जनवाणी में 25/12/2013 को |
सचिवालय के बाहर सदाचारी लाल मिले तो बहुत बेचैन दिखाई दिए।छूटते ही हमने कहा,’अब तो आपकी सरकार आ गई है,मंत्रिपद की शपथ भी ले ली है ,फिर काहे को परेशान हैं ? जनता बेसब्री से आपकी सेवा का इंतजार कर रही है।अचानक आपकी पेशानी पर बल कैसे ?’सदाचारी लाल ने गहरी साँस छोड़ते हुए कहा,’बड़ा कठिन समय आ गया है।सुनते हैं,लोकपाल जी आ रहे हैं।वे किसी की भी नहीं सुनेंगे,अपने आप जाँच करके फैसला दे देंगे।ऐसे में कोई भी काम करना खतरे से खाली नहीं होगा।आप जनता की सेवा की बात कह रहे हो पर सोचता हूँ कि अब मेरा क्या होगा ?’
‘अच्छा तो क्या आपने भी अन्ना की तरह जूस पी लिया है ? इसमें घबड़ाने जैसी कोई बात नहीं है।वैसे भी सर्व-सहमति से लोकपाल जी आ रहे हैं,वो भला अपने लाने वालों का बुरा क्यों चाहेंगे ? सभी माननीयों ने उनके आने का स्वागत ऐसे ही नहीं किया है।सबने ठोक-बजाकर यह फैसला इसलिए नहीं लिया कि वे उन सबको ही ठोंक डालेंगे।फिर लोकपाल जी किसी दूसरी दुनिया से नहीं आयेंगे।इस कानून में कहीं यह नहीं लिखा कि लोकपाल बनने के लिए संत,महात्मा या विरागी होना चाहिए।इसलिए किसी भी तरह की आशंकाओं से आप निशाखातिर रहें !’हमने उनका ढाँढ़स बढ़ाने के लिए कई ताबड़तोड़ डोज़ दे डाले।
सदाचारी लाल लगातार टहल रहे थे।लग रहा था कि वो हमारी बातों से पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हो पाए थे।वे अब भी गंभीर चिन्तन में लग रहे थे और हमारे बिलकुल पास आकर फुसफुसाने लगे,’मैं उस वक्त की कल्पना करता हूँ,जब लोकपाल जी हमारे द्वारा कराये गए जनहित कार्यों को घोटाले का संज्ञान लेकर जवाबतलबी करेंगे।हम काम करना तो खूब जानते हैं पर अब तक जवाब देना नहीं सीख पाए हैं।जब कोई सरकार इस तरह जवाबदेही के लिए मजबूर की जाएगी तो वह काम कब करेगी ? जनता को सवाल-जवाब से मिलना भी क्या है ? हमने सुना है कि लोकपाल जी अपने साथ चलती-फिरती जेल भी रखेंगे,जिसमें हम कभी भी समा सकते हैं।’
अब हमने जान लिया था कि सदाचारी लाल की सबसे बड़ी चिंता जेल जाने को लेकर है।हमने उन्हें आश्वस्त करते हुए कहा,’अव्वल तो इससे चूहे भी नहीं डर रहे,आप तो शेर हैं;दूसरे,कारागार बड़ा पुण्य-स्थल है।यहाँ तक कि भगवान ने भी वहाँ पर जन्म लिया था।मैं तो कहता हूँ कि नेता होने की सार्थकता तभी है,जब वह जेल को अपना दूसरा घर बना ले।जितने भी सामान्य लोग जेल गए हैं,बाद में महापुरुष कहलाये हैं।आप तो आलरेडी महापुरुष हैं।अब आप खुद सोचिये,जहाँ जाकर छोटे-मोटे चोर बड़े नेता बन गए,फिर आप तो इलाके के छँटे हुए महापुरुष हैं,लोकपाल जी की सेवा के बाद आपकी रेटिंग तो आसमान छुएगी,इसलिए नाहक परेशान न हों।’
हमने देखा कि अब सदाचारी लाल एक जगह स्थिर हो गए थे।उनके चेहरे से गायब चमक दोबारा लौटने लगी थी और वे सामने खड़ी लालबत्ती गाड़ी में सवार होकर फुर्र हो गए।
1 टिप्पणी:
आने वाले दिन बहुत ही रोचक होने वाले हैं।
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