३०/११/२०१२ को नैशनल दुनिया में... |
'जनसंदेश टाइम्स' में २८/११/२०१२ को प्रकाशित |
आज़ादी के समय से ही देश में आम आदमी चर्चा में रहा है। गाँधी जी ने स्वयं ज़ोर
देकर कहा था कि हमारी आज़ादी तभी सार्थक होगी जब देश की हर योजना अंतिम व्यक्ति
तक पहुँचेगी,उसके केन्द्र में होगी। गाँधी जी का अंतिम व्यक्ति यही आम आदमी था। आज़ादी
मिलने के बाद सत्ता तो खास लोगों को मिली और आम आदमी को मिली बस एक उम्मीद। हमारे
रहनुमा इसी उम्मीद को परवान चढ़ाने के काम
में तभी से लगे हैं। आज़ादी के बाद बनने वाले सभी विकास-कार्यक्रम और पंचवर्षीय
योजनाएं आम आदमी के लिए थीं। हमारे नेताओं ने इस काम को देश-सेवा के चलते बखूबी
निपटाया। हर योजना इसी आम आदमी के नाम पर बनने-संवरने लगी। नेता और अधिकारी दोनों
पढ़े-लिखे थे सो उन्होंने यह भी पढ़ रखा था कि ‘नाम में क्या रखा है ’ इसलिए उसने हर
जगह आम आदमी का नाम तो दिया पर सपने अपने पूरे कर लिए । इस तरह लगभग सभी पार्टियों
ने आम आदमी का भरपूर ख्याल रखा और आम आदमी भी अपना नाम पाकर ही खुश रहने लगा।
गाँधी जी द्वारा दिये गए मंतर को राजनेताओं ने भलीभांति समझा और उसका अवमूल्यन
नहीं होने दिया। पिछले पैंसठ सालों से आम आदमी का दिखावटी रोष और रहनुमाओं का कोष
बढ़ता रहा। एक पार्टी ने तो बकायदा आम आदमी के गिरेबान को अपने हाथ से ही पकड़ लिया
और सबको बताया कि इस पर उसी का हक बनता है। आज़ाद हिंदुस्तान में आम आदमी इतने काम
का निकला कि पूछिए मत। सब कुछ उसी के नाम पर हो रहा है और इसलिए उसको शिकायत करने
या रोने का हक भी नहीं है। जब सब कुछ उसी के द्वारा,उसी के लिए किया जा रहा है तो
कैसी शिकायत और किससे गिला ?नेता-अफसर मिलकर ताबड़तोड़ आम आदमी के नाम पर सारा काम
खुद कर लेते हैं। इतने पर भी आम आदमी को अगर कोई योजना नहीं मिल पा रही है तो
सरकार सब्सिडी देकर उस तक अपनी उपस्थिति अवश्य पहुंचाती है।इस तरह आम आदमी को
सब्सिडी के अनुकूल बना दिया गया है ।
आम आदमी अब महज़ नाम नहीं एक उत्तम कोटि का ब्रांड बन गया है । उस पर पूरे देश
की अर्थ-व्यवस्था टिकी हुई है,वह अरबों-खरबों के बज़टवाला एक बड़ा उपक्रम हो गया है।
ऐसे में दूसरी पार्टियाँ उसके लिए कुछ सोचें,करें इससे अच्छा है कि आम आदमी को ही
पार्टी बना दिया जाय,इसी सोच को ध्यान में रखकर देश में एक अलग विकल्प लाया गया
है। अब आम आदमी ही पार्टी होगा,वही योजनाएं बनाएगा और उसी तक सारी योजनाएं आएँगी।
आम आदमी पार्टी का उद्देश्य यह भी है कि देश के लोग खास बनने का झूठा सपना देखना
बंद कर दें,वे सब अधिकारिक रूप से अब आम ही बने रहेंगे। इस पार्टी के बन जाने से
अब ऐसे सपनों पर भी लगाम लगेगी जो पिछले पैंसठ सालों से आम आदमी देख रहा है। अब
उसे शुरू से ही यह बात स्पष्ट रहेगी कि उसे हमेशा आम ही रहना है। उसे कोई ज़हमत
उठाने की ज़रूरत नहीं है,इसलिए आम आदमी ने खास बनना फ़िलहाल मुल्तवी कर दिया है ।