सूखा चर्चा में है।ज़मीन पर भी इसका असर दिख रहा है और आँखों पर भी।सूखा किसी के प्राण हरता है तो किसी की इमेज भी बनाता है।सूखा मौक़ा है,उपलब्धि भी।किसान के लिए सूखा अभिशाप है तो नेताजी के लिए वरदान।सुख से वंचित होने और सुख को पाने का संयोग सूखा ही देता है।यह उसकी किस्मत है कि वह सूखे से क्या ले पाता है !
नेताजी सूखे के दौरे पर गए।अधिकारियों ने आश्वस्त किया कि ज़नाब अबकी बार वाला सूखा भयंकर है।भूकम्प नापने वाले रिक्टर पैमाने की मदद ली जाए तो इसकी भयावहता मापी जा सकती है।बिना आधिकारिक माप के समस्या में वजनता नहीं आती।काम को प्राथमिकता इसी वजन से मिलती है।नेताजी इसी उम्मीद से दौरे पर थे।पर यह क्या ! भीषण सूखे के बीच पानी का एक पोखर कैसे मिल गया !यह तो भविष्य की योजनाओं पर पानी फेरने वाली घटना हो गई।
नेताजी ने फिर भी आस नहीं छोड़ी।उन्हें अपने नायक का चेहरा याद आ गया।झट से फोन निकाला और सूखे के बैकग्राउंड में अपने चेहरे को चस्पाकर चमकदार सेल्फ़ी खींच ली।उनकी आँखों की कोरों में जमा पानी उसी पोखर वाले पानी में मिल गया।अब सीन ज़ोरदार था।नेता था,पानी था और इन सबको निहारता असहाय सूखा।
नेताजी ने फ़टाक से 'सेल्फ़ी विद सूखा' प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया।सोशल मीडिया नेताजी के इस सुकर्म-प्रवाह से पानी-पानी हो गया।बाढ़ आ गई।इस तरह सूखे के निपटान की प्रारम्भिक तैयारी हुई।अफ़सर खुश।सरकार खुश।और जनता,वह तो चुनाव के बाद से ही खुश है।
कुछ लोग सूखे को भूखे के साथ जोड़ने पर आमादा हैं।उन्हें समझ नहीं कि सूखे का सामना करना कविताई तुकबन्दी नहीं है।सूखा और भूखा सुनने में एक जैसे भले लगते हैं पर महसूसते अलग-अलग हैं।असली भूखे तो उसके इंतज़ार में ही रहते हैं।नकली भूखे सूखा आते ही निकल लेते हैं।उनको सद्गति मिलती है और इनको अद्भुत छवि।
भूखे और कमज़ोर लोग किसी समाज के लिए उपयोगी नहीं हैं।सरकार का फ़ोकस 'मेक इन इंडिया' पर है।उसमें जगह-जगह से पिचके और दरिद्र-छवि वाले पुतलों की ज़रूरत नहीं है।इससे देश की ग्लोबल इमेज और विदेशी निवेश को धक्का पहुँच सकता है।कम से कम हमारी सरकार इतनी सचेत तो है।
देश में पानी की कमी का रोना रोने वालों को पानी वाली सेल्फ़ी देखनी चाहिए।इससे भी हमारे रहनुमाओं पर भरोसा न हो तो वे दृश्य देखें,जब मंत्री जी के आगमन पर हेलीपैड या कई किलोमीटर दूर सड़क को पानी-पानी किया जाता है।और कुछ न हो तो टीवी खोलकर आईपीएल का अभिजात्य खेल ही देख लें,जिसमें पिच को तरबतर किया जाता है।
नेताजी,मंत्रीजी सब लोग सूखे को लेकर चिंतित हैं।जल्द ही 'सेल्फ़ी विद पानी' की छवि देश के सामने होगी, जिससे हमें उनकी आँखों में पानी होने की गवाही मिल जाएगी।भीषण सूखे में इतना पानी तो बचा ही है !
नेताजी सूखे के दौरे पर गए।अधिकारियों ने आश्वस्त किया कि ज़नाब अबकी बार वाला सूखा भयंकर है।भूकम्प नापने वाले रिक्टर पैमाने की मदद ली जाए तो इसकी भयावहता मापी जा सकती है।बिना आधिकारिक माप के समस्या में वजनता नहीं आती।काम को प्राथमिकता इसी वजन से मिलती है।नेताजी इसी उम्मीद से दौरे पर थे।पर यह क्या ! भीषण सूखे के बीच पानी का एक पोखर कैसे मिल गया !यह तो भविष्य की योजनाओं पर पानी फेरने वाली घटना हो गई।
नेताजी ने फिर भी आस नहीं छोड़ी।उन्हें अपने नायक का चेहरा याद आ गया।झट से फोन निकाला और सूखे के बैकग्राउंड में अपने चेहरे को चस्पाकर चमकदार सेल्फ़ी खींच ली।उनकी आँखों की कोरों में जमा पानी उसी पोखर वाले पानी में मिल गया।अब सीन ज़ोरदार था।नेता था,पानी था और इन सबको निहारता असहाय सूखा।
नेताजी ने फ़टाक से 'सेल्फ़ी विद सूखा' प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया।सोशल मीडिया नेताजी के इस सुकर्म-प्रवाह से पानी-पानी हो गया।बाढ़ आ गई।इस तरह सूखे के निपटान की प्रारम्भिक तैयारी हुई।अफ़सर खुश।सरकार खुश।और जनता,वह तो चुनाव के बाद से ही खुश है।
कुछ लोग सूखे को भूखे के साथ जोड़ने पर आमादा हैं।उन्हें समझ नहीं कि सूखे का सामना करना कविताई तुकबन्दी नहीं है।सूखा और भूखा सुनने में एक जैसे भले लगते हैं पर महसूसते अलग-अलग हैं।असली भूखे तो उसके इंतज़ार में ही रहते हैं।नकली भूखे सूखा आते ही निकल लेते हैं।उनको सद्गति मिलती है और इनको अद्भुत छवि।
भूखे और कमज़ोर लोग किसी समाज के लिए उपयोगी नहीं हैं।सरकार का फ़ोकस 'मेक इन इंडिया' पर है।उसमें जगह-जगह से पिचके और दरिद्र-छवि वाले पुतलों की ज़रूरत नहीं है।इससे देश की ग्लोबल इमेज और विदेशी निवेश को धक्का पहुँच सकता है।कम से कम हमारी सरकार इतनी सचेत तो है।
देश में पानी की कमी का रोना रोने वालों को पानी वाली सेल्फ़ी देखनी चाहिए।इससे भी हमारे रहनुमाओं पर भरोसा न हो तो वे दृश्य देखें,जब मंत्री जी के आगमन पर हेलीपैड या कई किलोमीटर दूर सड़क को पानी-पानी किया जाता है।और कुछ न हो तो टीवी खोलकर आईपीएल का अभिजात्य खेल ही देख लें,जिसमें पिच को तरबतर किया जाता है।
नेताजी,मंत्रीजी सब लोग सूखे को लेकर चिंतित हैं।जल्द ही 'सेल्फ़ी विद पानी' की छवि देश के सामने होगी, जिससे हमें उनकी आँखों में पानी होने की गवाही मिल जाएगी।भीषण सूखे में इतना पानी तो बचा ही है !