जनवाणी में २९/११/२०१२ को ! |
२७/११/२०१२ को आई नेक्स्ट में प्रकाशित |
हम अंग्रेजों के
ज़माने की नहीं नए ज़माने की पुलिस हैं। हमारी सेवा को कई बार भाई लोगों द्वारा
सराहा भी गया है। अभी हाल ही में हमने सबसे त्वरित कार्यवाही करने का कीर्तिमान
बनाया है। हमने एक शिकायत पर केवल बीस मिनट के अंदर अपराधियों को हवालात में
पहुँचाया पर कुछ नासमझ और अति उत्साही लोग हमारी विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे हैं।
इस सम्बन्ध में हम कई बातें स्पष्ट कर देना चाहते हैं।
हमें जब देशभक्त सैनिकों
ने बताया कि फेसबुक के द्वारा देश में सांप्रदायिक सौहार्द और राष्ट्रिय एकता को
खतरा पैदा होने का अंदेशा है तब हमने इसे गंभीरता से संज्ञान में लिया। वे साथ में
दो लड़कियों को उठाकर लाए थे,जिनकी सूरत देखते ही हमें पता लग गया था कि वाकई आजकल
आतंकवादियों ने अपने मकसद के लिए लड़कियों का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर शुरू कर दिया
है। हम सैनिकों की बात पर भरोसा कर सकते हैं क्योंकि हमारी समझ से पुलिस और सेना
ही इस देश की रक्षक है। इसलिए जब भी कोई सैनिक किसी तरह की शिकायत लेकर आता है तो वह
अपने लिए नहीं देश के प्रति चिंतित होकर ही आता है। इस पर हमने तुरत कार्यवाही
करके उन दोनों को अंदर कर दिया। हम तो कहते हैं कि भला हो उन सैनिकों का,जिन्होंने
अपराधियों को हमारे हवाले कर दिया ,नहीं तो ऐसे छोटे-मोटे काम वो स्वयं निपटा देते
हैं। इससे पता चलता है कि वे कितने लोकतान्त्रिक और व्यवस्था में भरोसा रखने वाले
हैं।
फेसबुक से की गई
शिकायत पर हम रुक भी नहीं सकते ,क्योंकि इसका मतलब ही है कि अगर पुलिस बुक करे तो
उसे आपको फेस करना ही पड़ेगा। खासकर जब यह मामला आम आदमी से सम्बंधित हो। हम आम
आदमी के लिए बने हुए हैं और उसकी सेवा-पानी के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। इसीलिए
भ्रष्टाचार और घोटालों पर हम इतना ध्यान भी नहीं देते क्योंकि ये आम आदमी के बजाय
नेताओं द्वारा किये जाते हैं। हमने तो इस देश के आम नागरिक की सुध लेने की ही शपथ
ली हुई है। इस पर भी कई लोगों को एतराज़ है तो हम क्या कर सकते हैं ?
हमारा तंत्र कितना
चौकस रहता है इसकी मिसाल मिलना मुश्किल है। हमें बाद में पता लगा कि उन सैनिकों ने
किसी अस्पताल में तोड़फोड़ की है,इसके लिए हम कुछ नहीं कर सकते थे क्योंकि यह हमारे
कार्यक्षेत्र से बाहर का मामला था । इसे संज्ञान में लेने के लिए पीड़ितों को नगर
निगम से संपर्क करना चाहिए था ताकि आवागमन में अस्पताल का मलबा गतिरोध न बने और
ट्रैफिक सुचारू रूप से गतिमान रहे। अब फेसबुक में करोड़ों यूज़र्स हैं और हमारी
संख्या हजारों में है,इसी काम में हमारे आदमी कम पड़ रहे हैं। इसके लिए हमने फौरी
तौर पर प्रबंधन कर रखा है। जब भी फेसबुक या अन्य साईट पर आम आदमी कुछ लिखता है तो
सैनिक हमारी मदद के लिए उसे थाने तक उठा लाते हैं। विश्वास कीजिये,इसके आगे की
प्रक्रिया हमीं निपटाते हैं। इसलिए भविष्य में जब भी आप कुछ अपने दिल की
लिखें,कहें तो हमें आपकी तलाश रहेगी और आप भी इस काम में हमारा पूरा सहयोग करें। सैनिकों
के आने पर उत्तेजित न हों,थाने आकर अपने कहे से पलट जांय तो हम भी आपको सुरक्षित
वापसी का भरोसा देते हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें