रविवार, 8 अप्रैल 2018

नायक हमेशा निर्दोष होते हैं !

दिन भर एक ज़रूरी काम में उलझा रहा।इतना कि सोशल मीडिया भी नहीं झाँक सका।घर पहुँचा तो एक गिलास पानी पीकर ग़लती से न्यूज़ चैनल खोल दिया।यह क्या ! यहाँ तो हाहाकार मचा हुआ था।भाईजान को ‘एक हिरन’ मारने पर जेल हो गई थी।न्यूज़-रूम में विशेषज्ञ पानी पी नहीं रहे थे,बल्कि वह उनकी आँखों से स्वाभाविक रूप से बह रहा था।मुझे पहली बार अपने असंवेदनशील होने का एहसास हुआ।क़ाश,मैंने घर आकर एक गिलास पानी न पिया होता ! मैं चाहकर भी अब ‘राष्ट्रीय-विलाप’ का हिस्सा नहीं बन सकता था।एक और ज़रूरी राष्ट्रीय-कर्तव्य से मैं चूक गया था।इस ‘गिल्ट’ से मैं छटपटाने लगा।मुझे हल्की-सी उम्मीद सोशल मीडिया से लगी।चैनल छोड़कर वहाँ घुसा तो वज्रपात-सा हुआ।रुदन का स्वर वहाँ और तेज था।हमारे अधिकतर मित्र कई घंटे पहले भाईजान के ग़म में ग़लत हो चुके थे।वहाँ कोई ‘स्कोप’ न देखकर वापस मुख्य-धारा में कूद पड़ा।

सबसे तेज़ चैनल पूरी गणना के साथ चेता रहा था कि शेयर बाज़ार भले छह सौ अंक ऊपर चढ़ा हो पर भाई को मिली सज़ा से छह सौ करोड़ रुपए स्वाहा हो जाएँगे।शायद इतनी महत्वपूर्ण जानकारी फ़ैसला सुनाने वाले जज साहब को समय रहते दी गई होती तो राष्ट्र इतने बड़े संकट में न फँसता।देश को हमेशा इस बात का मलाल रहेगा कि चैनल के समझदार एंकर के होते हुए ‘भाई’ ने ग़लत वक़ील क्यों चुन लिया ! वार्ता में शामिल सभी विशेषज्ञ बेहद चिंतित दिख रहे थे।ये वही जानकार थे,जो नोटबंदी के नुक़सान का ठीक-ठीक अनुमान आज तक नहीं लगा पाए थे पर एक अभिनेता के जेल जाने पर सौ तरह के नफ़ा-नुक़सान गिना रहे थे।इनके लिए छह सौ करोड़ की रक़म तो बड़ा शुरुआती आकलन था।यह चपत और बढ़ सकती है।भाईजान अगर जेल में ही पाँच साल बने रहे तो कइयों का कैरियर हमेशा के लिए क़ैद हो जाएगा। यह फ़ैसला दस नहीं कइयों का दम घोट देगा।एक घुटा हुआ विश्लेषक तो बड़ी दूर की कौड़ी ले आया।कहने लगा-अब अभिनेता के घर गणपति-बप्पा कैसे बिराजेंगे ?साम्प्रदायिक-सौहार्द पर बड़ी चोट है यह निर्णय।एक हिरन के लिए हम इतना नुक़सान नहीं उठा सकते।वह ‘टाइगर’ की गोली से नहीं मरता,तो भी शिकार तो वह टाइगर का ही होता ! सरकार को इस पर आवश्यक दख़ल देना चाहिए।ज़रूरत पड़े तो मामले को संविधान-पीठ को भी सौंपा जा सकता है।’

