गुरुवार, 2 जनवरी 2014

दो हज़ार चौदह की ठंडक !


01/01/2014 को जनवाणी में
 
नया साल आ गया है।इसको लेकर भारी उत्तेजना है।पिछला पूरा साल खर्च हो गया ,इसकी तैयारी में।कुछ लोगों ने तो पूरा जोर लगा दिया इससे निपटने में,पर कई लोगों को इसने अपने आने के पहले ही पस्त कर दिया।दो हज़ार तेरह में खूब मंसूबे बांधे गए पर दो हज़ार चौदह ने सब पर झाड़ू फेर दिया।साहब और युवराज एक ही घाट पर पानी पी रहे हैं।राजधानी में पानी की सप्लाई फ्री कर दी गई है।अब डूब मरने के लिए चुल्लू भर पानी की ओर नहीं ताकना है।नए साल ने यह मौका दिया है कि अब सब लोग खूब पानी पी पीकर लड़ाई लड़ें।इससे आँखों में भी पानी की कमी न रहेगी।
वैसे तो दो हज़ार चौदह में दिल्ली का तापमान बहुत गर्म रहने वाला है,पर इसने शुरुआत में ही इसे घोर ठण्ड से जकड लिया है।अब बंधे हाथ और घने कोहरे में जंग कैसे लड़ी जाएगी।मानो नए साल ने चुनौती दी हो कि जीतने भी सूरमा हैं वे पहले ठण्ड से निपटें।कुछ सयाने और अनुभवी लोग पारंपरिक तौर-तरीके नहीं छोड़ पा रहे हैं।उन्हें लगता है कि मफलर बाँधने और सिंहनाद करने से गर्मी नहीं आएगी।वे अपने पुराने फार्मूले पर ही अड़े हुए हैं।इसके लिए वे बुझी हुई कोयले की राख में आलू भूनकर ठंडे पड़े शरीर को गरमाना चाहते हैं।इसलिए दो हज़ार चौदह में शेर और भालू की लड़ाई में आलू भी घुस गया है।

आम आदमी को नए साल से कुछ फर्क नहीं पड़ने वाला।उसने पहले ही अपने सपनों को खूँटी पर टांग रखा था,सो उसको ठण्ड को सहने का अभ्यास हो चुका है।इसीलिए अब वह ठण्ड से मरता भी नहीं है।नया साल भी यह हकीकत जानता है।तभी वह आम आदमी के पास फटकता भी नहीं।पिछले सालों की तरह इस बार भी वह क्लबों और पबों पर आया।आम आदमी रैनबसेरे में दुबका, नए साल को लड़खड़ाते हुये देखता रहा।दो हज़ार चौदह अट्टहास कर रहा है।कुछ लोग उसे जीतने की उम्मीद में रोज़ नई लकड़ी सुलगा रहे हैं पर उसने आते ही सबके अलाव बुझा दिये हैं।अब पुराने सूरमा नई गर्मी की तलाश में जुट गए हैं पर नया साल उन्हें ठंढाने में लगा है।
भले ही पुराने साल में झाड़ू और कूची से भ्रष्टाचार साफ़ हो गया हो पर नया साल और मज़बूत बनकर आया है।उसे जल्द ही कई तरह के तीर-तलवार झेलने होंगे,इसके लिए उसने मोटा लिहाफ़ ओढ़ लिया है।जल्द ही ,हमारे सूरमा इसी लिहाफ़ में सुराख़ करने में कामयाब हो जायेंगे,इसलिए वे ठण्डा-ठंडा फील होने के बाद भी ‘उम्मीदों वाली धूप, सनशाइन वाली आशा’ गुनगुना रहे हैं।

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