सोमवार, 14 जनवरी 2013

भक्त बनो या भुगतो !

जनवाणी में १८/०१/२०१३ को

१४/०१/२०१३ को 'मिलाप' में


प्यारे भक्तों
आप सब लोग बड़े खुशनसीब हैं जो हमारे पंडाल के अंदर हैं।यहाँ आते ही हमारा प्रभा-मंडल आप सबकी रक्षा अपने आप करने लगता है।आप सबको दिल्ली की लड़की के साथ हुए अत्याचार से सबक लेना होगा।उसकी सबसे बड़ी कमी यही रही कि उसने समय रहते हमसे दीक्षा नहीं ली,नहीं तो ऐसा देशव्यापी हाहाकार मचता ही नहीं।हम इसीलिए तो पूजे जाते हैं कि हमारे पास आकर पुरुष ही नहीं ,महिलाएं भी निर्भया हो जाती हैं।हमारी थोड़ी-सी दक्षिणा को लेकर मीडिया और कुछ अति-बुद्धिजीवी लोग हो-हल्ला मचाते रहे हैं,पर हाल की घटना ने दिखा दिया है कि थोड़ी जेब ढीली करने पर हम कितना बड़ा अभयदान दे देते हैं।

वह नादान लड़की अगर हमारी दीक्षा लिए हुए होती तो ,जितने भी दरिंदे वहाँ शराब पिए हुए थे,उनका नशा हिरन हो जाता।अगर फ़िर भी शराब ज़ोर मारती तो बस वो एक दरिंदे का हाथ पकड़कर अपने खुले हुए मुँह से ज़रा मीठे सुर में भइया कह देती ,यकीन मानिये,वह उस लड़की के पैरों पर गिर पड़ता और बाकियों को भी उसका बाप या भाई बना देता।अगर वह हमसे गुरु-मन्त्र लिए होती तो उसके दोस्त की भी मदद की उसे ज़रूरत नहीं पड़ती।अव्वल तो वह जब उस ऑटोवाले से कहती कि भइया ,हमें हमारे घर तक छोड़ दो,तो वह मना ही नहीं कर सकता था।इसके लिए ऑटोवाले को हमसे दीक्षित होना ज़रूरी नहीं है क्योंकि यह मंतर केवल अबलाओं और असहायों पर ही काम करता है।

हम तो बहुत पहले से सरकार से यह कहते आ रहे हैं कि वह सभी लोगों को हमारे प्रवचन सुनने का प्रबंध करे,ताकि उनका हर प्रकार की समस्याओं से बचाव हो सके।नेता और अपराधी इस भोली और मूरख जनता से ज़्यादा समझदार हैं,जिन्होंने हमसे लंबी अवधि का पैकेज ले रखा है।वही नेता और अपराधी आज कष्ट भोग रहा है जो हमारी शरण में नहीं आया है।हमारे मंतर का असर है कि हर नेता व्यभिचार या भ्रष्टाचार से अब तक पूरी तरह बचा हुआ है।आप लोग रिकॉर्ड उठाकर देख लीजिए, व्यभिचारी और भ्रष्टाचारी चिल्ल-पों के बावजूद, सभी नेता और बाबा ,अपना-अपना तम्बू गाड़े हुए सुरक्षित हैं।

आज हम आपको हम यह नुस्खा भी बता रहे हैं कि जो लोग भ्रष्टाचार से निपटने के लिए लोकपाल-लोकपाल चिल्ला रहे हैं,उनको केवल हमारा गुरुमंत्र याद रखना होगा।एक बार की थोड़ी-सी धनराशि में यह गुरुमंत्र हमारे सभी भक्तों के लिए सभी पंडालों में उपलब्ध है।इसे ग्रहणकर कोई भी भक्त जब किसी कार्यालय में जाए तो बाबू का हाथ पकड़ कर भइया कह दे,बस इत्ते से ही उसका हाथ गरम हो जायेगा और उसका काम तुरत हो जायेगा।इसी तरह जब किसी भक्त का पुलिसवाले से साबका पड़े तो बस उसको  उसे भइया कहने की ज़रूरत है।इतना कहते ही वह उसके गले पड़ जायेगा,हम इसकी गारंटी देते हैं।इस तरह हमसे दीक्षित और संस्कारित भक्त भ्रष्टाचार और व्यभिचार से मुक्त रहेगा।

हम बाबा लोग तो इस समाज की सेवा करने का संकल्प लिए हुए हैं और हम आप सबको आश्वस्त करते हैं कि इस काम में हम कोई कोताही नहीं बरतेंगे।अब इस देश को नेताओं और बाबाओं के ही संकल्पों की ज़रूरत है।जब नेताओं पर कोई मुसीबत आती है तो हम अपना मंतर पढ़ देते हैं और मीडिया हमारी ओर भागता है,इसी तरह जब हमारी मुसीबत आती है तो नेता कुछ कर देते हैं।इस तरह हमारा देशहित में हमारा आपसी मेलजोल चलता रहता है।बस,जय बोलो राम जी की ! 

 DLA में २३/०१/२०१३ को प्रकाशित 

1 टिप्पणी:

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

इसको पढ़कर जय हो! बोलना पड़ेगा।

अनुभवी अंतरात्मा का रहस्योद्घाटन

एक बड़े मैदान में बड़ा - सा तंबू तना था।लोग क़तार लगाए खड़े थे।कुछ बड़ा हो रहा है , यह सोचकर हमने तंबू में घुसने की को...