बुधवार, 27 मार्च 2013

यूपीए का होली-मिलन !

27/03/2013 को जनसन्देश में !

यूपीए अध्यक्ष सोनिया जी ने अपने आवास पर होली-मिलन का कार्यक्रम रखा तो बड़ी संख्या में उनके सहयोगी शामिल हुए। इसमें वे भी लोग शामिल हुए जो कभी सरकार के अंदर रहे या बाहर से अपना हाथ हिलाते-मिलाते रहे। जो हाल-फ़िलहाल इस सरकार से अपना हाथ छुड़ाकर भागे हैं वे भी आये। सोनिया जी ने सोचा होगा कि सरकार को समर्थन देते या वापस लेते उनके हाथ थक गए होंगे,सो होली-मिलन के बहाने उन हाथों में पिचकारी थमा दी जाय। अगले साल इस तरह होली-मिलन का मौका मिले न मिले,इसलिए भी यह आयोजन ज़रूरी था। सत्ता और सरकार से जुड़े पत्रकार होने के नाते हमें भी न्योता आया था इसलिए हम भी मिलन-स्थल पर पहुँच गए।
हम जैसे ही मुख्य-द्वार पर पहुँचे,अगल-बगल तारकोल से भरे दो ड्रम दिखाई दिए। हमने इन ड्रमों के बारे में वहाँ तैनात कार्यकर्ताओं से बात की तो पता चला कि यह आपातकालीन सेवा है और पत्रकारों के लिए इससे डरने की ज़रूरत नहीं है। ये काले ड्रम केवल सहयोगी दलों की सेवा के लिए हैं। इसका प्रयोग अंदर जाने वालों पर नहीं होता है। अगर कोई अचानक बाहर निकलने की कोशिश करेगा तो ये स्वतः खुल जायेंगे और उसका मुँह और कोई रंग लगाने लायक नहीं बचेगा । हमें आभास हुआ कि दरवाजे पर कई आँखें होली खेलने के मूड में बेकरार बैठी हैं। हम जल्दी से मिलन-स्थल की तरफ़ रवाना हो गए।
अंदर का माहौल बड़ा खुशनुमा था। एक बड़े से पंडाल के नीचे दरी बिछा दी गई थी। कुछ कुर्सियां भी पड़ी थीं पर होली खेलने में उन्हें थोड़ा परेशानी हो रही थी । कुछ नेता गज़ब के होशियार थे जो कुरता-धोती पहनकर आए थे। इससे उन्हें जगह बदलने में तनिक भी कष्ट नहीं हो रहा था। वे कुर्सी और दरी दोनों जगह अपने को आराम से एडजस्ट कर रहे थे। होली-मिलन का औपचारिक कार्यक्रम शुरू होता कि उसके पहले ही एक बखेड़ा खड़ा हो गया।
पता नहीं कहाँ से बेनी बाबू आए और नेताजी की बाल्टी का रंग उन्हीं के ऊपर उड़ेल दिया। नेता जी इस हरकत से एकदम हरे हो गए। उनकी बाल्टी में भरा हरा रंग उन्हीं पर डाल देने से हडकंप मच गया। उन्हें लगा कि कि अब उनकी होली का क्या होगा ?उनके पास एक ही रंग था,जिसे उनके ही पुराने चेले ने चौपट कर दिया। नेता जी ने बेनी बाबू पर अपना पहलवानी दाँव आजमाया और वो दरी पर धड़ाम हो गए। इतने में हो-हल्ला सुनकर सोनिया जी आ गईं ।उन्होंने नेता जी से हाथ जोड़कर बेनी बाबू की गलती पर अफ़सोस जताया। नेता जी थोड़ा मुलायम हुए तो बेनी बाबू ने उनके कान में फुसफुसाकर कहा कि मैडम के हाथ जोड़ने का गलत अर्थ मत लगा लेना। उन्होंने आपको समझाया है कि अगर आप हमारे साथ होली नहीं खेलेंगे तो आपके हाथ ऐसे ही बंध जायेंगे। नेता जी कुछ समझ पाते कि सोनिया जी ने होली-मिलन की औपचारिक घोषणा कर दी।

ममता और करुणा अपनी खाली पिचकारियाँ लिए खड़े थे। सोनिया जी ने उन पर थोड़ा अबीर-गुलाल उड़ाया पर उन दोनों का ध्यान पास में रखी रंग से भरी बाल्टी पर था। इस बाल्टी से नेताजी और बहिन जी अपनी लंबी पिचकारी से रंग निकालने लगे। इसी बीच दरवाजे के बाहर खड़े कुछ लोग उनके पास आए और कान में कुछ बोल गए। फ़िर क्या था,नेता जी और बहिन जी ने सोनिया जी से गले मिल-मिलकर खूब होली मनाई,गुझिया खाई। वे दोनों अब दरवाजे की ओर देख भी नहीं रहे थे। हम वहीँ दरी पर बैठकर भांग घोलने लगे ।इसके बाद वहाँ क्या हुआ कुछ पता नहीं।






कोई टिप्पणी नहीं:

साहित्य-महोत्सव और नया वाला विमर्श

पिछले दिनों शहर में हो रहे एक ‘ साहित्य - महोत्सव ’ के पास से गुजरना हुआ।इस दौरान एक बड़े - से पोस्टर पर मेरी नज़र ठिठक ...