बुधवार, 23 जनवरी 2013

हम लाए हैं तूफ़ान से..... !

जनवाणी में २३/०१/२०१३ को !
चिंतन-शिविर को लेकर हमारे मन में बड़ी उत्सुकता थी।दिल्ली से जयपुर के लिए हम निकलने ही वाले थे कि ओले पड़ने लगे और ज़मीनी-रपट लेने का हमारा मंसूबा धरा का धरा रह गया।अब हमारे पास यही विकल्प था कि जैसे ही चिंतन निपटाकर लोग राजधानी पहुंचें,हम अन्दर की खबर निकाल सकें।इसलिए हम पार्टी–कार्यालय पर पहले से ही जाकर बैठ गए थे।थोड़ी देर में ही हमने देखा,कई वरिष्ठ लोग एक युवा नेता को कन्धों पर टांग कर कार्यालय की तरफ बढ़ रहे थे।पीछे-पीछे ढोल-नगाड़े वाले भी पूरे जोश में थे।हमसे रहा न गया और उस भीड़ के पास हम भी पहुँच गए।लोग तेज़ आवाज़ में नारे बुलंद कर रहे थे।उनके नारे के मुखड़े अब साफ़ सुनाई दे रहे थे।दल के आगे-आगे चल रहा कार्यकर्त्ता,‘देश का भविष्य कैसा हो ’का स्वर निकाल रहा था और काँधे पर युवा नेता को लादे लोग,’युवराज बाबा जैसा हो’ का उद्घोष कर रहे थे।


हमने मौका ताड़कर हुजूम के किनारे-किनारे चल रहे एक बुजुर्ग नेता से इस रौनक का कारण पूछा।उन्होंने पूरी निष्ठा के साथ हमें बताया ‘असल में हमने चिंतन-शिविर में सब-कुछ हासिल कर लिया है।हमारी पार्टी के प्रति युवाओं का आक्रोश बढ़ता जा रहा था ,ऐसे में हमने अपनी पार्टी में दो-नम्बरी जगह को बिलकुल स्पष्ट कर दिया है।अब देश को किसी मुगालते में नहीं रहना है,हमने अपना अगला नेता चुन लिया है।’पर आपने यह कैसे जान लिया कि आपकी पार्टी का यही नेता देश का नेता बन सकता है ?’हमने बात स्पष्ट करने के लिहाज़ से पूछ लिया।अब वे बुजुर्ग थोडा-सा झुंझलाते हुए बोले ,’अब आपको कुछ पता ही नहीं है,उधर कोने में चलिए,हम सब समझाते है।’

कोने में हमको ले जाकर नेता जी ने दार्शनिक अंदाज़ में समझाया,’भई,चिंतन-शिविर का उद्देश्य यही तो था।वहां हम सबको एक स्वर से यही फैसला लेना था कि युवराज की ताजपोशी का समय आ गया है।सबने इन तीन दिनों के मंथन के बाद यह अमृत निकाला है और अब इस अमृत-सन्देश को पूरे देश में फैलाना है।’हमारी जिज्ञासा अभी शांत नहीं हुई थी।हमने कहा,’पर उनको तो उपाध्यक्ष बनाया गया है,जबकि इसके पहले परंपरा रही है कि पार्टी का अध्यक्ष ही देश की कमान संभालता रहा है, इसका क्या आशय है?’उन्होंने फुसफुसाते हुए अन्दर की बात बताई,’दर-असल,अभी हम युवराज को एक नंबर पर रखकर कोई जोखिम नहीं लेना चाहते हैं।उनके पिछले प्रदर्शन को देखते हुए यह सेफ-गेम खेला जा रहा है।फिलहाल तो हम चिंतन-शिविर से निकले अमृत को ही भरपूर चखने का प्रयास करेंगे।’अब हमने उनसे आखिरी सवाल किया,’पर चिंतन-शिविर में तो देश की चिंताओं पर विचार करने की योजना थी,उस पर मैडम के क्या विचार रहे ? नेता जी ने तुरंत जेब से एक प्रेस-विज्ञप्ति निकाली और हम उसे वहीँ पढने लगे।उसमें मैडम के हवाले से साफ़-साफ़ हर्फों में लिखा था:


‘हम देश में बढ़ते हुए बलात्कार और भ्रष्टाचार से व पूरी तरह चिंतित हैं।हमारे रहते यह चिंता किसी और को नहीं करनी है।हम हालात सुधरने तक लगातार इस बारे में चिंतन करते रहेंगे।आम आदमी केवल यह चिंता करे कि उसके पास हमारे अलावा क्या विकल्प है ?इस चिंतन-शिविर का उद्देश्य है कि हम देश की समस्याओं पर औपचारिक रूप से चिंतित हैं।हमें महिलाओं के शोषण और अत्याचार पर लगातार चिंता है ।आम आदमी के बारे में सोचने का हमारा अधिकार है,इसलिए हमने अपना हाथ उसी के पास रखा हुआ है।इस बात से हमें सबसे ज्यादा फायदा यह है कि जब भी देश के विकास के लिए ज़रूरी होगा,हम इसका प्रबंध कर लेंगे।इसके लिए कई कंपनियों को अधिकृत कर दिया गया है।

हम इस शिविर के माध्यम से देश को एक नया नेता भी दे रहे हैं।यह हमारे परिवार की ऐतिहासिक परंपरा रही है कि देश-सेवा के लिए हमने सब-कुछ दांव पर लगाया है।उसी परिपाटी को आगे बढ़ाते हुए हमने युवराज को आगे किया है,अब आप लोग संभाल लेना।’

हमने वह प्रेस-विज्ञप्ति जेब में रख ली क्योंकि तब तक काँधे पर लदे हुए युवराज को ज़मीन पर रख दिया गया था।पार्श्व में संगीत बज रहा था,'हम लाए हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के...'।


जनसंदेश टाइम्स में भी २३/०१/२०१३ को प्रकशित

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