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नई दुनिया में ३०/१०/२०१२ को प्रकाशित |
(साजिशों का मौसम !)
भाइयों और बहनों,हम सब के लिए यह संकट का समय है।मौजूदा
वक्त में हम अपने अस्तित्व की अंतिम लड़ाई लड़ रहे है।अगर समय रहते हम नहीं चेते, तो सब मारे जायेंगे।यह साजिशों का मौसम है।लगभग हर रोज़ हममें से किसी का फोटो
सड़क और टीवी पर उछाला जाता है।हमारे ऊपर हर किस्म के आरोप लगाए जा रहे हैं।यह बात
हम तक रहती तब भी ठीक था,पर अब तो पानी सिर से ऊपर
जा चुका है।लोग हमारे दामाद, ड्राइवर और ज्योतिषी तक खबर रख रहे हैं ।पार्टी
अध्यक्ष और हाईकमान तक को कीचड़ और डैम में घसीटा जा रहा है। आरोप लगाने वालों और
आरोप सहने वालों में एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ मची हुई है।
आजकल जिस तरह थोकभाव
से आरोप लग रहे हैं, इससे बड़ी साजिश की बू आ रही है।अभी तक आरोप लगाने का काम केवल
विपक्षी पार्टी के लिए आरक्षित होता था,पर नए चलन में उसको
भी घेरे में ले लिया गया है।पहले हम आपस में बारी-बारी से एक-दूसरे पर आरोप लगाकर
सत्ता-सुख का बंटवारा कर लेते थे ,पर अब हमारे ऊपर
दुतरफा मार पड़ रही है।हम चाहे सत्तापक्ष के हों या विपक्ष के,हमें घोटालों के विरोध में बयान तक देने के लायक नहीं समझा जा रहा है।वैसे हमारी आपस में अलिखित सहमति इस
बात को लेकर बनी हुई है कि हम एक-दूसरे के बाल-बच्चों को लेकर बिलकुल ‘सेफ और फेयर गेम’ खेलेंगे,पर इधर कुछ लोग आत्मघाती गोल करने के प्रयास में लगे हुए हैं।
दोस्तों,हमारी सम्पूर्ण प्रजाति खतरे में है।हर दूसरे-तीसरे दिन चैनलों के आगे
मुट्ठीभर लोग अनाप-शनाप बकते हैं और मीडिया अपनी टीआरपी बढ़ाने के चक्कर में हमारी पुरखों
की पुण्याई को मिट्टी में मिलाने की कोशिश
करता है।इन हमलों से बचने का एकमात्र नुस्खा यही है कि हम सबको समवेत स्वर से
इन्हें साजिश करार देना है,साथ में यह भी कहना है कि आरोप लगाना तो आजकल फैशन-सा
हो गया है।इस तरह के दो-तीन पंक्तियों के रेडीमेड बयान हमारे हर प्रवक्ता के पास
होने चाहिए,जो किसी भी समय इनका सदुपयोग कर सकें। हमारे
प्रवक्ता जब भी मीडिया को बयान दें या किसी चैनल में बहस करें तो बोलने से ज़्यादा
बेशर्म हंसी का समुचित स्टॉक अपने पास रखें,इससे सारे आरोप अपने आप हवा में उड़
जायेंगे।
अब जब आरोप लगाने का
सिलसिला चल ही पड़ा है तो मेरी सभी भाइयों से अपील है कि जिसके पास कुछ भी छिपाने
लायक है,वह इस साजिशी-मौसम का फायदा उठाकर उन्हें उजागर
हो जाने दे। वैसे भी देर-सबेर हमारे जांबाजों के कारनामे सबके सामने आने ही हैं तो
अभी आ जाने से हमें साजिश का संबल भी मिल जायेगा। हम साफ़-साफ़ बयान देंगे कि किसी
बड़े पर आरोप लगाना तो अब फैशन में शुमार हो गया है और यह सब एक साजिश के तहत हो
रहा है। इसके लिए हम बाहरी शक्तियों का भी नाम ले सकते हैं,इससे हमें काफ़ी सहूलियत मिलेगी।साथ ही,हम अपने दामादों,बेटों,ड्राइवरों,पुरोहितों से कह दें कि वे निश्चिन्त होकर स्वरोजगार-कार्यक्रम
में लगे रहें।एहतियात के तौर पर हम सबको अपनी-अपनी ज़मीनों में ज़्यादा से ज़्यादा
सेब के बागान लगा देने चाहिए ताकि ऐसी साजिशों का मुँहतोड़ ज़वाब दिया जा सके।
1 टिप्पणी:
आज हम ब्लॉग जगत से जुड़ा एक बड़ा खुलासा करने जा रहे हैं -ब्लॉग जगत के जप्तशुदा प्रेम प्रसंग -बढ़ा लीजिये अपनी टी आर पी !
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