गुरुवार, 4 जुलाई 2013

बयान प्रसाद जी और उनकी झाडू !

Welcome To Jansandesh  Times: Daily Hindi News Paper
04/07/2013  को जनसंदेश में




आज नुक्कड़ पर बयान प्रसाद जी मिले तो उनके हाथ में बड़ा-सा झाड़ू था.मुझे देखते ही वह अपनी झाड़ू लहराने लगे.मैंने उत्सुकतावश पूछा कि कहीं सफ़ाई-अभियान पर निकल रहे हो तो पलट के जवाब दिया,’यह झाड़ू कोई सड़क साफ़ करने या कचरा झाड़ने के लिए नहीं है.यह एक वीआईपी झाड़ू है जो सबके नसीब में नहीं है.इसे पार्टी हाईकमान ने हमें इसलिए दी हुई है कि इसके द्वारा हम जनता का  दुःख-दलिद्दर साफ़ कर सकें.यह देश-सेवा करने का असली लाइसेंस है जिसे आज़ादी के बाद से हाकिम पार्टी ही  निर्गत करती रही है.हम इसके द्वारा हाईकमान-सेवा करते हैं तभी पार्टी में टिकने की अर्हता मिलती है.इसी को दिखा-दिखाकर हम टिकट पाते हैं जिससे हमें जन-सेवा का मौका मिलता है .’

‘पर ऐसी झाड़ू तो बाज़ार से कोई भी ला सकता है ?’बिलकुल अनाड़ी बनते हुए हमने पूछा.बयान प्रसाद जी तुरंत तैश में आ गए और हमारी तरफ झाड़ू फेंकते हुए बोले,’आप क्या समझते हैं,मैं यूँ ही नेता बन गया ? झाड़ू पाना और इसका भरपूर उपयोग करना सबको नहीं आता.यह हमारे हाईकमान के द्वारा दी गई झाड़ू है,जिसे लगा-लगाकर हम इतनी ऊँचाई तक पहुँचे हैं.मैं जब भी पार्टी दफ्तर या अपने हाईकमान के पास जाता हूँ,अपनी झाड़ू साथ रखता हूँ.पार्टी अपने हिसाब से हमारा उपयोग कर लेती है.जो अपनी झाड़ू ज़्यादा बड़ी कर लेता है,उसको उतना ही बड़ा ओहदा मिल जाता है .’

‘क्या यह स्कीम मनरेगा की तरह सर्व-सुलभ है ?दूसरे दलों के नेता इसे क्यों नहीं आजमाते ?’मैंने एक साथ दो सवाल दाग दिए.बयान प्रसाद जी ने झाड़ू एक तरफ रख दी और मेरे कंधे पर हाथ रखकर बड़े आत्मीय स्वर में बोले,’झाड़ू लगाना हँसी-खेल नहीं है.हर दल के नेता बाजारू झाड़ू लिए हुए मिल जायेंगे,पर उन्हें पूछता कौन है.अब अपने नेताजी को ही देखिए,बहुत दिनों से देश पर झाड़ू मारने की फ़िराक में लगे हैं,पर मैं जानता हूँ कि उन्हें अब प्रदेश में भी झाड़ू लगाना नसीब नहीं होगा.हम ठहरे पैदाइशी झाड़ूबाज,इसलिए हम हर कहीं झाडू फेर सकते हैं.हमें ऐसे कामों में शर्म नहीं महसूस होती,जिनसे जन-सेवा की महक आती हो.’

मैंने अपने कंधे से उनका हाथ उठाते हुए जिज्ञासा प्रकट की,’फ़िर नेता जी के सपने का क्या होगा ? क्या झाड़ू न लगा पाने की वजह से वह देश-सेवा से वंचित हो जायेंगे ? सुना है कि प्रदेश में बच्चों को लैपटॉप बाँटकर और आपराधिक मामलों में फँसे निरीह मतदाताओं के मामले वापिस लेकर चुनाव के समय अपनी झाड़ू से बटोर लेंगे ?’ बयान प्रसाद जी ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे .जब उनकी हँसी रुकी तो बोले ,’भाई ! नेता जी ने फ़िलहाल हमारे हाईकमान के यहाँ बड़ी झाड़ू पाने की दरख्वास्त लगा रखी है,पर यह उनका दिवास्वप्न ही है.हमारे यहाँ जो भी कार्यकर्त्ता हैं,हाईकमान के लिए काम करते हैं और वो बड़े पद की ओर आँख उठाकर भी नहीं देखते.रही बात नेता जी की ,सो वह छोटी-मोटी सफ़ाई ही करते रहें.बड़ी सफ़ाई करने की योग्यता उनमें नहीं है.मैं इसीलिए तो उनकी झाड़ू फेंक आया हूँ.’

इतना कहकर बयान प्रसाद जी ने सामने पड़ी झाड़ू उठाई और मुझसे माफ़ी मांगते हुए कहा कि उनको हाईकमान ने बुलावा भेजा है और वह झाड़ू लेकर वे वहीँ जा रहे हैं.

कोई टिप्पणी नहीं:

धुंध भरे दिन

इस बार ठंड ठीक से शुरू भी नहीं हुई थी कि राजधानी ने काला कंबल ओढ़ लिया।वह पहले कूड़े के पहाड़ों के लिए जानी जाती थी...