आज धृतराष्ट्र से अधिक संजय बेचैन दिख रहे थे।महल के विश्राम-कक्ष में वह इधर-उधर टहल रहे थे।महाराज यह जानकर चिंतित हो उठे,‘ क्या बात है संजय ? युद्ध तो समाप्त हो चुका फिर क्यों विचलित हो ? जो अनिष्ट होना था,हो चुका।’ संजय सहसा ठिठक गए ,‘राजन, महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ है, भारत का नहीं।मैं कलियुग में हो रहे ‘भारत युद्ध’ की बात कर रहा हूँ।युद्ध-विराम की घोषणा के बाद भी युद्ध समाप्त नहीं हो रहा है।यह मेरे लिए बिल्कुल नया अनुभव है।पहले युद्ध आमने-सामने होते थे,शत्रु भी दिखाई देता था।लड़ने वालों को पता था कि वे किसके विरुद्ध लड़ रहे हैं किंतु यह युद्ध उनसे अलग है।सामने से कोई लड़ रहा है, पीछे से कोई और।मेरी तो मति ही चकरा रही है यह देखकर।’
यह सुनकर सम्राट कौतूहल से भर उठे,‘ कहो संजय ! युद्ध का वृत्तांत सुने हुए लंबा समय हो गया।मेरा मन भी अशांत है।मैं युद्ध में प्रत्यक्ष भाग नहीं ले सकता पर इसका आनंद तो उठा ही सकता हूँ।तुम्हारी दिव्य-दृष्टि पर मुझे पूर्ण विश्वास है।तुम दोनों पक्षों की स्थिति का सत्यता से वर्णन करोगे।’ महाराज के मुख से ऐसे वचन सुनकर संजय पुलकित हो गए फिर शीघ्र ही सँभलते हुए बोले ,‘ आप भूल रहे हैं राजन ! यह द्वापर नहीं कलियुग का दृश्य है।व्यास जी ने कृपा करके मेरी दिव्य-दृष्टि को युग-युगांतर तक ‘रिचार्ज’ कर दिया है, तभी यह सब देख पा रहा हूँ।पहले मैं ही सब कुछ बताता था पर अब सूचनाओं के असंख्य द्वार खुल गए हैं।जिसे देखो,वही अपना चैनल खोले बैठा है।जितने चैनल,उतनी बातें।पहले शत्रु टूटते थे,अब समाचार टूटते हैं।कलियुग में इसी को ‘ब्रेकिंग न्यूज़’ कहते हैं।यहाँ तक कि रिपोर्टर और एंकर ख़बरों से ज़्यादा मिसाइलें फेंक रहे हैं।जितना वे सब देख पा रहे हैं,उसका दशमांश भी मेरी दृष्टि से परे है।’ कहते हुए संजय हाँफने लगे।
‘कहानियाँ न गढ़ो,समाचार कहो ,संजय ! और यह तुम्हारी भाषा क्यों भ्रष्ट हो गई है? युद्ध-क्षेत्र में अपनी और शत्रु की सेनाएं क्या कर रही हैं, तनिक स्पष्ट और विस्तार से बताइए।’ महाराज आकुल होते हुए बोले।संजय उत्तर के लिए पहले से तैयार थे, ‘ राजन, यह आधुनिक भाषा है।आप अभी पिछले युग में ही जी रहे हैं।इस युग में भाषा,भाव और भक्ति सब बदल गई है।रही बात सेनाओं की,वे मुझे भी नहीं दिखाई दे रहीं हैं।मेरे सम्मुख केवल सूचनाएं हैं।इनका इतना विस्फोट है कि हर क्षण स्थिति बदल रही है।मुझे अपनी दृष्टि पर विश्वास नहीं रहा।इसलिए आपको टीवी चैनलों के द्वारा ही ताज़ा समाचार दे रहा हूँ।उनकी मारक-क्षमता बहुत अधिक है।शांति-काल में बड़ी गंभीर ख़बरें आ रही हैं पर इन्हें गंभीरता से मत ले लेना।’ कहकर संजय मौन हो गए।
धृतराष्ट्र तनिक उत्तेजित होकर बोले, ‘ संजय, तुम्हारी कहानियाँ मेरी समझ में नहीं आ रही हैं ।कभी कहते हो,युद्ध हो रहा है,अगले क्षण शांति-काल की बातें करने लगते हो।असल में हो क्या रहा है ?’
‘ठीक-ठीक तो मुझे भी नहीं पता महाराज ! एक चैनल में युद्ध-विराम की खबर आ रही है,दूसरे में आकाश से ‘द्रोण’ प्रकट हो रहे हैं।इसे आक्रमण माना जाए या शांति-प्रस्ताव,इस विषय पर सोशल मीडिया में विमर्श हो रहा है…।’ कहते- कहते संजय रुक गए।धृतराष्ट्र चौंकते हुए बोले, ‘ अभी-अभी तुमने द्रोण का नाम लिया है।वह तो युद्ध में काम आ गए थे।वह फिर से कैसे आ गए ?’
यह सुनते ही संजय हँस पड़े, ‘ नहीं राजन, मैं गुरु द्रोण की बात नहीं कर रहा हूँ।ये कलियुग के यांत्रिक योद्धा हैं,जो गुप्तचरी के साथ-साथ आक्रमण भी करते हैं।ये हमारे पास भी हैं और शत्रु के पास भी।शत्रु-सेना के कई द्रोण हमने मिट्टी में मिला दिए हैं फिर भी वे रक्तबीज की तरह पैदा हो रहे हैं।’
‘अच्छा संजय ! शत्रु-देश के चैनल देखकर बताओ।क्या वे अधिक डरे हुए हैं ?’ धृतराष्ट्र को इस आधुनिक-युद्ध में और आनंद आने लगा था।संजय ने कहा, ‘ महाराज, उनके यहाँ अलग ही कहानी चल रही है।एंकर स्टूडियो में वीडियो-गेम चलाकर उसे असली युद्ध बता रहे हैं।पब्लिक उनसे अधिक चतुर है ।वह सरकार के भरोसे नहीं बैठी है।रील बना-बनाकर ही हमारी मिसाइलें गिरा रही है।ऐसा युद्ध है जिसमें सब स्वयं को विजयी मान रहे हैं।’
सहसा धृतराष्ट्र सहम उठे। ‘यह राज-प्रासाद क्यों कंपित हो रहा है संजय, क्या शत्रु ने ब्रह्मास्त्र छोड़ा है ?’ नहीं,नहीं राजन ! यह तो हमारे ही चैनल में बैठा एक असैन्य-विशेषज्ञ है, जो अपनी हुंकार से ही स्टूडियो को दहला रहा है।ऐसा प्रतीत हो रहा है कि उसके ‘ध्वनि-विस्फोट’ से ही शत्रु की आधी सेना साफ़ हो जाएगी और दुश्मन ‘पानी’ माँगने लगेगा !’ अचानक संजय चीखने लगे, ‘ महाराज,समाचार फिर से टूट रहे हैं।युद्ध-विराम की घोषणा हो गई है।कोई तीसरा दावा कर रहा है कि उसने ही युद्ध-विराम करवाया है।यह खबर आते ही हमारे चैनलों ने फिर से बमबारी शुरू कर दी है !’
धृतराष्ट्र ने अपना सिर पकड़ लिया।अभी तो आनंद आना शुरू हुआ था,फिर यह कबूतर किसने उड़ा दिया !
संतोष त्रिवेदी