अंकल सैम आए और हमें लहालोट करके चले गए। बताया जा रहा है कि इस दौरे में कई रिकॉर्ड टूटे हैं। टूटे तो विपक्षी दलों के दिल भी हैं,पर वे किसी तरह किरिच-किरिच हो चुके टुकड़ों को संभालने में जुट गए हैं। पड़ोसी देशों ने तो बकायदा अपने-अपने दिल टूटने के साक्ष्य प्रस्तुत किये हैं। पाकिस्तान ने चीन का काउंटर-दौरा करके बताया कि उसकी सेहत बिगाड़ने की कोई भी कोशिश नाकाम कर दी जाएगी,वहीँ चीन को दिल का दौरा पड़ा है। उसके दिमाग ने सुझाया है कि भारत और अमेरिका की दोस्ती बनावटी है बिलकुल चीन-पाकिस्तान की तरह। बहरहाल,हमारे प्रधानमंत्री ने अमेरिकी राष्ट्रपति को उनके नाम से बुलाकर जाहिर कर दिया कि ये दोस्ती नौ इंच की दीवार पर उकड़ू बैठ कर घरबार की बातें बतियाने के स्तर तक जाती है।
ओबामा के भारत आने के कई असर बताए जा रहे हैं। एक तो यह कि मीडिया का ध्यान केजरीवाल से हटा इससे भाजपा का डर घटा। दूसरे यह कि अमेरिका भी चाहता है कि दिल्ली में भाजपा की सरकार बने। इस यात्रा ने यह भी साफ़ किया कि किसी सरकारी कार्यक्रम में निमन्त्रण अधिकारी नहीं भगवान देते हैं या भाजपा। गणतन्त्र दिवस के समारोह में इसीलिए किरन बेदी मौजूद रहीं। भाजपा और भाग्य दोनों उनके साथ हैं।अोबामा ने हिन्दुस्तान के साथ -साथ उन्हें भी उड़ा दिया है। देखना यही है कि रिज़ल्ट के बाद दिल्ली ही न उड़ जाय! वहीं केजरीवाल चुनावी-मौसम में आम से ख़ास बनने को आतुर हैं पर दावत के बजाय उन्हें अदावत ही मिल रही है।
रिकॉर्ड पर लगातार नज़र रखने वाले जोड़-घटाकर बता रहे हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति केवल पैंतालिस मिनट तक खुले आसमान के तले रह सकते हैं पर वे यहाँ पूरे एक सौ बीस मिनट तक रहे। यह गिनीस बुक में नया रिकॉर्ड हो सकता है। अगर उनकी तरफ से यह रिकॉर्ड बनाया गया है तो हमारी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ी गई। दिल्ली गणतंत्र में पहली बार छाते के नीचे आई।हमारे प्रधानमंत्री ने अंकल सैम को खुलेआम अपने हाथों से चाय बनाकर पिलाई। इस आधार पर सत्ताधारी पार्टी भविष्य में अमेरिकन राष्ट्रपति को पानी पिलाने का दावा भी ठोंक सकती है।ओबामा भी कई सौदों को निपटाने के चक्कर में मोदी के साथ टहलते रहे। अंततः किसने किसको टहलाया,यह तो समय ही बताएगा ?
कहते हैं कि जहाँ ओबामा ठहरे थे,वहाँ आसपास ’मैंनू शॉपिंग करा दे....’ का रिकॉर्ड लगातार बज रहा था। आखिर मिशेल के कहने पर उन्होंने हमारे कटोरे में चार अरब डॉलर डाले और अपनी जान बचाई !
ओबामा के भारत आने के कई असर बताए जा रहे हैं। एक तो यह कि मीडिया का ध्यान केजरीवाल से हटा इससे भाजपा का डर घटा। दूसरे यह कि अमेरिका भी चाहता है कि दिल्ली में भाजपा की सरकार बने। इस यात्रा ने यह भी साफ़ किया कि किसी सरकारी कार्यक्रम में निमन्त्रण अधिकारी नहीं भगवान देते हैं या भाजपा। गणतन्त्र दिवस के समारोह में इसीलिए किरन बेदी मौजूद रहीं। भाजपा और भाग्य दोनों उनके साथ हैं।अोबामा ने हिन्दुस्तान के साथ -साथ उन्हें भी उड़ा दिया है। देखना यही है कि रिज़ल्ट के बाद दिल्ली ही न उड़ जाय! वहीं केजरीवाल चुनावी-मौसम में आम से ख़ास बनने को आतुर हैं पर दावत के बजाय उन्हें अदावत ही मिल रही है।
रिकॉर्ड पर लगातार नज़र रखने वाले जोड़-घटाकर बता रहे हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति केवल पैंतालिस मिनट तक खुले आसमान के तले रह सकते हैं पर वे यहाँ पूरे एक सौ बीस मिनट तक रहे। यह गिनीस बुक में नया रिकॉर्ड हो सकता है। अगर उनकी तरफ से यह रिकॉर्ड बनाया गया है तो हमारी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ी गई। दिल्ली गणतंत्र में पहली बार छाते के नीचे आई।हमारे प्रधानमंत्री ने अंकल सैम को खुलेआम अपने हाथों से चाय बनाकर पिलाई। इस आधार पर सत्ताधारी पार्टी भविष्य में अमेरिकन राष्ट्रपति को पानी पिलाने का दावा भी ठोंक सकती है।ओबामा भी कई सौदों को निपटाने के चक्कर में मोदी के साथ टहलते रहे। अंततः किसने किसको टहलाया,यह तो समय ही बताएगा ?
कहते हैं कि जहाँ ओबामा ठहरे थे,वहाँ आसपास ’मैंनू शॉपिंग करा दे....’ का रिकॉर्ड लगातार बज रहा था। आखिर मिशेल के कहने पर उन्होंने हमारे कटोरे में चार अरब डॉलर डाले और अपनी जान बचाई !
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