08/08/2013 को हरिभूमि में ! |
देखिये जी ,हमारे
पास एसएमएस आ रहे हैं कि हमारी लोकप्रियता उतार पर है,इस बात को हम अफ़वाह मानकर
रद्द कर रहे हैं।हम ‘इंडियन आइडल’ की तरह एसएमएस भेजकर मुख्यमंत्री नहीं बने हैं।हमारी
जनता ने हमें पाँच साल के लिए चुना है और यह चुनाव के द्वारा ही साबित होगा कि हम
कैसे हैं।हमें एसएमएस भेजकर या मीडिया(प्रिंट,सोशल,इलेक्ट्रॉनिक)के द्वारा
अलोकप्रिय सिद्ध करना केवल विरोधियों की साजिश है।कुछ लोगों को युवा मुख्यमंत्री
की प्रगति से जलन हो रही है इसलिए आये दिन अपनी ताक में लगे रहते हैं।जब देश चलाने
वालों को कोई रोक-टोक नहीं है तो हम प्रदेश वाले ही क्यों रुकें ?
अपने अफसरों को कसना
हम अच्छी तरह से जानते हैं।हम आईएएस ना हुए तो क्या ,इन पर नकेल लगाने की हमारी
पुश्तैनी ट्रेनिंग होती है।वैसे तो सरकार के सारे पुर्जे बाई-डिफॉल्ट उसी के साथ
होते हैं,फिर भी एकाध पीस अगर खराब निकल जाता है तो उसकी मरम्मत का इंतजाम भी
हमारे पास है। हम तो कहते हैं कि बड़े अफसरों की उत्तम प्रदेश को ज़रूरत ही नहीं है।हमारी
पार्टी के कार्यकर्त्ता बेहद उत्साही हैं।वे कानून-व्यवस्था का सारा काम स्वयं अपने
हाथ में ले सकते हैं।जनता की सेवा में कहीं खोट न रह जाए इसके लिए हमने चाक-चौबंद
व्यवस्था की हुई है।जहाँ हमारी युवा टीम में नवाब व राजा सरीखे बेहद अनुभवी लोग
हैं,वहीँ शासन को घर-परिवार का अहसास दिलाने के लिए दो-दो चाचा हर समय सेवा के लिए
तत्पर रहते हैं।इन सबसे ऊपर हमारे नेताजी हैं जो हमें बराबर मार्गदर्शन देते रहते
हैं।हम प्रदेश की इतनी सेवा करना चाहते हैं कि नेता जी देश की सेवा करने लायक बन
जांय।बस यही हमारा मिशन है।
हम पर घटिया आरोप
लगाये जा रहे हैं कि हम रेत से पैसा बनाने वालों के साथ हैं।यह इलज़ाम हास्यास्पद
है।हमें रेत से तेल निकालने की क्या ज़रूरत जब पूरी घानी ही हमारे पास है।सबसे बड़ी
बात यह है कि जनता ने हमें इसलिए चुना है कि हम उसे लैपटॉप और साइकिल बाँटें,तो हम
घानी तो पेरेंगे ही।अब इस पिसाई के बीच में कोई अफसर आये या आम आदमी,उसकी गलती है।जनता
हमें चुनती है और हम जनता के पैसे को।इसलिए अगली बार दाना डालने के लिए तैयारी अभी
से जारी है।हमें कोई अफसर थोड़ी ना वोट देता है,फिर हम अपने लक्ष्य को पाने के लिए
उसकी फ़िक्र क्यों करें ?
अफसर तो हमारे चाकर
होते हैं।अमूमन वे हमारे सामने साष्टांग या दंडवत की मुद्रा में आते हैं पर अगर
किसी को ईमानदारी की बीमारी हुई तो हम झाड़-फूँक से उसका इलाज़ करवा देते हैं।इस
क्रिया में हमारे कार्यकर्त्ता सभा में ताल ठोंककर ललकारते हैं और उस अफसर को
शांति–सौहार्द बनाए रखने का पाठ भी पढ़ाते हैं।साथ ही,हमारे मंत्री और सहयोगी बयान
दे-देकर कई नए सच उजागर करते हैं।
हम बता दें कि हमारे
प्रदेश के मसले निजी मसले हैं।अगर केन्द्र को ज्यादा तकलीफ है तो वह अपने अफसर
अपने पास तोता बनाकर रख ले।हम तो उसके प्रधानमंत्री के बिना भी अपना काम चला सकते
हैं,हमारे पास अपने नेता जी हैं।इस सब की वज़ह यह है कि हम घने लोकप्रिय हैं।
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