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मित्र के साथ अंतर्राष्ट्रीय विमर्श
वह कभी मेरे अभिन्न मित्र थे , पर पिछले कुछ समय से भिन्न हो गए थे।हालाँकि कभी इस बारे में खुलकर कहा नहीं पर मुझे यही ...
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राजधानी में चुनाव हैं।मौसम सर्द से अचानक गर्म हो उठा है।वसंत के आने में भले थोड़ा वक़्त हो , पर राजधानी में इसने अभी ...
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आज धृतराष्ट्र से अधिक संजय बेचैन दिख रहे थे।महल के विश्राम - कक्ष में वह इधर - उधर टहल रहे थे।महाराज यह जानकर चिंतित हो ...
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सुबह - सुबह मोबाइल पर यूँ ही उँगली फिरा रहा था कि स्क्रीन पर सहसा एक छोटी खिड़की खुल गई। ‘ मैं आपकी सहायिका हूँ।कहिए आप...
1 टिप्पणी:
धार्मिक व्यक्ति के दृष्टिकोण में, नेता के दृष्टिकोण में ,भीड़ के दृष्टिकोण में और लेखक के दृष्टिकोण में फर्क दिखना ही चाहिए। आपने लेखकीय धर्म का खूब निर्वहन कया है। जोरदार आलेख के लिए बहुत बधाई।
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