शनिवार, 1 जून 2013

दमदार भ्रष्टाचार बनाम बेबस भ्रष्टाचार !


०१/०६/२०१३  को नई दुनिया में !
 

 


क्रिकेट के कई प्रारूपों की तरह भ्रष्टाचार के भी कई प्रारूप हैं । अभी तक राजनीति के भ्रष्टाचार का ही दबदबा है  और यह पूरी दबंगई से अपना काम करता रहा है। इस भ्रष्टाचार का प्रताप यह है कि यदि इससे प्रेरणा लेकर किसी और क्षेत्र में प्रयोग किया जाता है तो वह बुरी तरह असफल होता है। राजनैतिक भ्रष्टाचार को एक तरह से अभयदान मिला हुआ है,पर फ़िर भी कुछ लोग इस से जबरिया प्रेरणा ले बैठते हैं और उसे आजमाने की जुर्रत कर डालते हैं ।तथ्य यही है कि दूसरे टाइप के भ्रष्टाचार मुँह की खाते हैं। इसका मतलब दूसरे सभी भ्रष्टाचार इसके आगे पिद्दी साबित हो चुके हैं ।

हाल में क्रिकेटीय भ्रष्टाचार ने बड़ी हिम्मत दिखाई और उसने स्वजनों को फ्रंटफुट पर खेलने को भेज दिया। हालाँकि उसे इस दुस्साहसी कार्य में दुर्भाग्य से दबोच लिया गया जिससे राजनैतिक भ्रष्टाचार बड़ा प्रफुल्लित हुआ । इस मौके का फायदा उठाकर अपने बदकिस्मत सहोदर से उसने जेल में ही मुलाक़ात कर डाली। राजनीति को अपने पास पाकर क्रिकेट ने तौलिए से अपना मुँह ढांपना चाहा पर राजनीति ने उसे उघाड़ दिया। इस पर वह सुबकने लगा। राजनीति ने एक अनुभवी होने के नाते उसे समझाते हुए कहा,’पगले,यह हम हैं कि सब कुछ सामने करते हैं और पकड़े नहीं जाते। इसके लिए हम कोई जादू नहीं सीखे और न ही छुपने की कोशिश करते हैं। ”

‘फ़िर हम ही क्यों पकड़े गए’ क्रिकेट ने लगातार सुबकते हुए पूछा। राजनीति ने उसके तौलिए को उठाकर दूर फेंक दिया और कहने लगा,’तुम अपने मुँह को जितना छिपाओगे,शर्मसार बनने की कोशिश करोगे,लोग नंगा कर देंगे। तुमने हज़ार और लाख में हाथ मारा है ,कभी हमारी तरह करोड़ों पर हाथ साफ़ करके देखो । अगर बेशर्म होकर सब काम करोगे ,दिन-दहाड़े डकैती डालोगे,कोई नहीं बोलेगा और इज्ज़त भी बनी रहेगी’। ‘पर हमने तो सट्टेबाजी में अपने और पराये सभी लोगों को काम में लगा रखा था,फिर भी... ?’क्रिकेट ने उदास होकर जानना चाहा।

राजनीति ने अब पूरा रहस्य उजागर करते हुए कहा,’दरअसल , कमाने और डकारने का खेल तुम जैसे नौसिखुओं का नहीं है। तुम अभी नवजात शिशु की तरह हो और हमारी बराबरी करना चाहते हो। तुम पर आरोप लगते हैं तो बचाने के लिए तुम्हारे अपने भी साथ नहीं आते । तुम अपने दामाद तक को नहीं बचा पाते और हम पूरे कुनबे को सुरक्षित निकाल लाते हैं। हम पर सालों से आरोप लग रहे हैं पर  चुनाव में जनता से ही उनकी सफ़ाई करवा लेते हैं,इसलिए हम आरोपों को लेकर गम्भीर और चिंतित नहीं होते। राजनीति में जो लोग आरोप लगाते हैं,वे जनता की सफ़ाई से संतुष्ट भी हो जाते हैं। इसलिए तुम्हारा भ्रष्ट होना भ्रष्टाचार की रेटिंग गिरा रहा है। तुम न तो अपने को बचा पा रहे हो,न कमा पा रहे हो। इससे भ्रष्टाचार की जड़ कमजोर हो रही है। ’

क्रिकेट के भ्रष्टाचार की आँखें खुल गईं । उसने राजनीति के आगे अपने को दो-कौड़ी का समझा और  बात यूँ खत्म की ,’अब हम समझ गए कि आप इस्तीफ़ा देकर भी बहुत कुछ पा जाते हो और हम न देकर भी कुछ नहीं बचा पाते। अब आगे से क्रिकेट का भ्रष्टाचार छुप-छुपाकर नहीं होगा। इसका पूरा टेंडर हम आपको ही दे देंगे और अपने इस्तीफ़े भी बचा लेंगे। भ्रष्टाचार पर स्वाभाविक और नैतिक रूप से अब आपका ही अधिकार रहेगा।’ इतना सुनकर राजनीति के चेहरे पर फैली मुस्कान और चौड़ी हो गई तथा उसके बाहर आने के लिए जेल के फाटक अपने-आप खुल गए ।

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