शनिवार, 2 जनवरी 2016

हवाई -शांति

'ये’ बामियान के ध्वस्त अवशेषों पर अफ़सोस प्रकट कर रहे थे।रेत के बीच में से बुद्ध को ढूंढ पाते,तभी सचिव ने जानकारी दी कि हॉटलाइन पर शरीफ़-कॉल आई है।अहिंसा और करुणा के मोड में शांति अपरिहार्य होती है सो इन्होंने बिना देरी किए शान्ति की कॉल रिसीव कर ली।हॉटलाइन पर हुई वार्ता बेहद गोपनीय होती है पर शरीफ़ देश के जासूसों ने उसे भी क्रैक कर लिया।दोनों देशों की अवाम की खुशहाली के लिए इसे यहाँ जारी किया जा रहा है ताकि जाते हुए साल में शांति देवी को थोड़ी-सी राहत मिल सके।

वे : कहिए जनाब,आप कैसे हैं ? अगर आप चाहें तो हम आपके यात्रा-रिकॉर्ड को और बेहतर कर सकते हैं।

ये:शुक्रिया जी।विपक्ष की कृपा से हम अच्छे-खासे हैं।संसद चल नहीं रही है इसलिए अपुन को चलने का पूरा मौका मिल जाता है।कहिये,कैसे याद किया ? आपकी पार्लियामेंट चल रही है क्या ?

वे:इंशाल्लाह हम मजे में हैं।हम आपकी तरह चल-फिर नहीं सकते।पिछली बार हम बाहर क्या गए,कई सालों के लिए देश से ही बाहर हो गए थे।इसलिए अब मैं कोई रिस्क नहीं लेना चाहता।हमने सुना था कि आपकी सीट बाहर रहकर ज्यादा सुरक्षित रहती है।इस नाते ही आप यहाँ आ जाएँ।

ये :नहीं भाई जान ! हम अपनी सीट की ओर से बेख़ौफ़ हैं।यहाँ तक कि हमारी सीटबेल्ट भी किसी और के हाथ न लग जाए,इसलिए मैं इसे कभी छोड़ता नहीं।रही बात आने की, बातचीत तो छोड़िए,हम खेल तक नहीं रहे हैं।ऐसे में हम क्यों आएँ ?

वे :भाई जान हम कब कह रहे हैं कि हमारी बातचीत हो रही है।इसे खेल की तरह ही लीजिये।इसमें आपका ही फायदा है।एक तो जाते हुए साल में आपका यात्रा-रिकॉर्ड बेहतर हो जायेगा,दूसरे अंतर्राष्ट्रीय मीडिया को एक ब्रेकिंग न्यूज़ मिल जाएगी।बातचीत का क्या है,उसे कभी भी ब्रेक कर लेना।

ये :यार आप तो बहुतै शरीफ़ हैं।केवल हमारे फायदे के लिए फिर से ‘लाहौर’ करने पर आमादा हैं।लेकिन इससे आपको और हमें घरेलू दिक्कतें नहीं आएँगी ?

वे:बिलकुल नहीं।आप बेख़ौफ़ होकर आइये।अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के लिए हम ‘बात’ करेंगे।भीषण ठंड में रिश्तों में गर्माहट पैदा होगी।घरेलू दिक्कतों का जवाब हमारा जन्मदिन होगा।बार-बार सर काटने की बात करने वाले जब मिलकर केक काटेंगे,तब सबकी जुबानें अपने आप बंद हो जाएँगी या बदल जाएँगी।

ये:आपका आइडिया तो बहुतै गजब है,पर वो दाऊद और हाफिज…?

वे :वो सब हमारे ऊपर छोड़ दीजिए।आप ट्विटर हैंडल करें ,बाकी हम हैंडल कर लेंगे। इन सबको हमारे यहाँ ही चैन मिलता है,यहीं रहने दीजिये।आपको शांति चाहिए,हम ‘दो घंटे’ में पैक करा के भेज देते हैं।

ये :पर हम तो समग्र वार्ता के पक्षधर हैं।आप आतंकवाद सहित हर मुद्दे पर बात करें,हमें कोई आपत्ति नहीं है।बात ये है ना कि हमें मन की बात करने की ही आदत है।

वे:हाँ तो कर लीजिये समग्र वार्ता,हम कौन-सा पीछे हैं ! हम अभी हुर्रियत वालों को बुलाये लेते हैं।

ये: नहीं,नहीं।ऐसा करिए अभी समग्र वार्ता रहने ही दीजिये।मैं आपके यहाँ ब्रेकिंग न्यूज़ के लिए पहुँच रहा हूँ।

वे:बिलकुल दुरुस्त फ़रमाया।बात तो हमारी फोन पर हो ही चुकी है।ऐसी वार्ता से रिश्ता तो पिघलेगा ही अपना धंधा भी जम जाएगा।मेरा मतलब आपसी व्यापार चल निकलेगा।और हाँ,हमारी अम्मा भी आपको बहुत याद कर रही हैं।

ये:माँ का नाम लेकर अब आप हमें मजबूर कर रहे हैं ।मैं इस मामले में जरा सेंसिटिव हूँ।फोन रखिये,हम और हमारे आदमी बस पहुँच रहे हैं।

इसके बाद का वाकया बताने की ज़रूरत नहीं है।‘इन्होंने’ अपने ट्विटर हैंडल से जैसे ही यह सूचना प्रसारित करी,बाकी दुनिया में कोहराम मच गया।शांति के चेहरे पर अचानक मुस्कुराहट लौट आई और आतंक ने उसी दम ख़ुदकुशी कर ली।

सोचिए,केवल ‘हवाई-वार्ता’ से जब इतनी शान्ति स्थापित हो गई है,समग्र-वार्ता से तो सारे भूमंडल में ‘नोबेल-नोबेल’ की बारिश के इमकान हैं !

2 टिप्‍पणियां:

कविता रावत ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति
आपको जन्मदिन-सह-नव वर्ष की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनायें!

संतोष त्रिवेदी ने कहा…

बहुत शुक्रिया !

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