रविवार, 26 दिसंबर 2021

महान बनने का अनोखा ऑफ़र

सुबह उठकर मैंने जैसे ही मेल खोली,रोम-रोम फड़क उठा।सर्दी में भी गर्मी का एहसास हो गया।लेखकों की नामी-ईनामी संस्थामलेसकी-चिट्ठीआई थी।मलेसके बारे में यदि नहीं जानते तो आप साहित्यिक दुनिया के जीव नहीं हैं।ऐसे भले-भोले लोगों के लिए मैं पहले इसका ख़ुलासा कर दूँ फिर उस पर लिखे मज़मून पर आता हूँ।मलेसमतलबमहान लेखक समिति।इसके बारे में काफ़ी समय से सुन रखा था पर सीधे संपर्क का सौभाग्य कभी नहीं मिला।आज जब अचानक मेल आई तो उसमें लिखे एक-एक शब्द को गौर से पढ़ने लगा।इतने ध्यान से तो अपना लिखा हुआ भी कभी नहीं पढ़ा।यह सज़ा मैं अकेले क्यों भुगतूँ,इसलिए आपको भी इसका हिस्सेदार बना रहा हूँ।पत्र में बिना किसी झिझक के बेलाग लिखा था;


हममलेसअध्यक्ष के सगे प्रवक्ता की ओर से आपको बेहतरीन ऑफ़र पेश कर रहे हैं।हमें आप जैसे बेसब्र लेखकों की सख़्त ज़रूरत है जो लेखन से अधिक हमारे अध्यक्ष के लिए प्रतिबद्ध हों।संस्था और सरकार की कारगुजारियों से दूर रहकर केवल लेखन में तल्लीन हों।लिखना क्या है और किस पर है,इसकी परवाह क़तई करें।यह हम पर छोड़ दें।सरकार जिस तरह रोज़ सियासत कोगाइडकर रही है,नए संस्कार दे रही है,वही हम साहित्य के साथ कर रहे हैं।औरों की तरह हम सिर्फ़ लेखक ही नहीं बनाते,उनको ठीक से संस्कारित भी करते हैं।अलेखक को लेखक दूसरे गुट वाले भी बनाते हैं, पर हममहानबनाकर छोड़ते हैं।हमसे जुड़ते ही लेखक को महान होने कीरेगुलर फ़ीलिंगआने लगती है।हमारी समिति का अध्यक्ष ऑलरेडी महान है।इसका प्रमाण है कि व्हाट्सऐप ग्रुप में सभी उनकी दैनिक आरती उतारते हैं।बदले में वे सदस्यों के लिए अधिकतमसम्मानमुहैया कराते हैं।कोई भी सम्मान उनकीपकड़से बाहर नहीं रहा।यही कारण है कि अब तक पाठक उनकी रचनाओं को पकड़ नहीं पाए हैं।कई आत्माएँ तो उनकी रचनाओं को पढ़कर पहले ही अमर हो चुकी हैं।वे बड़े रचनाकार हैं।रचना से भी बड़े।इसीलिए वे खुद को रचना से आगे रखते हैं।ये कुछ विशेषताएँ हैं जो हमारे अध्यक्ष जी को महान बनाती हैं।



अपनी संस्था के बारे में हम अपने मुँह से और क्या बताएँ ! दिल्ली हो या भोपाल,लखनऊ हो या बनारस,साहित्य-जगत में होने वाली निंदक-सभाओं सेमलेसियोंकी रेटिंग पता चल जाएगी।हमारे यहाँ प्रतिभाएं कूट-कूट कर भरी हैं।हम लेखक को इतना महीन कूटते हैं कि अंततः वहमहानमें तब्दील हो जाता है।एक और बात,हम बड़ी बारीकी से अपने सदस्यों की गतिविधियों पर नज़र रखते हैं।अध्यक्ष की आलोचना करने की हमारी कोई परंपरा नहीं है।हम साहित्य मेंशिष्टाचार-वादके समर्थक हैं।जो उनका नियमित रूप से सम्मान करते हैं हमारे यहाँ उनकासम्मानकरने की निश्चित व्यवस्था की गई है।यह काम बिलकुल पारदर्शी और लोकतांत्रिक तरीक़े से किया जाता है।अध्यक्ष जी को छोड़कर समिति के सभी सदस्य चंदा जमा करते हैं।इसी चंदे कोसम्मानसमझकर हम आपस में बाँट लेते हैं।लेखक कोआत्म-सम्मानके बदलेसम्मानवापस मिल जाता है।वे भी ख़ुश रहते हैं,हम भी।इस तरह हमारीसम्मान-परंपरासे किसी को भी ठेस नहीं पहुँचती।यह हमारी उदारता का एक छोटा-सा उदाहरण है।और हाँ,हम पर कभी किसी बाहरी कोसम्मानितकर देने का आरोप नहीं लगा।यह हमारे अपनेपन का विनम्र उदाहरण है।इतनी उदार और विनम्र समिति में घुसकर आप स्वतः इससम्मानके हक़दार हो जाएँगे।


किंतु,हमारी इस महान संस्था से जुड़ने के लिए कुछ शर्तें भी हैं।लेखक को विवेक-वायरस से संक्रमित नहीं होना चाहिए।मलेसीबन जाने के बाद किसी और गुट से बौद्धिक और शारीरिक दूरी का कड़ाई से पालन करना होगा।इससे भविष्य में संक्रमण का ख़तरा नहीं रहता।अगर चोरी-छुपे किसी और गुट से तार जुड़ने की ख़बर मिलती है तो आपकेसम्मानपर ग्रहण लगने की पूरी व्यवस्था की जाएगी।जुड़ेच्छुक सदस्य संवाद की जगह विवाद करने में सिद्धहस्त हो,इससेमलेसका विस्तार करने में मदद मिलती है।सदस्यों के लिखे पर उँगली उठाना वर्जित है।यह काम हमग़ैर-मवेसियोंके लिए पूरी शिद्दत से करते हैं।हम में सौहार्द-भावना प्रगाढ़ हो,इसलिए सदस्य ग्रुप में सिर्फ़बधाईऔरशुभकामनाएँले-दे सकते हैं।


यदि आपको अभी भी हमारे प्रोजेक्ट में ज़रा-सी रुचि है और आपके पास थोड़ा-सा भी आत्म-सम्मानबचा है तोमहानबनना क़तई मुमकिन है।हमारे गुट में स्थान बेहद सीमित हैं।तीन सौ सक्रिय सदस्यों में फ़िलहाल हम सभी कोसम्मानितकर चुके हैं।सरकार की तरह हम कोईबैकलॉगनहीं रखते।इसलिए हमसे जुड़ते ही आपसम्मानके पात्र हो जाएँगे।यह भी हमारी महानता है कि आपकी कोई पुस्तक हमने नहीं पढ़ी,पर आपकोमहानबनाने की हमारी निजी चाहत है।

पूरी चिट्ठी पढ़कर हमने ज़ोर से साँस ली।माहौल में ऑक्सिजन की कोई कमी थी, आँखों में पानी की,इसलिएमहानबनने के लक्षण साफ़ नज़र आने लगे।मैंने तुरंत ऑफ़र कोहाँकह दी।


संतोष त्रिवेदी 


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