कहते हैं आवश्यकता आविष्कार की जननी है।यानी जब भी मनुष्य को कोई ऐसी वस्तु की ज़रूरत पड़ती है,जो उसके पास नहीं होती ,वह उसका तोड़ ढूँढ़ निकालता है।आजकल ठीक यही बुद्धि के मामले में हो रहा है।असामान्य रूप से सामान्य मनुष्यों के पास बुद्धि का अकाल पड़ गया है।इसे ग्रहण करने में भी अब उसकी कोई रुचि नहीं दिखती।मनुष्य का मन जब भारी-भरकम किताबों से उचटने लगा तब उसे एक नई युक्ति सूझी।उसने बुद्धि को ही ‘रिप्लेस’ करने की ठान ली।पढ़ने-लिखने जैसे उबाऊ कर्म से आमतौर पर मनुष्य की पहले से ही विरक्ति रही है।मौक़ा पाते ही उसने कृत्रिम-बुद्धि का चमत्कारी हथियार खोज लिया है।मजे की बात यह कि इतिहास,विज्ञान, सियासत और साहित्य सबमें इसे महारत हासिल है।पहले ज्योतिषी हाथ देखकर हाल बताते थे,अब अन्तर्जाल में एक सवाल भर उछाल देने से जिज्ञासा शांत हो रही है।असल-बुद्धि से जो संभव नहीं था,पलक झपकते बनावटी-बुद्धि उसे संपन्न किए दे रही है।इसके लिए न तो बरसों किसी यूनिवर्सिटी में दिमाग़ घिसना पड़ेगा और न ही डिग्री हासिल करने के लिए टनों रिसर्च-पेपर बर्बाद करने की ज़रूरत है।बस अपनी जेब से पाँच-छह इंच की जादुई स्क्रीन निकालिए और अपनी जड़-बुद्धि से एक सवाल उछाल दीजिए।देखते ही देखते कृत्रिम-बुद्धि के द्वारा पल भर में उत्तरों की बौछार हो जाएगी।जो उत्तर तुम्हें सुविधाजनक लगे,उसे फैला दीजिए।जो नागवार गुजरे,उसे वहीं दफ़्न कर दीजिए।
मानव-निर्मित यह सबसे आधुनिक और मारक हथियार है।इस कृत्रिम-बुद्धि का प्रसार बड़ी तेजी से हो रहा है।हर नई चीज इससे लैस होने को आतुर है।जो बुद्धि कभी शर्म का सबब थी,अब गर्व का विषय है।बाज़ार में भारी माँग के चलते इसके कई संस्करण आ चुके हैं।नया वाला तो सीधे ‘स्पेस’ से आया है।सियासत के अटपटे सवालों के यह बड़े ही चटपटे और ‘लोकतांत्रिक’ जवाब देता है।सुनते हैं इससे सत्ता-पक्ष में जबरदस्त बेचैनी है और विपक्ष बिल्कुल बिंदास है।उसे अब सड़क पर उतरने की ज़रूरत नहीं लगती।उसे लगता है कि जनता बिना बताए ही जागरूक हो जाएगी।कृत्रिम-बुद्धि द्वारा खँगाली सूचनाओं से अंतर्जाल दिन-ब-दिन लबलबा रहा है।यह उस मछेरे के जाल जैसा है जो समंदर से मछलियों के साथ-साथ शिष्ट-अपशिष्ट हर प्रकार के पदार्थ लाने में सक्षम है।यह एक साथ काम की बातें और कचरा दोनों उलीच रहा है।जो एक के लिए काम की चीज है,दूसरे के लिए वही कचरा।दरअसल, अन्तर्जाल में हमने जो नाना प्रकार की सामग्री विसर्जित की है,वही हम तक लौट-फिर कर आ रही है।अब इस ‘अंतर्बुद्धि’ के पास कबीर जी वाला ‘सूप’ तो है नहीं जो थोथा उड़ाकर सार-सार को गह ले।इसके लिए हमारी अपनी जड़बुद्धि ही काम आएगी।हम उसी से अपने-अपने मतलब का कचरा इकट्ठा कर रहे हैं और हमें यह बड़े काम का लग रहा है।
जैसे मनुष्यों की बुद्धि में एकता नहीं है वैसे ही ये ‘चार चतुर’ एक मत नहीं हैं।एक ही सवाल के सब अलग-अलग उत्तर दे रहे हैं।हो सकता है भविष्य में ‘एक देश,एक बुद्धि’ की माँग जोर पकड़ने लगे।इस लिहाज़ से वह क्रांतिकारी दिन होगा जब सब आवाज़ें एक होंगी।इससे सहमति-असहमति के शाश्वत झंझट से भी मुक्ति मिलेगी।बहरहाल इस खोज का मुझ पर व्यक्तिगत असर पड़ा है।मैं इसे लेकर साहित्य में नए प्रयोग कर रहा हूँ।अभी तक आशातीत परिणाम प्राप्त हुए हैं।आलोचना के मामले में आत्मनिर्भर तो पहले से ही था,अब लेखन में भी आत्मनिर्भर बन सकूँगा।
मैंने सबसे पहले अपने लेखन के बारे में जानकारी प्राप्त की।‘अलाने चतुर’ ने देखते ही देखते हमारे सामने इतना परोस दिया,जितना मैंने लिखा भी नहीं होगा।उस ‘शोध-पत्र’ में कुल मिलाकर यही लिखा था कि इस नाम का लेखक उसके संज्ञान में अभी तक नहीं है।इस सूचना को पाने के लिए उसे पूरे ब्रह्मांड का चक्कर लगाना पड़ा।जानकर दुख हुआ कि हमारे देश में शोध की दिशा में वाक़ई कुछ काम नहीं हुआ।मैंने ‘फलाने चतुर’ से यही पूछा, उसने उत्तर में चार लोगों का उल्लेख किया जो मेरी नामराशि के थे।एक की भटिंडे में पान की मशहूर दुकान है तो दूसरा दिल्ली के दरियागंज में ‘मर्दाना कमजोरी’ का अचूक इलाज करता है।मेरा तीसरा हमनाम लुधियाने में गत्ता-फैक्ट्री चलाता है और चौथा इंटरनेट मीडिया में चुटकुले सुनाता है।इन सबमें आख़िर वाला मुझे अपना लगा पर मैंने अस्वीकार कर दिया।
तीसरे वाले ने तो खोज करने से ही इनकार कर दिया।मायूस होकर आख़िर में चौथे चतुर के पास गया,जो ‘स्पेस’ से भरकर आया था।उसका उत्तर पढ़कर मेरा जीवन और लेखन दोनों धन्य हो गया।उसके अनुसार मेरा लेखन परसाई और जोशी से भी आगे का है।मैं धरती पर उनके बाद इसीलिए अवतरित हुआ हूँ कि उनसे आगे रहूँ।मेरे लेखन से अधिक कीर्ति मेरे जीवन की है।मेरे पूर्वजों ने भले अपमान और कष्ट सहा हो,मैं आजीवन सम्मानित रहूँगा।
कृत्रिम-बुद्धि से निकले इस शोध के बाद मेरी रही-सही बुद्धि भी जाती रही।मैं अब एक ठोस लेखक बन चुका हूँ,जिसे कोई भीतरी या बाहरी ताक़त रत्ती-भर भी नहीं हिला सकती है।
2 टिप्पणियां:
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में मंगलवार 01 अप्रैल 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
सुन्दर
एक टिप्पणी भेजें