कल्पतरु में ३०/०५/२०१३ को ! |
२२/०५/२०१३ को जनवाणी में !हरिभूमि में २३/०५/२०१३ को ! |
आईपीएल को खेल मानने
वालों का भरोसा उस समय हिट-विकेट की तरह उखड़ गया जब पता चला कि कुछ खिलाड़ी गेंद और
बल्ले की जगह तौलिया उछालते हैं ।यह तौलिया कोई साधारण किस्म का अंग-वस्त्र भर नहीं
है ।उछलने के बाद यह जब दुहरकर जमीन पकड़ता है तो इसकी मुद्रा भरी हुई झोली की
माफिक होती है ।इस बात को सामान्य व्यक्ति समझ भी नहीं सकता है ।इस तरह यह तौलिया
देह के पसीने को पोंछने के बजाय अनायास ही ज़िन्दगी का ‘दलिद्दर’ दूर कर देता है।इस
गोपन-कर्म पर पता नहीं किसकी नज़र लग गई और जो खिलाड़ी लाखों में खेल रहे थे,वे
सलाखों के पीछे हो गए।
कई लोग जो आईपीएल को
गहरे से जानते हैं,उनको इस तरह की घटनाओं पर नहीं, उसके सार्वजनीकरण पर चिंता है।जो
इस खेल की प्रवृत्ति को जानते हैं,उन्हें इसके खिलाड़ियों की दशा का भी बोध है।आईपीएल-भक्तों को मैदान में भले ही बाईस खिलाड़ी और दो
अम्पायर दिखते हों पर असली खिलाड़ी और अम्पायर तो मैदान के बाहर ही होते हैं।मैदान
के भीतर जब कोई विकेट गिरता है या चौका-छक्का पड़ता है,तब खिलाड़ियों की उछल-कूद और चीयर-लीडर
का नृत्य बनावटी होता है।असली नाच और अंतिम खुशी तो मैदान के बाहर के खिलाड़ी ही
उठाते हैं।
हमारे देश के लोगों
में क्रिकेट उसी तरह रच-बस गया है,जैसे राजनीति।लोगों की रूचियाँ इन दोनों में
समान रूप से हैं।क्रिकेट के खेल में खिलाड़ी जीत या हारकर पैसा बना लेते हैं पर
उनके प्रशंसक मार-पीट सहन करते हैं और हार का सट्टा भी।ठीक यही अनुभव वे राजनीति
से भी ग्रहण करते हैं।यानी खेल के दोनों प्रारूपों में आम नागरिक का बलिदान होना
तय है ।रही बात क्रिकेट में फिक्सिंग की ,तो वह भी राजनीति के क्षेत्र से आयातित
है।राजनीति में जहाँ सांसद बनने या सरकार बनाने को लेकर बड़ी फिक्सिंग होती है,वहीँ
क्रिकेट में टुटपुंजिया-टाइप की।इसीलिए अकसर बड़े टाइप की फिक्सिंग क्रिकेट जैसी छोटी-मोटी
फिक्सिंग का उत्सर्ग करके अपने को बचा लेती है।
हालिया फिक्सिंग
प्रकरण में जिनकी संतई उजागर हुई है,उनका लुक बड़ा मासूम रहा है।कुछ समय पहले जब एक
खिलाड़ी ने उन्हें मैदान में थप्पड़ मारा था,उनके आंसुओं से पूरी पिच पानी-पानी हो
गई थी।वो उनका ओरिजिनल-लुक था ।अब वही लुक पुलिसिया-पूछताछ में काम आ रहा है।उनसे
बस थोड़ी-सी चूक हुई कि जो तौलिया अब तक उनकी निर्दोष छवि की रक्षा कर रहा था,अचानक
उन्हें नंगा कर गया।हालाँकि उनकी संतई को बचाने के लिए उनके वकील ने कमर कस ली है
और जल्द ही वे अपनी मासूम-लुक की प्राप्ति कर सकेंगे।
आइपीएल की फिक्सिंग
की खबर से क्रिकेट बोर्ड बिलकुल अविचलित है।उसने साफ़ कर दिया है कि बोर्ड की साख
बहुत मजबूत है,ऐसी घटनाओं से उस पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला।उनके कहने का सीधा
मतलब यही है कि जिस खाद-पानी से आईपीएल का वृक्ष तैयार किया गया है,उसकी कोई भी शाख
ऐसे छोटे-मोटे बवंडरों से टूटने वाली नहीं है।इसकी बुनियाद ही नीलामी प्रक्रिया के
दौरान ठोंक-बजाकर मजबूत कर ली जाती है।इसलिए देश की जनता खेल देखती रहे,वे खेलते
और नाचते रहेंगे ।हमारा भी यही कहना है कि खिलाड़ियों को नैतिक तराजू पर न तौलिए,बल्कि
उन्हें तौलिए के साथ खेलने दीजिए।क्रिकेट को यूँ ही नहीं जेंटलमेन गेम कहा गया
है।इस खेल की पवित्रता को तौलिए से ढंका रहने दीजिए,इसे उघाड़ने की कतई ज़रूरत नहीं
है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें