१७/१०/२०१२ को 'जन संदेश टाइम्स ' में..
१७/१०/२०१२ को 'दैनिक ट्रिब्यून' में...
१८/१०/२०१२ को 'जनवाणी' में
श्रीटाइम्स में २४/१०/२०१२ को ! |
जैसे ही टीवी खोलकर
समाचार-चैनल लगाया,मंत्री जी पानी माँग रहे
थे। सवाल-जवाब तो हमारी समझ में ज़्यादा नहीं आए पर एक फ्रेंच-कट दाढ़ीनुमा पत्रकार
बार-बार उनसे सवाल की माँग कर रहा था और मंत्री जी पानी की।वह कई गिलास अपने हलक से नीचे उतार चुके थे और कह रहे थे कि उसे न्यायालय में
देखेंगे। पत्रकार भी बावला था,वहीँ दिखाने पर आमादा था। हमसे मंत्री जी की
यह हालत देखी नहीं गई और उनसे गज़ब की सहानुभूति पैदा हो गई। लगा कि इस क़ातिल वक्त
में हमें ज़रूर उनके पास होना चाहिए क्योंकि मीडिया और सत्ता का साथ तभी तक अच्छा
रहता है जब तक उसमें मिठास बनी रहे। हमें मंत्री जी की सेहत की फ़िक्र हो रही थी,जिसे अब तक बड़े जतन से उन्होंने मेन्टेन कर रखा था।
अगले ही दिन हम
मंत्री जी के यहाँ थे। बंगले के गेट पर पहुँचते ही संतरी ने पहला सवाल पूछा कि आप
किस चैनल से हैं। हमने कहा भाई हम छोटे-मोटे पत्रकार हैं लेकिन यह आप पूछ क्यों
रहे हैं ? उसने उत्तर दिया कि वो बस
इतना जानना चाहता था कि कहीं हम सबसे तेज चैनल से तो नहीं है ?हमने तुरत इसका खंडन किया और फ़िर गेट के अंदर प्रविष्ट हो गए। मंत्री जी लॉन
में ही मैडम के साथ बैठे पानी पी रहे थे। हमें देखते ही बोले,’आओ भई,एक आप ही हैं जो हमें समझते हैं वर्ना आपकी
बिरादरी ने तो हमें बारादरी में बैठने लायक नहीं छोड़ा है। ’
हमने अपनापा दिखाते
हुए कहा,’आप तफसील से अपनी बात कहें,भरोसा रखिये,आप पाक-साफ़ निकलेंगे। ’मंत्री जी ने लंबी साँस लेते हुए कहा,’यह सब हमारे विरुद्ध
साजिश रची जा रही है। हमने यूँ ही कह दिया था कि आलाकमान के लिए अपनी जान दे देंगे
पर कुछ सिरफिरे लोगों ने इसे लागू करने की ठान ली है। मैंने पहले ही साफ़ कर दिया
था कि प्रेस-कांफ्रेंस हमारे मुताबिक चलेगी। यह भी कि हम केवल जवाब देने आए हैं,किसी सड़क वाले आदमी के सवाल का और तेज चैनल के बवाल का उत्तर देने नहीं । ’ ‘फ़िर क्या हुआ?’ हमको भीषण जिज्ञासा
हो रही थी।
‘भई ,हम इस देश के कानून मंत्री हैं। हम कानून पढ़ाते
और सुनाते हैं,सुनते नहीं। इसी भावना को ध्यान में रखते हुए हम
मजमा लूटने की तैयारी में थे। एक फोटू और एक गवाह का भी इंतजाम कर लिया था। शो
बिलकुल सही जा रहा था,पर तेज चैनल के पत्रकार ने
हमको हल्के में लिया और बड़ा चिरकुट टाइप का सवाल पूछने लगा। हमें सवाल से कहीं
अधिक उसकी चिरकुटई पर गुस्सा आ रहा था। अब इत्ती-सी रकम को हमने और हमारी सरकार ने
पहले कभी डिफेंड किया ही नहीं और वे हैं कि हमारी जान के पीछे पड़ गए। बस,इसी वजह से हम पानी पर पानी पी गए कि कहीं चुल्लू भर रकम के लिए पानी कम न पड़
जाए। ’ ‘पर अब आप क्या करेंगे?’ ‘कुछ नहीं,मानहानि के दावे की रकम को सौ करोड़ से बढाकर दो
सौ करोड़ कर देंगे। ’ ‘लेकिन एकदम से रकम
इतनी ज़्यादा...?’ मंत्री जी हमें
आश्वस्त करते हुए बोले ,’प्रेस कांफ्रेंस में
जो इतना पानी पिया है,उसका बिल कौन भरेगा ?कानून मंत्री को पानी पिलाने वालों को कुछ तो सबक सिखाना होगा। ’
तब तक कुछ बंदे एक
चल पाने में असमर्थ व्यक्ति को टाँगकर उनके पास ले आए और मंत्री जी को बधाई देते
हुए बोले,’अब इन्हें सुनाई भी नहीं
देता है। आप जो भी कहेंगे,ये सिर हिला देंगे। ’हमने देखा कि मंत्री जी ताली बजाने का अभ्यास करने लगे । उन्हें सहज होते
देखकर हम वहाँ से खिसक आए ।
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