इतनी गंभीर तक़रीर सुनकर मैं भावुक हो गया।ज़्यादा देर यहाँ रुकता तो ख़ुद के असंवेदनशील होने का अहसास लगातार दूसरी बार हो जाता। और भावुक होता,इससे पहले ही चैनल बदल लिया।यह एक सरोकारी चैनल था।इस गिरफ़्तारी से निकले सरोकार बटोरने के लिए एंकर ख़ुद नायक के आवास पर पहुँच गई थी।उसने कैमरामैन से कहा कि वह अपने कैमरे की दृष्टि से नायक के आवास के इर्द-गिर्द छाए अँधेरे को दिखाए।जैसा कि दर्शक देख सकते हैं कि यहाँ कितना अँधेरा पसरा हुआ है ! माफ़ करना, यह अँधेरा आप खुली आँखों से नहीं देख सकते।इसके लिए आपको अपने मन की आँखें खोलनी होंगी।आइए,हम इस काम में आपकी मदद करते हैं।ये जो घर के सामने अभिनेता के चाहने वालों की भीड़ जुटी है,सब उनके लिए दुआ कर रहे हैं।ये जो उठे हुए हाथ आप देख रहे हैं,भले ही रोज़गार से ख़ाली हों,पर दुआओं से लबालब हैं।थोड़ी देर पहले  मैंने इनकी प्रतिक्रिया ली है पर वे दृश्य आपको विचलित कर सकते हैं।हम एक ज़िम्मेदार चैनल हैं।इस नाते ‘विचलित’ होने का काम हम स्वयं कर लेते हैं पर आपको दिखाएँगे नहीं। कृपया यहीं हमारे साथ बने रहें’।

उसके इतने आग्रह के बावजूद मैं अपना ‘विचलन’ रोक नहीं पाया।तीसरे चैनल को खोला तो कुछ राहत मिली।वहाँ इस फ़ैसले पर पड़ोसी-देश की ताज़ा प्रतिक्रिया आ रही थी कि अभिनेता को उसके कर्म के लिए नहीं धर्म के लिए सज़ा मिली है।सुनकर दिल को तसल्ली हुई कि दहशत-गर्द वाले देश में अभी भी हास्य-बोध ख़त्म नहीं हुआ है।वहाँ के हुक्मरान अपनी जनता का ख़ूब अच्छे से ख़याल रख रहे हैं।एक हम हैं जो अपने नायक को मिली सज़ा के लिए ढंग से अफ़सोस भी नहीं ज़ाहिर कर पा रहे हैं।इस अपराध-बोध के चलते हमने तुरंत चैनल बदल दिया।

इस चैनल में नायक की मानवता और उदारता के इक्यावन क़िस्से बताए जा रहे थे।मुझे अफ़सोस हुआ कि पहले ही क्यों नहीं यहाँ आ गया ! ‘बैडबॉय’ से ‘भाईजान’ बन जाने का रोचक सफ़र चल रहा था।न जाने कितनी फुस्स नायिकाओं का कैरियर भाईजान ने सँवारा था।मुझे तो लगने लगा कि हो न हो,भाई ने इस एंकर को भी अपनी दरियादिली का सबूत दिया हो।इस बीच न जाने कब मुझे जम्हाई आ गई।आँख खुली तो देखा कि वही हिरन मेरे सामने खड़ा था।उसका मुझसे भी बुरा हाल था।उसे अपने ऊपर ग्लानि हो रही थी।मैंने उसे सांत्वना दी।वह एकदम से सिसक उठा-‘मैं क्यों ऐसे ‘पुण्यात्मा’ की गोली के रास्ते में आ गया ? मेरी नादानी की वजह से आज सारा राष्ट्र शोक में है।हम आत्मोत्सर्ग के लिए ही पैदा होते हैं।जंगल के टाइगर से बच भी गए तो शहर के ‘टाइगर’ हमें मुक्ति प्रदान करते हैं।ऐसे में भाईजान कहाँ से दोषी हो गए ! मैं स्वयं इस बात की गवाही देने जा रहा हूँ।’

तभी सारे चैनल न्यूज़ ‘तोड़ने’ लगे-भाईजान को ज़मानत मिल गई है ! 



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