06/09/2013 को 'नई दुनिया' को !
अंकल सैम एक बार फ़िर से दुनिया में शांति स्थापित करने पर आमादा हैं। बहुत
दिनों से उन्हें इस तरह के काम का इंतज़ार था,पर लोग उन्हें मौका ही नहीं दे रहे थे।
वे शांति-स्थापना के लिए इतने प्रतिबद्ध हैं कि बिना किसी के गुहार लगाये ही उसकी
कामना पूरी कर देते हैं। इसका उन्हें काफ़ी लम्बा अनुभव है। अभी हाल ही में
अफगानिस्तान,ईराक आदि देशों में वे उजाड़ खंडहरों जैसी शांति स्थापित कर चुके हैं। अपने
देश का वर्तमान और भविष्य सुधारने के लिए उन्होंने पुरानी सभ्यताओं को अतीत का
हिस्सा बना दिया। कहीं से कोई प्रतिरोध नहीं हुआ,इसलिए अंकल सैम निश्चिन्त हो गए
कि चौतरफ़ा शांति छा गई। अब कुछ सिरफिरों ने सीरिया में सिर उठाया है तो अंकल सैम
कैसे चुप बैठ सकते हैं ?
अंकल सैम कोई सामान्य बुद्धि वाले व्यक्ति नहीं हैं। वे अपने सब निर्णय नाप-तौल
कर लेते हैं। दुनिया के दूसरे हिस्सों में भले ही आर्तनाद हो रहा हो,पर वे अपनी
आत्मा की आवाज़ पर ही सक्रिय होते हैं। उनके पास मित्रों की कमी नहीं है क्योंकि वे
डॉलर वाले मुल्क के नेता हैं। उनकी मुद्रा के आगे रूपया पानी और दिरहम तेल भरता है।
इसलिए उनके मुख से निकली हर बात पर दर्जनों गरदनें सहमति में सिर हिलाती हैं। वे
अपना भला और दूसरे का बुरा अच्छी तरह समझते हैं। यही वजह है कि इस ग्लोबल दुनिया
के वे अकेले थानेदार हैं। वे बिना रपट लिखवाये फैसला देते हैं और रपट लिखवाने पर
गहरी नींद में चले जाते हैं।
अंकल की मिसाइलें इतनी ताकतवर हैं कि हमारे जैसे देश के लोगों को तो
छोड़िये,बाज़ार तक सहम जाते हैं। उन्होंने केवल अपने मित्र के साथ मिसाइल का परीक्षण
भर किया कि हमारे दलाल-पथ में सन्नाटा छा गया और रुपया टके के भाव हो गया। सोचिये,जब
ऐसी शक्तिशाली मिसाइल वास्तविक रूप से छोड़ी जायेगी तो उसकी मार कहाँ-कहाँ असर
करेगी ? दिखने में तो उनकी मिसाइलें दुश्मनों के खेमे पर चलती हैं पर उनकी
मारक-क्षमता से कई देशों की अर्थ-व्यवस्थाएं ज़मीदोज़ हो जाती हैं। कहावत है कि कुछ
पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है,पर यहाँ बिना कुछ खोये सब पाना निश्चित है। यह बात
वे अपनी जनता को हर बार समझा देते हैं।
अब जब सभी मित्र देशों की सहमतियाँ मिल गई हैं,समर्थन के रुक्के अंकल सैम की
जेब में आ गए हैं,किसी भी क्षण वे शांति-बहाली के लिए अपने मिसाइल की बटन दबा सकते
हैं। अंकल सैम दुनिया के एकमात्र ऐसे उदाहरण हैं जो स्वयं शिकायत का संज्ञान लेते
हैं और स्वयं जांचकर फैसला भी सुना देते हैं। बाकी दुनिया श्रद्धा-भाव से उनके
प्रवचन सुनती है और अमल भी करती है। अंकल सैम ने अपने यहाँ आतंकवाद तो खत्म किया
ही और कई देशों को भी उपकृत किया। उनकी इस परोपकारी भावना से प्रभावित होकर हमने
भी दो-तीन बार चिट्ठियां भेजीं,पर हमें प्रसाद की जगह ‘गोली’ दी गई। उसी गोली को
हम पानी के साथ लगातार गटक रहे हैं।
फ़िलहाल,सीरिया में शांति बरसने वाली है। वहाँ के बच्चे-बूढ़े तो अभी से इसका अहसास
करने लगे हैं। हमारे बाज़ार ने पसरकर इसका संकेत दे दिया है,जल्द ही समूची दुनिया अंकल
के अमन की जद में होगी।
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शुक्रवार, 6 सितंबर 2013
अंकल सैम का अमन-चैन !
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1 टिप्पणी:
हुइये वही जो यूएस चाहा..
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