मंगलवार, 4 फ़रवरी 2014

स्टडी-टूर पर भैंसें !


























आखिरकार गुम हुई सात भैंसें दो दिन में ही बरामद कर ली गईं।यह उत्तम प्रदेश की जनता,समाजवादी सरकार और काबिल अफसरों के लिए बड़ी राहत भरी खबर थी।बात भी छोटी नहीं थी।मंत्री की भैंसे थीं,कोई आम आदमी नहीं गायब हुआ था।पूरा सरकारी अमला जी-जान से जुट गया और प्रदेश में कानून-व्यवस्था बिगड़ने से पहले ही अधिकारियों ने अपेक्षित परिणाम दे दिया।घटना की व्यापकता को देखते हुए देश के सबसे तेज चैनल के संवाददाता से नहीं रहा गया।वह भैंसों का बयान रिकॉर्ड करने तुरत उनके तबेले पर पहुँच गया।सभी भैंसें खूँटे में बंधी अपनी-अपनी नांद में मुँह डाले हुए थीं।उन सात भैंसों से किया गया एक्सक्लूसिव इंटरव्यू अविकल रूप से यहाँ पर प्रस्तुत है:

संवाददाता (पहली भैंस से ) :भैंस जी, फिर से अपने खूँटे में लौटकर आपको कैसा लग रहा है ?

भैंस :आपको कैसे पता कि खूँटा वही है ? पहले वाला खूँटा देशी लकड़ी का था।इस बार सुनते हैं कि अमेरिका से आयात किया गया है।इसकी विशेषता है कि इससे जो बंध जाता है,चाहकर भी नहीं छूट पाता।हम तो बहुत पहले से इसकी माँग कर रहे थे,इसीलिए तो प्रोटेस्ट किया था।अब हमें कोई शिकायत नहीं है।

संवाददाता (दूसरी भैंस से ) :आप अपनी मर्जी से खुल गई थीं या आपको कोई खोल ले गया था ?

भैंस : लगता है ,आप नए हैं।हमें खोलने की जुर्रत किसी में नहीं है।हम तो नवाबी-तबियत की हैं।हमारी मोटी चमड़ी में समाजवाद पूरी तरह सुरक्षित है।हम तो बस जरा हवा-पानी के लिए तबेले के बाहर गई थीं,वरना विरोध में गायें रंभाने लगती कि समाजवाद तबेले तक ही सीमित है।यह बात आप नोट कर लें कि प्रदेश में समाजवाद खूँटे से बंधा नहीं है,वह कहीं भी पसर सकता है।

संवाददाता (तीसरी भैंस से ): बहिन जी,आप कुछ बताइए,आपका अनुभव कैसा रहा ?

भैंस :देखिये,हमें आपके सम्बोधन पर गहरी आपत्ति है।मैं संभ्रांत तबेले से हूँ,इसलिए आप मुझे मैडम कह सकते हैं।मेरी निष्ठा पर आज से पहले कोई सवाल नहीं उठे।मैंने हमेशा अपनी नांद का ही चारा खाया है,इसलिए कृपया मुझे औरों से अलग ही रखें।मुझे बताया गया था कि ठंड से कुछ बकरियाँ मर गई हैं,इसीलिए एयरकंडीशंड तबेले से बाहर आकर सर्दी का अहसास करने के लिए गई थी,पर मुझे तो कहीं ठंड नहीं लगी।निश्चित ही भेड़ियों ने बकरियों को मारा होगा।

संवाददाता (चौथी और पांचवीं भैंस से): सुना है कि आप दोनों की बरामदगी हज़रतगंज चौराहे से हुई है ?

चौथी भैंस: भाई,क्या भैंसों के दिल नहीं होता ? जैसे ही हमें पता चला कि प्रदेश में ‘जय हो’ टैक्स-फ्री हो गई है,अपनी सहेली के साथ सलमान को देखने चली गई थी।बचपन से ही बड़ी इच्छा थी कि अपनी नांद के बाहर मुँह मारूँ और वह अवसर अब जाकर मिला।हम जैसे ही सनीमा-हाल से बाहर निकले ,हमें हिरासत में लेकर कहा गया कि इस तरह हमारे सरे-आम सलमान-प्रेम के कारण साम्प्रदायिक-सद्भाव को खतरा हो सकता है।बस,फिर हम दोनों को ट्रक में डालकर ले आये।

संवाददादाता (बगल में खड़ी छठी और सातवीं भैंस से ) :और आप दोनों मोहतरमा कहाँ और क्यों गई थीं ?

दोनों भैंसे (एक सुर में ): हम दोनों स्टडी-टूर पर दूसरे के खेतों में घुस गई थीं।अपने ही खेतों का चारा खा-खाकर बोर हो गए थे,सो चले गए।अभी हम तालाब में घुसने ही वाले थे कि छापा पड़ गया।हमें कीचड़ में बिना लोटे ही लौटना पड़ा।अब हमें यहीं अपने तबेले में गोबर फ़ैलाने दो ,यहाँ से दफ़ा हो !

संवाददाता ने जल्दी से अपना कैमरा समेटा।उसके हाथ गज़ब की ब्रेकिंग न्यूज़ लग गई थी ।वह स्टूडियो की तरफ तेजी से लपका।

2 टिप्‍पणियां:

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी ने कहा…

वाह क्या बात है...।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

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