शुक्रवार, 24 अगस्त 2012

सपनों पर टैक्स नहीं है !


२३/०८/२०१२ को जनसंदेश में !
                            

      हम इस देश की नब्ज़ को जानने वाले इकलौते हैं इसलिए साठ सालों से देश की गद्दी पर विराजमान हैं | इस तरह हम आम जनता की समझ और अपनी उपयोगिता को अच्छी तरह से जान-समझ गए हैं | दूसरों को गलती से एक-आध मौक़ा मिल भी गया तो उन्होंने यह साबित कर दिया कि राज करने के लिए बहुमत के अलावा भी कुछ चाहिए होता है जो सिर्फ हमारे पास है |हम सपने नहीं देखते ,बल्कि दूसरों को दिखाते हैं | हम यह भी चाहते हैं कि दूसरे किस तरह के और कैसे सपने देखें | इसलिए देश की जनता और विपक्षी दल अंधाधुंध सपने देखें क्योंकि हमने उन्हें टैक्स–फ्री कर रखा है |  यह बात अब हमको खुलकर कहनी पड़ रही है ताकि सपनों को लेकर किसी को कोई भ्रम न रहे ! हमने जनहित में ही यह मर्म सारे देश के सामने खोल दिया है क्योंकि कुछ विरोधी दलों ने लगातार आपत्तिजनक सपने देखने शुरू कर दिए हैं |

समाजवादी पार्टी के लोग जब से उत्तर प्रदेश में सत्ता में आए हैं,कुछ ज़्यादा ही सपने देखने लगे हैं| उनके नेता मुलायम सिंह जी ने अपने बेटे को सत्ता देकर उसका सपना तो पूरा कर ही दिया,अपने सपने को बड़ा पद मिलने तक मुल्तवी रखा है | दर-असल इस तरह उन्होंने प्रधानमंत्री बनने के सपने को अभी से आरक्षित करने की कोशिश की है ,जबकि यह बात जग-जाहिर है कि निकट भविष्य में ऐसा कोई पद खाली नहीं है | देश की आज़ादी के वक्त ही हमने देश से एक वादा कर लिया था कि उसकी सेवा का अधिकार केवल हमें ही होगा | इस पर किसी से कोई बात नहीं हो सकती है | यह सब जानते हुए भी नेताजी रह-रह के गलत सपने देख रहे हैं कि अगली बार आम चुनाव में तीसरे मोर्चे की सरकार बन सकती है और उसमें उनके लिए भरपूर संभावनाएं हैं |

बस,इसी बात पर हमने पूरी स्थिति स्पष्ट करनी चाही है और सबको बता दिया है कि भइया, सपने देखो,सपनों पर कोई टैक्स नहीं है पर अपनी सीमा में रहकर यह काम करो | यह बात दूसरों को नागवार गुजर रही है | उन्हें इस बात पर मलाल है कि सपने देखना क्या खानदानी अधिकार है ?अगर ऐसा ही कोई नियम है तो नेताजी ने भी देश और प्रदेश की सेवा के लिए परिवार के कई सदस्यों को लगा रखा है |अब ऐसे लोगों को क्या समझाया जाए ? उन्हें नहीं मालूम कि एक आम आदमी और युवराज के सपने एक नहीं हो सकते हैं फ़िर दूसरों की चीज़ पर कोई लार कैसे टपका सकता है ?

पिछले कुछ दिनों से नितीश कुमार और नरेन्द्र मोदी ने भी अपने सपनों को जनता के सामने ज़ाहिर किया है | जनता अडवाणी जी के सपनों का हश्र तो पहले ही देख चुकी है इसलिए अब वह ज़्यादा ‘रिस्क’ नहीं लेना चाहती है | यह बात अडवाणी जी समझ चुके हैं तभी वे दूसरों के सपनों को तोड़ने में लग गए हैं | नए स्वप्न-दृष्टाओं को लेकर हम असहज नहीं हैं क्योंकि सपनों पर टैक्स नहीं है इसीलिए ये बेतहाशा बढ़ रहे हैं | हमने पूरी योजना के साथ काम किया है | हम चाहते हैं कि ऐसे सपनों के निःशुल्क होने से एक ही पद के लिए कई दावेदार पैदा हो सकें ताकि हम अपने काम को मूर्त रूप दे सकें और दूसरे केवल सपने देखते रहें | हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि यह भी है कि बढ़ती हुई महंगाई जहाँ हमारे खजाने को भरेगी वहीँ आम जनता इसके घटने को लेकर सपने देखने में मशगूल रहेगी | विपक्ष भी और कोई काम न करके इस सपनीली-दुनिया में घूमता रहेगा और हम जनता के बीच इस बात को दम ठोंककर कह सकते हैं कि देखो,हमने सपनों पर कोई टैक्स नहीं लगाया है |
दैनिक ट्रिब्यून के 'खरी-खरी' स्तंभ में ०२/०९/२०१२ को !

 

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