बुधवार, 24 सितंबर 2014

इंच से मील हुए रिश्तों में कील !



पहले जापान हुआ,फिर चीन और अब अमेरिका होने जा रहा है।जापान के होने का तो ऐलान वहीँ से ढोल बजाकर किया गया था पर अमेरिका जाने से पहले ही नगाड़े सुनाई दे रहे हैं।जापान और अमेरिका की ढोलबाजी के बीच में चीन कहीं गुम न हो जाए,इसके लिए उसने युद्धस्तर पर तैयारी की है।वह दूर से ही सुहाने ढोल नहीं बजाना चाहता इसलिए इंच-दर-इंच खिसकने के बजाय सीमा पर मीलों आगे बढ़ आया है।कुछ नासमझ लोग इसे घुसपैठ करार दे रहे हैं,जबकि यह निहायत दोस्ताना ताल्लुकात का नतीज़ा है।अगर वैसी कोई बात होती तो हमारे प्रधानमंत्री जी स्वयं इस पर बोलते,जैसा सीएनएन के साथ इंटरव्यू पर बोले।चीनी राष्ट्रपति इसलिए नहीं बोलते क्योंकि वे मौन होकर भी ‘तिब्बत’ कर सकते हैं,फिर ताजे-ताजे ढोकले का स्वाद क्यों खराब करें ?

मामला यह है कि चीन के सौ बन्दों ने चुमार में पाँच किलोमीटर तक पहले चहलकदमी की,फिर हमारे ज़बरदस्त प्रतिरोध के बाद वे डेढ़ किलोमीटर पीछे हो लिए।थोड़ा और शोर हुआ तो चीन ने अपने पचास बन्दे वापस बुला लिए यह समझकर कि देखभाल के लिए पचास बन्दे ही पर्याप्त हैं।अब वे बन्दे विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के हैं सो ज्यादा देर तक खड़े नहीं रह सकते थे।इसके लिए उनने सात टेंट गाड़ लिए हैं।हमने भले ही अपना इतिहास ठीक से न पढ़ा हो पर हमसे मैत्री प्रगाढ़ करने के लिए चीन के बन्दों ने हमारे इतिहास का खूब अध्ययन किया है।उन्हें पता है कि हिन्दुस्तान को अपनाने के लिए ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने भी पहले-पहल हमारी धरती पर अपने तम्बू ही लगाये थे।उसके बाद जिस तरह हमारा विकास हुआ,इतिहास जानता है।हम इतिहास पढ़ने और उससे सबक लेने वाले दकियानूसी नहीं हैं।

विशेषज्ञों ने गणना करके बताया है कि चीन हमारे यहाँ सौ बिलियन डॉलर का निवेश करेगा।उसने अपनी ओर से निवेश की शुरुआत कर भी दी है।पहली किश्त में चीन ने सौ बन्दे इसी नीयत से भेजे थे पर विकास के विरोधियों की वज़ह से यह निवेश उसे आधा करना पड़ा।फ़िलहाल हिन्दुस्तानी सीमा पर उसने पचास बन्दे और सात टेंटों का निवेश किया हुआ है।किसी को यह घुसपैठ लगती हो तो यह उसकी समस्या है।हम अभी ढोल बजाने और डॉलर समेटने अमेरिका जा रहे हैं।चीन के साथ रिश्ते ‘इंच से मील’ हो गए हैं,इसलिए दो-चार मील में उसके तम्बू गड़ जाने भर से हमारे दिल में कील नहीं चुभनी चाहिए।

2 टिप्‍पणियां:

दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 25-9-2014 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1747 में दिया गया है
आभार

Unknown ने कहा…

Zabardast aalekh .... Saty aalekh !!

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