मंगलवार, 21 अगस्त 2012

बाबा की महाक्रांति !

डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट में २३/०८/२०१२ को प्रकाशित

आखिरकार बाबा ने दिल्ली में लालकिले के बगल से स्वतंत्रता-दिवस की पूर्व-दोपहर में उस महाक्रांति की शुरुआत कर दी जिसका ऐलान सुनने को कई तरह के लोग बेताब थे.बाबा ने सचमुच में चमत्कार ही कर दिया है जिससे केवल स्विस बैंक में जमा धन काला हो गया और देश के अंदर सारे नेताओं,अफसरों और बाबुओं की कमाई एक झटके में सफ़ेद ! इस तरह की क्रांति में हमारे देश के प्रतिष्ठित नेता भी खुलकर औपचारिक रूप से बाबा के साथ आ गए हैं.इससे यह आशा भी बलवती हुई है कि खुद बाबा के कई संस्थानों की रकम भी दूध की धुली हो जायेगी.

वैसे मैं चमत्कारों पर यकीन नहीं करता पर जब बाबा के साथ भ्रष्टाचार और काले धन के मुद्दे पर चौटाला,पवार,माया,मुलायम आदि को देखा तो घनी तसल्ली हो गई कि कुछ भी हो सकता है.रेड्डी-बंधुओं,येदियुरप्पा,मोदी,बंगारू जैसे महान नेताओं से सुसज्जित दल ने तो बाबा को हाथोंहाथ उठा लिया या यूँ कहिये कि उन्हें गोद ले लिया.अन्ना के झटके के बाद भाजपा और संघ को बाबा से ही उम्मीद थी.जो लोग खुलकर अन्ना के साथ भ्रष्टाचार और लोकपाल के लिए लड़ाई लड़ना चाहते थे वे उनके राजनैतिक दल बनाने से इस पुण्य-कार्य से वंचित हो गए थे.अब बाबा ने ऐसे सभी देशप्रेमी भक्तों के लिए अपना मंच खुला छोड़ दिया है.

बाबा का मुख्य मुद्दा कालेधन को लेकर रहा है.इस विषय में कांग्रेस और कम्युनिस्टों के अलावा तकरीबन सभी दलों ने पूरा सहयोग देने की प्रतिज्ञा बाबा से कर ली है.लगता है कि कांग्रेस ने इस पर समर्थन न देकर यह मान लिया है कि स्विस खातों में उसके कुछ नेताओं के पैसे हो सकते हैं पर बाकियों ने समवेत-स्वर से इसकी वापसी की सहमति देकर अपने को पाक-साफ़ घोषित कर लिया है.इस तरह जो बाबा के साथ हैं,उनका देश-विदेश का सारा पैसा अपने-आप सफ़ेद हो गया है.इस मामले में कांग्रेस चूक गई है.बाबा तो उसके भी धन को सफ़ेद करना चाहते थे.उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया था कि यदि सरकार उनसे बात कर लेती तो कांग्रेस ही नहीं पूरी सरकार को वे शुद्धता-प्रमाणपत्र जारी कर देते !

बाबा ने अपने आखिरी उद्बोधन में देश के आखिरी आदमी के सपनों की बात कही.गाँधी,जेपी और लोहिया को याद किया.साथ में वहीँ से ऐलान किया कि चौटाला,पवार,माया,मुलायम आदि की पार्टियां उनके इस मिशन में साथ हैं.इसमें सबसे बड़ी भूमिका राष्ट्र-भक्त पार्टी की है और उसके कई नेता उजले और सफ़ेद कपड़े पहनकर मंच में बोलते दिखाई भी दिए.उन पर उपस्थित जनता का इतना भरोसा रहा कि उनसे किसी ने यह भी नहीं पूछा कि पाँच साल सत्ता में जब वे रहे थे तो क्या काला धन या भ्रष्टाचार नहीं था ?

इतने सारे ईमानदार नेताओं को बाबा की इस मुहिम में देखकर लगता है कि सारा भ्रष्टाचार केवल आम आदमी का है.पूरे देश में किसी अफ़सर,बाबू या नेता या उद्योगपति के पास कोई काला धन नहीं है.स्विस बैंक में जमा धन केवल कांग्रेसियों का है और वही काला है.इस तरह से बाबा की महाक्रांति ने शुरुआत में ही काफ़ी बड़ी मात्रा में कालेधन को सफ़ेद कर दिया है.यदि आपके पास भी है तो बाबा की शरण में चले जाओ,चमत्कार हो जायेगा !

1 टिप्पणी:

संतोष त्रिवेदी ने कहा…

यहाँ पर विस्तृत-विमर्श
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