बुधवार, 7 जनवरी 2015

हम नया विज्ञान बनाएँगे।

जो लोग बार-बार कह रहे थे कि नई सरकार आने पर भी कुछ नहीं बदला,सब वैसे ही है,उनके मुँह पर करारा तमाचा लगा है।कई सालों से एक ही परिवार की सरकार को उखाड़ फेंककर पहले तो इतिहास बनाया गया,फिर बयानों और किताबों के ज़रिये इतिहास को बदला गया।सरकार जब कुछ नया करने की तलाश में थी,धर्म ने उसमें अड़ंगी लगाई तो उसकी भी ‘घरवापसी’ कर दी गई।अब राजनीति ‘अधर्म’ होकर निश्चिन्त हो गई है और उसने धर्म को भी सही ठिकाने पर लगा दिया है।इतना सब होने पर भी विद्वेषियों को चैन नहीं आया और वे ‘अच्छे दिन कब आयेंगे’ का जुमला उछालने से बाज नहीं आ रहे थे।इस पर सरकार को बदलाव के संकेत तो देने ही थे,सो उसने विज्ञान की ओर निहारा।

इतिहास और धर्म के दुरुस्त हो जाने के बाद विज्ञान भी कातर नेत्रों से उसी ओर देख रहा था।आखिर सरकार के लोगों ने ‘जय विज्ञान’ का हुँकारा भरते हुए पुराने ग्रन्थ और पांडुलिपियाँ खोज डालीं।उन्हें पता लगा कि हवाई जहाज का आविष्कार ‘राइट ब्रदर्स’ ने नहीं,हमारे ही किसी बंदे ने किया था।उसकी खोज दुनिया के सामने इसलिए नहीं आ पाई क्योंकि हम भारतीय स्वभाव से बड़े संकोची होते हैं।अब जब दुनिया से न डरने वाली और न झुकने वाली सरकार देश में काबिज हो गई है तो विज्ञान में हुई गड़बड़ियों को भी जल्द सुधारा जायेगा।हो सकता है कि कल को यह भी पता चल जाय कि अमेरिका की खोज कोलम्बस ने नहीं हमारे ही किसी मछुआरे ने की थी।अब यही सब बदलाव तो करने हैं और हो भी रहे हैं।
विज्ञान के अंदर बड़े पैमाने पर बदलाव सम्भावित हैं।गिनीस बुक वालों को फिर से अपना रिकॉर्ड दुरुस्त करने की ज़रूरत है।रामायण काल में हमारे यहाँ पुष्पक विमान था,जिसमें कितने भी लोग बैठ जाएँ, फिर भी एक सीट खाली रहती थी।पत्थरों पर नाम लिखकर समुद्र में तैराना रहा हो या तीर मारकर पाताल से पानी निकालना,ये सारे अजूबे हमारी ही देन है।अब देखिये ना,शून्य की खोज हमने की पर हमारे पल्ले शून्य ही आया।इसको ही बदलना है।

दुनिया को अब यह भी जान लेना चाहिए कि विज्ञान केवल करने या होने की चीज़ नहीं है।उसे किताबों में बदलकर भी हासिल किया जा सकता है।बदलाव हो रहा है पर दिखना भी तो चाहिए।इसलिए बदलाव हो भी रहे हैं।आपको नहीं दिखता है तो अपना चश्मा बदल लें।हम नया इतिहास बना चुके हैं,अब नया विज्ञान बनायेंगे।

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