गुरुवार, 12 जून 2014

एजेंडा पूरा होने के दुःख !


नई सरकार बड़ी तेजी से काम कर रही है।पहले ही दिन उसने अपने सभी मंत्रियों को सौ दिन का एजेंडा थमा दिया था पर उसके मंत्री और भी तेज निकले।दिए गए काम को पन्द्रह दिन में ही पूरा कर डाला।यह बात अलग है कि इस तथ्य पर किसी ने गौर ही नहीं किया कि मंत्रियों ने जनता से किए अधिकतर वादे कम समय में ही पूरे कर डाले।
नई सरकार की प्राथमिकता में धारा 370 को हटाना था,मंत्री जी ने शपथ लेते ही उस पर अमल कर दिया।धारा के विरुद्ध बयान देते ही इतना हंगामा कटा कि अब आने वाले पांच सालों में भी कोई इसका नाम नहीं लेगा।मंत्री जी के वश में एजेंडा पूरा करना था,सो कर लिया।अब सर्वत्र शान्ति पसरी है.
नई सरकार ने आते ही पाकिस्तान को सबक सिखा दिया है।जो देश अभी तक हमारे यहाँ लगातार आतंकवादी भेज रहा था,उसे साड़ी भेजने पर मजबूर कर दिया है।इसके बाद से ही सरकार के समर्थक ‘साड़ी से शाल को कभी मैच किया रे...’गीत गुनगुना रहे हैं।अब एक सिर के बदले दस सिरों की ज़रूरत नहीं रह गई है।
सबसे ज्यादा सुधार हमारी अमेरिकी-नीति में देखने को मिले हैं।जो अमेरिका वीसा देने में हज़ार नखरे  कर रहा था,उसने आगे बढ़कर अंकल सैम से मिलने का प्रोग्राम भी फिक्स कर दिया है।सुनने में तो यह भी आ रहा है कि अमेरिका हमारे प्रधानमंत्री के पहनावे से बहुत प्रभावित है।हो सकता है कि वह भविष्य में ‘नमो-कुरता’ और ‘नमो-सदरी’ का आयात भी करने लगे।पिछली सरकारों की इतनी नाकामी रही कि वे मुई एक सुई तक अमेरिका को न बेच पाए।
ऐसा नहीं है कि सरकार ने आर्थिक क्षेत्र में कुछ नहीं किया है।शेयर बाज़ार तीस हज़ारी पहुँचने पर आमादा है और सोना धूल फाँक रहा है।ऐसे मुनाफे के दौर में गैस के दामों में कुछ बढ़ोत्तरी और बिजली में कटौती हो जाए तो आसमान नहीं टूट पड़ेगा।विपक्ष तो उजड़कर मौन-मुद्रा में है,बहुत बोलने वाले भी सत्ता पाकर चुप्पी साधे हैं ।
इधर जनता सौ दिनों का एजेंडा पढ़ने में व्यस्त है,उधर मंत्रियों के हाथ खाली हैं .यहाँ तक कि उनके पैर छूने तक की मनाही कर दी गई है। मंत्रियों को बोलने के लिए भी मना कर दिया गया है.ऐसे में मीडिया में बिना बयान आये,कैसे पता चलेगा कि सरकार काम कर रही है ? मीडिया भी टकटकी लगाये किसी स्कूप की तलाश में लगा है पर यहाँ भी संकट है.नए लोगों को स्टिंग से बचने का ख़ास निर्देश है.ऐसे में खबर निकले तो कैसे ? भ्रष्टाचार से निपटने का काम भी पूरा हो चुका है.मंत्रियों ने अपने कार्यालयों के आगे सूचना छाप दी है कि मोबाइल और कलम के साथ भी कोई अन्दर न घुस पाए.इस तरह पांच साल तक ईमानदारी की रक्षा आसानी से हो सकेगी.
चुनाव से पहले बहुचर्चित काले धन पर भी सरकार बनते ही प्रहार हो चुका है.उसे लाने की जिम्मेदारी विशेष बल को सौंप दी गई है.अब उसका बल ही जवाबदेह होगा.

एजेंडे का जल्दी पूरा होना कितना नुकसानदेह है,यह कोई नए मंत्रियों से पूछे.

'प्रजातंत्र लाइव' में 12/06/2014 व जनसंदेश टाइम्स में 13/06/2014 को प्रकाशित 

कोई टिप्पणी नहीं:

अनुभवी अंतरात्मा का रहस्योद्घाटन

एक बड़े मैदान में बड़ा - सा तंबू तना था।लोग क़तार लगाए खड़े थे।कुछ बड़ा हो रहा है , यह सोचकर हमने तंबू में घुसने की को...