो गया है।कई बार ठीक सेमरम्मतभी की गई,पर आए दिन हो रहीलोकतंत्र की हत्याकी घोषणाओं के बाद यह तय किया गया कि इसका नए सिरे से निर्माण किया जाएगा।जो लोग इसमें आने वाली लागत को लेकर हलकान हैं,उन्हें पता होना चाहिए कि लोकतंत्र बनाए रखने के लिए कोई भी क़ीमत अधिक नहीं होती है।मंदिर में घुसने को लेकर जिस तरह मारामारी होती है,इसी से पता चलता है कि इसका पुख़्ता होना कितना ज़रूरी है


न्यू इंडियामें वैसे भी हर चीज़ नई होने को आतुर है।नोटबंदीकी अपार सफलता के बाद जिस तरह फ़र्ज़ी नोट छपने बंद हो गए औरकाला धनअथाह समंदर में विलीन हो गया ,उसी प्रकार नएलोकतंत्र के मंदिरबनने से लोक का भला हो जाएगा,यह अभी से निश्चित है।सरकारों का कोई भी काम बिना सोचे-समझे नहीं होता।भीषण चिंतन और गहन विमर्श के बाद ही कोई योजना या क़ानून बनता है।आन्दोलनथोड़ी है कि ट्रैक्टर में बैठे और दन्न से राजपथ पर गए ! यहाँ आने के लिए जनसेवकों को कितना ख़ून बहाना पड़ता है,यह पसीना बहाने वाले नहीं समझ पाएँगे।


सिर्फ़ हमारे ही देश में लोकतंत्र की इतनी तगड़ी रक्षा नहीं की जाती है।दुनिया के सबसे समृद्ध देश में भीड़लोकतंत्र के मंदिरमें बेखटके घुस रही है।लोकतंत्र की रक्षा के लिए किसी भी क़ीमत पर हार नहीं मानने वाले ट्रंप चचा इसकी असलीपिच्चरदिखा रहे हैं।आने वाले दिनों में और भी लोकतांत्रिक देश इसका अनुसरण कर सकते हैं।लोकतंत्र तभी मज़बूत होता है जबलोकभी जनसेवकों जैसा आचरण करने लगें।


ऐसा नहीं है कि लोकतंत्र ही सारी मज़बूती क़ायम किए हुए है।हमारे पड़ोसी देश मेंसाम्यवादकी इतनी ज़ोर की लहर चल रही है कि वहाँ चोर तो छोड़िए,‘अलीबाबातक ग़ायब हो जाते हैं।इसलिएमंदिरका मज़बूत बनना बहुत ज़रूरी है,नहीं तो किसी दिन वहाँ आम आदमी भी घुस सकता है !


संतोष त्रिवेदी 

 

1 टिप्पणी:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

पूजा जारी रहेगी अनन्त तक तंत्रलोक में इसी तरह। बहुत खूब।

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