बुधवार, 10 दिसंबर 2014

काजू-बादाम और मंत्री जी।

सुबह जैसे ही अखबार पर नज़र गई,बड़ा अफ़सोस हुआ।एक राज्य के बहुत बड़े मंत्री जी जैसे ही गाड़ी से उतरे,उनकी जेब में पड़े काजू-बादाम तुरंत ज़मीन पर आकर लोट गए।किसी नासपीटे फोटोग्राफर ने इस हादसे की फोटो भी खींच ली।पर फोटो से इस बात का पता नहीं चल रहा था कि काजू-बादाम को जेब से निकलकर राहत मिली है या मंत्री जी के मुँह में ही उनको आराम मिलता।बहरहाल,हमें मंत्री जी की चिन्ता है कि बिना काजू-बादाम के उनका क्या होगा ?

मंत्री जी बुजुर्गवार हैं।उन्हें राज्य को चलाते रहने के लिए खुद का चलते रहना ज़रूरी लगता होगा।इसके लिए सबसे ज़रूरी है कि मुँह चलता रहना चाहिए।पागुर करने से जानवर भी लम्बे समय तक अपना जीवनकाल बढ़ा लेते हैं,फ़िर ये तो मंत्री जी ठहरे।कई मंत्री और नेता तो चलते ही बुढ़ापे में हैं।इस वक्त सबसे ज़्यादा सक्रिय होने की ज़रूरत होती है।हमारे देश में एक बुजुर्ग तो भरे बुढ़ापे में प्रधानमंत्री बन गए थे।उसके बाद तो हवाला,झामुमो कांड जैसे कई काम चल निकले।एक और बुजुर्ग नेता तो आखिरी दिनों में इतना चले कि पिता तक बन गए।चलते रहने के लिए ऊर्जा की ज़रूरत होती है और ऊर्जा के लिए भोजन की।काजू-बादाम ने खुद चलकर इस परम्परा का उल्लंघन किया है।अब अगर किसी प्रोजेक्ट के काम में मंत्री जी शिथिल पड़ गए तो इसकी पूरी जिम्मेदारी इन्हीं पर होगी।इन्हें गिरना नहीं चाहिए था।इस काम को काम मंत्री जी पर छोड़ देना चाहिए।

बड़ी चिन्ता का विषय यह नहीं है कि काजू-बादाम क्यों गिरे बल्कि चिन्ता इस बात की ज़्यादा है कि इस गिरने की वज़ह से यदि मंत्री जी गिर जाते तो क्या होता ? एक गिरा हुआ मंत्री पूरे राज्य या देश को गिरा सकता है।यही बड़ा संकट है।काजू-बादाम तो और आ जायेंगे।उनका मंत्री जी की जेब में होना या किसी व्यापारी की दुकान पर होना एक-सा ही मामला है।अन्ततोगत्वा उन्हें मंत्री जी के मुँह का प्रसाद ही बनना है।हाँ,यह ज़रूर बड़ी चिन्ता का विषय है कि बिना काजू-बादाम खाए अगर जनता की सेवा की जाती है तो वह कितनी कमजोर होगी ! काजू-बादाम को मंत्री जी की जेब और मुँह में रखने से ही उनकी वास्तविक कीमत मिलती है इसलिए भी उनको वहाँ से स्खलित होने या गिरने से बचना चाहिए था।

गिरे हुए काजू-बादाम को अगर मंत्री जी का संतरी उठा लेगा तो भी क्या होगा ? न तो वह उन्हें खाकर स्वयं मज़बूत होगा और न ही उनकी कीमत बढ़ा पायेगा ! इसलिए काजू-बादाम का मंत्री जी की जेब से गिरना घोर चिन्ता का विषय है।

1 टिप्पणी:

कविता रावत ने कहा…

इतने भूखे होंगे बेचारे नहीं तो क्या जरुरत है जेब में काजू बादाम रखने की ...शायद काजू बादाम का दम घुट गया होगा जेब में पड़े पड़े ..
रोचक प्रस्तुति ..

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