एक साल पूरा होने पर सरपंच जी ने पंचों की बैठक बुलाई। सर्कुलर में साफ़ लिखा था कि कृपया अपनी शर्म साथ लाएँ,जो एक साल पहले तक उनके पास थी। पंच यह जानकर घबरा उठे कि बीते साल में तो उन्हें कुछ करने ही नहीं दिया गया, इस वज़ह से शर्म का भारी स्टॉक इकठ्ठा हो गया है पर बताएँ कैसे? कहीं ऐसा न हो कि यह सुनते ही उनकी नई नवेली शर्म को सरपंच जी खुदई न अपना लें।
इन पंचों में कुछ ही नए थे, बाकी पुराने घाघ और अव्वल क़िस्म के प्रपंची थे । नियत समय पर पंच इकट्ठे हुए तब सरपंच ने मन की बात शुरू कर दी।
लगभग दो घंटे तक बात-वमन करने के पश्चात सरपंच जी पंचों से अलग-अलग मुखातिब हुए ।
सरपंच:दुखमा जी, आप बताइए पिछले एक साल में आपने ऐसा क्या किया है जिस पर आपको दु:ख हो ?
दुखमा :हुजूर, जो कुछ भी किया है, आपने किया है। आपने मेरा इतना ख्याल रखा है कि हमने अपने दु:ख की तरफ़ मुड़ के देखा तक नहीं। जिधर भी नजर जाती, आपकी सेल्फी देखकर संतोष हो जाता। मैं अपनी जगह पर बिलकुल ठीक हूँ। किसी भत्ते की कमी का भी दु:ख नहीं है, सो बताऊँ क्या?
सरपंच :ओके, पोटली जी, आप अपने अनुभव शेयर करिए?
पोटली :सरकार! शेयर बाजार हमारे कंट्रोल में है। रुपया और आम आदमी अपनी औक़ात में आ गए हैं। मौसम केजरीवाल हो गया है। दिल्ली की बाक़ी ख़बर जगन्नाथ जी के पास है। फिलहाल हम पिछले साल से खूब खुशहाल हैं, तो जाहिर है कि जनता भी होगी।
सरपंच :बिलकुल ठीक। आय एम प्राउड ऑफ़ यू! हाँ तो बताइए जगन्नाथ जी, दिल्ली आई मीन देश के अंदरूनी हाल क्या हैं? बात यह है कि मैं पिछले दो घंटे सत्ताइस मिनट से यहाँ हूँ, मुझे जल्द रपट चाहिए!
जगन्नाथ :देश की तो चिंता को नी करो आप।आप बाहर ढोल, सारंगी बजाते रहें, हम सब मिलकर यहाँ बैंड बजा रहे हैं। रही बात दिल्ली की,स्थिति नियंत्रण में है। परेशानी इतनी भर है कि हमारी जंग अपनी ही बिरादर-भाइयों से है। वे बड़ी बढ़िया नौटंकी खेल रहे हैं पर पर हम आपको आश्वस्त करते हैं कि आपके रहते हम उन्हें जीतने नहीं देंगे।
सरपंच :और गणपूर्ति जी आप ! क्या अनुभव रहा एक साल का?
गणपूर्ति :सर, देश में माल की कोई कमी नहीं है। हम माँग से ज्यादा आपूर्ति कर रहे हैं। अब तो ड्राइवर ने ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं कि कुछ बुरे दिनों के लिए भी बचाकर रखा जाये। इस समय तो वैसे भी अच्छे दिन चल रहे हैं।
सरपंच :ठीक है फिर सारे लोग अपनी-अपनी सेल्फी कुछ इस तरह से लें कि सबके पेट आड़े आ जाँय। जनता को भी तो लगना चाहिए कि हम कित्ते शर्मीले हैं!
इन पंचों में कुछ ही नए थे, बाकी पुराने घाघ और अव्वल क़िस्म के प्रपंची थे । नियत समय पर पंच इकट्ठे हुए तब सरपंच ने मन की बात शुरू कर दी।
लगभग दो घंटे तक बात-वमन करने के पश्चात सरपंच जी पंचों से अलग-अलग मुखातिब हुए ।
सरपंच:दुखमा जी, आप बताइए पिछले एक साल में आपने ऐसा क्या किया है जिस पर आपको दु:ख हो ?
दुखमा :हुजूर, जो कुछ भी किया है, आपने किया है। आपने मेरा इतना ख्याल रखा है कि हमने अपने दु:ख की तरफ़ मुड़ के देखा तक नहीं। जिधर भी नजर जाती, आपकी सेल्फी देखकर संतोष हो जाता। मैं अपनी जगह पर बिलकुल ठीक हूँ। किसी भत्ते की कमी का भी दु:ख नहीं है, सो बताऊँ क्या?
सरपंच :ओके, पोटली जी, आप अपने अनुभव शेयर करिए?
पोटली :सरकार! शेयर बाजार हमारे कंट्रोल में है। रुपया और आम आदमी अपनी औक़ात में आ गए हैं। मौसम केजरीवाल हो गया है। दिल्ली की बाक़ी ख़बर जगन्नाथ जी के पास है। फिलहाल हम पिछले साल से खूब खुशहाल हैं, तो जाहिर है कि जनता भी होगी।
सरपंच :बिलकुल ठीक। आय एम प्राउड ऑफ़ यू! हाँ तो बताइए जगन्नाथ जी, दिल्ली आई मीन देश के अंदरूनी हाल क्या हैं? बात यह है कि मैं पिछले दो घंटे सत्ताइस मिनट से यहाँ हूँ, मुझे जल्द रपट चाहिए!
जगन्नाथ :देश की तो चिंता को नी करो आप।आप बाहर ढोल, सारंगी बजाते रहें, हम सब मिलकर यहाँ बैंड बजा रहे हैं। रही बात दिल्ली की,स्थिति नियंत्रण में है। परेशानी इतनी भर है कि हमारी जंग अपनी ही बिरादर-भाइयों से है। वे बड़ी बढ़िया नौटंकी खेल रहे हैं पर पर हम आपको आश्वस्त करते हैं कि आपके रहते हम उन्हें जीतने नहीं देंगे।
सरपंच :और गणपूर्ति जी आप ! क्या अनुभव रहा एक साल का?
गणपूर्ति :सर, देश में माल की कोई कमी नहीं है। हम माँग से ज्यादा आपूर्ति कर रहे हैं। अब तो ड्राइवर ने ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं कि कुछ बुरे दिनों के लिए भी बचाकर रखा जाये। इस समय तो वैसे भी अच्छे दिन चल रहे हैं।
सरपंच :ठीक है फिर सारे लोग अपनी-अपनी सेल्फी कुछ इस तरह से लें कि सबके पेट आड़े आ जाँय। जनता को भी तो लगना चाहिए कि हम कित्ते शर्मीले हैं!
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