बुधवार, 21 नवंबर 2012

लो जी,हम तो पाक-पाक निकले !

मिलाप हिंदी 23 नवम्‍बर 2012
नैशनल दुनिया में २२/११/२०१२ को !


















२३/११/२०१२ को हरिभूमि में...व २६/११/२०१२ को डीएलए में






21/11/2012 को जनसंदेश में...





सरकार के प्रवक्ता जी बड़े तैश में बयान बाँट रहे थे।सारे पत्रकार पंक्तिबद्ध होकर अपने-अपने हिस्से का बयान उठा रहे थे।बहुत दिनों बाद प्रवक्ता जी के मुर्दनी छाये हुए चेहरे पर रौनक लहक रही थी।पूछने पर पता चला कि जिन ख़बरों के चलते, वे पहले की प्रेस-वार्ताओं में शर्मसार हो चुके थे,अचानक एक खबर से उनके चेहरे की रवानगी लौट आई थी।इसी वज़ह से उनकी मुद्रा अपेक्षाकृत अधिक आक्रामक हो उठी थी।हमें भी उनके अगले वक्तव्य का इंतज़ार था,जिसे पाकर पाठक धन्य-धन्य हो सकें ! प्रवक्ता जी माइक को ही विरोधी दल का समझकर टूटे पड़ रहे थे।जो हमारे पल्ले पड़ा,वो कुछ इस तरह रहा।

'अब सब कुछ देश के सामने साफ़ हो चुका है।इस सफ़ाई में हमारी सरकार पर लगे भ्रष्टाचार और अनाचार के सारे दाग हवा हो गए हैं।विपक्षी दल और विरोधी मुँह दिखाने लायक नहीं बचे हैं।जिस छोटी बात को बड़ी बात कहकर हमारे कई विख्यात माननीयों का अपमान किया गया ,उसकी जवाबदेही इन्हीं पर है ।सरकार के ही रहमोकरम पर चलने वाले कैग ने कितना खराब हिसाब लगाया है,यह बहुत आपत्तिजनक है।उसने घोटाले की जो रकम बीस पैसे की बताई थी,महज़ बारह पैसे की ही निकली।इस आंकड़े से घोटाला जी भी व्यथित हैं।उन्होंने दिन-प्रतिदिन हो रहे अपने अवमूल्यन को लेकर नाराज़गी और असंतोष व्यक्त किया है।सरकार तो हमें ही चलाना आता है और आगे भी हमीं चलाएंगे,पर हमें इस बात की आशंका है कि ऐसी स्थिति में घोटाला जी के नाराज़ होने का असर देश के विकास की संभावनाओं पर पड़ सकता है।

हमने अपनी सरकार के रहते कभी कोई चीज़ छुपकर नहीं की।हम भ्रष्टाचार और घोटालों के मामले में पूरी पारदर्शिता बरतते रहे हैं।इसका जीता-जागता उदाहरण टूजी और कोयला-आवंटन का रहा जिसमें हमारे घटक-दलों की भी सक्रिय हिस्सेदारी रही।अब जब टूजी को लेकर उठ रहे सवालों पर हालिया हुई नीलामी ने सबका मुँह बंद कर दिया है,सरकार आगे के कार्यक्रमों को लेकर बेहद उत्साहित है।हमें बहुत खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि विपक्ष ने बिना कुछ सोचे-समझे घोटाले को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया है।इन लोगों को कोई भी काम ढंग से करना नहीं आता है।हमने तो घोटाले में इतनी फिगर दिखा दी है,इनके बस का तो वो भी नहीं है।

हम तो आज विपक्ष से यही सवाल कर रहे हैं कि उन्होंने घोटाले की रकम को लेकर संसद के बाहर और अंदर जीना मुहाल कर दिया था,अब जब मौके पर रकम कम पाई गई है तो इसकी भरपाई कौन करेगा ? इसकी वजह से कई निर्दोष जेल चले गए,उनकी सेवाओं से यह देश वंचित हुआ,उनके परिवारीजनों को सुखोपभोग से दूर रहना पड़ा,इस सबका हिसाब और मुआवजा कौन देगा ? अगर समय रहते विपक्ष ने अपने में सुधार नहीं किया तो फ़िर देश की जनता ही यह मुआवजा भरेगी।अब मीडिया,जनता और आम आदमी की टोपी लगाने वालों को समझ जाना चाहिए कि हमारी सरकार बिलकुल गंगाजल की तरह शुद्ध और पवित्र है।जिन लोगों ने इस पर उँगली उठाई है ,उन्हें अब वह उँगली ही काटकर बहा देनी चाहिए।'

वातावरण में ठण्ड बढ़ रही थी।कोहरे ने भी अपनी चादर पूरी तरह से ओढ़ ली थी,हम समझदारी दिखाते हुए अधूरे बयान के साथ ही वहाँ से विदा हो लिए ! 




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