मंगलवार, 4 नवंबर 2014

यह आकाशवाणी की मासिक प्रसारण सेवा है!

हम अपना वादा हर हाल में निभाएंगे।अगर काला धन अभी वापस नहीं ला पाए हैं तो वादा भी हमने वापस नहीं लिया है।हम आकाशवाणी करते हैं कि पाई-पाई वापस लायेंगे।यदि हमसे काले धन की पाई न पाई गई तो रत्ती-माशा जो भी मिल पायेगा,हम लायेंगे।हम पर भरोसा रखें और हर बार अपने भरोसे को रीचार्ज करते रहें।यह आकाशवाणी की मासिक प्रसारण सेवा है।दूर से ही हमारे प्रवचनों का आनंद उठाएँ और सुखी जीवन बिताएँ।

कुछ लोग काले धन को लेकर ज्यादा ही संवेदनशील हो गए हैं।हमारे लिए यह आस्था का प्रश्न है।आस्था भरोसे और विश्वास की चीज़ होती है।आपकी ईश्वर पर आस्था है,भले ही वह अदृश्य होता है,पर आप मानते हैं कि नहीं ? ईश्वर के होने और न होने के विषय में प्रश्न उठते रहते हैं क्योंकि वह कोई तर्क का नहीं आस्था का विषय है।काले धन को लेकर हमारी भी यही सोच है।आस्था में हिसाब-किताब का प्रश्न कहाँ उठता है ?

लोगों को काले धन के प्रति हमारी निष्ठा पर संदेह नहीं करना चाहिए।जो लोग ऐसा सोचते हैं,उनके लिए बता दूँ कि इसीलिए हमने पूरा वित्त विभाग ही रक्षा के सुपुर्द कर दिया है।वित्त वाले उसकी बखूबी रक्षा कर रहे हैं।वे उस धन को,धनिक को और हमारे एग्रीमेंट को बड़ी कुशलता से बचा रहे हैं।हमें ऐसे सिपहसालारों पर गर्व है।एक दिन आपको भी होगा।

हम आकाशवाणी करते रहेंगे।प्राचीन समय से ही लोगों में आकाशवाणी की विश्वसनीयता पर कोई संदेह नहीं है।तब भी किसी विशेष घटना के घटित होने पर आकाशवाणी होती थी और वो सच निकलती थी।सबसे बड़ी बात यह थी कि उससे कोई सवाल-जवाब भी नहीं कर सकता था।उसका बोला फरमान की तरह था।लोग अपनी संस्कृति और सभ्यता भूल रहे हैं।हम संकल्प लेते हैं कि हम देश के अतीत को फिर से जगायेंगे।पाई-पाई वापस लाने से हमारे इतिहास का गौरव बढेगा।उनके ‘इंच-इंच कश्मीर’ का जवाब हम ‘पाई-पाई पैसा’ से देंगे।विज्ञान,भूगोल के साथ-साथ हम गणित भी दुरुस्त करेंगे।अब यही काम तो बचा है करने को।

जिनको हमारे कहे पर आस्था है,वे अगले पाँच साल तक अपने सुझाव-सलाह देते रहें।हम बात करते रहेंगे।विदेशी मुद्रा के स्टॉक की तरह हमारे पास बात का भी अकूत स्टॉक है।डायरी में दूध-सब्जी-फल का हिसाब लिखने के बजाय अगले महीने होने वाले समागम की तारीख नोट कर लें और घर बैठे आनंद उठायें।हम पर भरोसा रखें।हम पाई-पाई नहीं छोड़ेंगे।आपका समय शुभ हो !

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