नेशनल दुनिया में 28 जनवरी 2014 को ! |
अगले दो महीने देश के लिए बहुत भारी पड़ने वाले हैं।सभी दिशाओं से लोग
निकल पड़े हैं।सत्ता पर कब्ज़ा करने के लिए सबने गुरुमंत्र भी जारी कर दिये हैं।बात
सरकार बनाने की या प्रधानमंत्री बनाने की हो रही है,पर इसके ज़रिये हर कोई कुछ न
कुछ बेचना चाहता है।फ़िलहाल सरकार चलाने वाले और फिर से बनाने का दावा करने वाले कह
रहे है कि उनके लिए प्रधानमंत्री बनाना मुश्किल काम नहीं है।उनका एतराज़ इस पर है
कि विपक्ष गंजों को कंघे बेचने का काम कर रहा है,जबकि यह उनका मौलिक अधिकार है।इस
सम्बन्ध में उनका तर्क है कि जिसने जनता को गंजा किया है,कंघा भी वही बेच सकता है।इस
नाते उनका दावा मज़बूत बैठता है।अब यह जनता पर है कि वह गंजा करने वाले से कंघा
लेती है या उससे पंगा लेकर रसोई के सिलेंडर कम करवाना चाहती है ?
चहुँ ओर उत्सव का माहौल है।कुछ लोग देश को सरकार देने के बजाय सीधे
प्रधानमंत्री देना चाहते हैं।इसके लिए उन्हें मुद्दे खोजने की भी ज़रूरत नहीं है।वे
बस,चाय की चुस्कियाँ लेते हुए देश को प्रधानमंत्री दे देंगे।पूरे देश में आम आदमी
की बहार है।ऐसे मौसम में हर घर से एक वोट और एक नोट तो लिया ही जायेगा ,साथ में चाय
की केतली भी पकड़ी जाएगी।इससे आम आदमी का सीन क्रिएट होगा और ‘चाय-चाय’ के शोर में
कंघे बेचने वाले भूमिगत हो जायेंगे।गंजे हुए लोगों को तेल की मालिश के बजाय चाय की
चुस्की सुहाएगी,इसलिए यह बिलकुल मौलिक बदलाव होगा।
देश में इस समय महा-पिकनिक की सी स्थिति है।भ्रष्टाचार और मंहगाई से
आजिज जनता कंघे और चाय खरीदने में व्यस्त हो गई है।हर तरफ मेला लगा हुआ है।अपनी-अपनी
दुकानों के साथ दुकानदार हाज़िर हो गए हैं।उन सभी को केवल अपनी जनता की चिंता है। इस
बार आम आदमी ने भी अपना स्टाल लगाया है।उसका काम सबसे चोखा है।वह ईमानदारी की टोपी
लगाकर सड़क पर ही अपनी रेहड़ी लगाकर बैठ गया है।ईमान की कोई कीमत नहीं होती,इसलिए
बिना अतिरिक्त लागत के उसे सबसे अधिक फायदा मिलने की उम्मीद है।इस मेले में भारी
संख्या में चाय के स्टाल भी लग गए हैं।अगर आप गंजे सर को खुजा-खुजा कर दुखी हो गए
हैं,ईमानदारी से पक गए हैं तो चाय की एक बार चुस्की ज़रूर लीजियेगा,ठण्ड के मौसम
में बहुत गरम चाय है।बस ,चुस्की लेते जाइये और चुनावों बाद चाय बेचने वालों की दुर्लभ
मुस्की का इंतजार कीजिये।
3 टिप्पणियां:
चाय की प्यालियों में राजनीति के कई तूफ़ान आये हैं।
बहुत खूब...
वे बस चाय की चुस्कियाँ लेते हुए देश को प्रधान मंत्री दे देंगे.पुरे देश में आम आदमी की बहार है.
बहुत खूब,बढ़िया व्यंग है.
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