मंगलवार, 20 अगस्त 2013

गरीबी जी अब मन से खुश हैं !

 
२०/०८/२०१३ को नेशनल दुनिया में !
 

नुक्कड़ पर अचानक गरीबी जी अमीरी जी से टकरा गईं । गरीबी जी रोज फुटपाथों और गलियों में टहला करती थीं पर अमीरी जी का सातवें तल्ले से नीचे उतरना कभी-कभार ही हो पाता था। इसलिए दोनों का जब आमना-सामना हुआ तो एकबारगी गरीबी जी भौंचक रह गईं । अमीरी जी ने गरीबी जी को दूर से ही पहचान लिया। वह ज़मीन पर धड़ाम हुए रूपये को उठा रही थीं,यह सोचकर कि ये ऊपर रहती हैं,इन्हीं का होगा। पर अमीरी जी ने गिरे हुए रूपये की ओर निहारा तक नहीं। उन्होंने पास खड़ी सकुचाती हुई गरीबी जी से मुखातिब होते हुए कहा,’कहो बहन ! आजकल तो सब जगह तुम्हारे ही चर्चे हैं। सरकारी योजनाओं और बड़े-बड़े अख़बारों में तुम खूब गिरी और बिखरी पड़ी हो ! जिसको देखो वही तुम्हारे ऊपर बयान झाड़ रहा है। हमारी तो खबर भी तभी आती है जब गलती से कहीं छापा पड़ता है या स्कैम खुलता है। दुखद यह है कि किसी भी खबर में हमारे साथ कोई नहीं है ;और तो और हमारा सगा भाई रुपया भी मुँह के बल गिरा पड़ा है। ’

गरीबी जी को पहली बार अपने होने पर गर्व हुआ। उनकी इतनी चर्चा है और वे इससे अनजान हैं। नरम लहजे में वे अमीरी जी से बोलीं,’ बड़ी बहन ! हम तो पहले से ही ज़मीन पर हैं । अब इससे नीचे तो जा नहीं सकते। आप ऊपरवालों को यह सहूलियत रहती है कि जितना चाहें ,नीचे गिर सकते हैं। आपको थामने के लिए रूपये की नहीं डॉलर की ज़रूरत पड़ती है। शुक्र है कि आपको डॉलर सँभाल लेता है,वर्ना गिरा हुआ रुपया भी हमें नसीब न हो। रही बात खबर में रहने की,सही बात तो ये है कि बड़े पन्नों में भले हमारी फोटू छपे पर हमारी खबर हाशिए में ही होती है। आप दिल छोटा न करें। हमारे चर्चे करके ही सरकार आपके लिए खर्चे का प्रबंध करती है। सुना है कि मनरेगा में हमारी दिहाड़ी बढ़ा दी गई है,अब आप ज्यादा खुशहाल होंगी। हमारा क्या है ,हम तो पाँच और बारह रूपये में अपना पेट भर लेते हैं पर आपकी तो पाँच-सितारा चाय भी सौ रूपये की बैठती है। इसलिए हमारे चर्चे से ज्यादा ज़रूरी आपका खर्चा है। ’’

‘पर तुम्हें तो अब ‘डाइरेक्ट-कैश’ दिए जाने की तैयारी है। ऐसे में हमारा जुगाड़ कैसे होगा ?’अमीरी जी अभी भी अपने भविष्य के प्रति आशंकित लग रही थीं। गरीबी जी ने उन्हें आश्वस्त करते हुए बताया ,’बहन ! अब आपको परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। हमारे हाकिम ने कहा है कि गरीबी केवल एक मानसिक दशा है। इसलिए हम भी निश्चिन्त हैं। आगे से जेब में पाँच रुपये होंगे तो मन में हम यह बैठा लेंगे कि पाँच सौ हैं। इस तरह ढाबे पर बैठकर हम पाँच-सितारा भोजन का मजा ले पाएंगे। यह सब आपकी कृपा से संभव हुआ है। ’ इतना सुनते ही अमीरी जी मुस्कराते हुए निकल गईं।
 

1 टिप्पणी:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सच ही है, उन पर इतनी चर्चा जो हो रही है।

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