गुरुवार, 11 जून 2015

फर्जी डिग्री से भली क़यामत !

एक कानून मंत्री को कानून की फर्ज़ी डिग्री के आरोप में धर लिया गया है।यह खबर महत्वपूर्ण इसलिए है कि वे ईमानदार खेमे से आते हैं।उनसे ऐसी उम्मीद तो बेईमानों को भी नहीं रही।डिग्री फर्ज़ी हो सकती है पर लेने वाला आदमी तो नहीं,ख़ासकर जब वह मंत्री हो।इस तथ्य की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
कहते हैं कि जब कोई सही काम करता है तो पूरी कायनात उसके साथ हो जाती है।यही दिल्ली पुलिस के साथ हुआ है।फर्ज़ी डिग्री के इस मामले में यदि ज़रा-सी देर हो जाती तो बंगाल की खाड़ी से भयंकर तूफ़ान उठ सकता था या मुंबई के समुद्र तट में ज्वार-भाटा कहर ढा सकता था पर समय रहते देश के गृह मंत्रालय ने एहतियात बरती और कोई अनहोनी न हुई।
इस सारे मामले में दिल्ली की ‘चुनी’ हुई सरकार की गलती है।उसे केन्द्र ने थोड़े दिन पहले ही लिखकर बता दिया था कि उसके पास कोई अधिकार नहीं हैं,फ़िर फर्जीवाड़ा करने का अधिकार उसे कैसे मिल जाता ? यह सब तो केन्द्र के पास सुरक्षित है।यही बात समझने में दिल्ली की सरकार चूक गई,ठीक वैसे ही जैसे केन्द्र में सत्तारूढ़ पार्टी दिल्ली में सरकार बनाने से चूकी।
दिल्ली में सरकार चलाने वाले बहुत ही नादान हैं।उन्हें पता होना चाहिए कि सरकार चलाने के लिए केवल वोट पाना ही ज़रूरी नहीं होता।केन्द्र की सरकार कितने मजे से चल रही है या कहिये ख़ूब टहल रही है,पर उसने राष्ट्रवादी चोला ओढ़ रखा है।ऐसे में उसका हर मंत्री बेदाग़ है।डिग्रियों की पड़ताल तो उनकी होती है जो दावा करते हैं कि पढ़े-लिखे हैं और ईमानदार हैं।ये दोनों बातें एक साथ सही नहीं हो सकतीं।यहाँ यह ज़रूरी नहीं है कि आपने डिग्री येल से ली है या तिलका-मांझी से,बल्कि ज़रूरी ये है कि समन्दर में डुबोने की ताकत किसके पास है !
कानून अपना काम कर रहा है और आगे भी करेगा।सांसद और मंत्री खुलेआम देश-निकाला दे रहे हैं ,घरवापसी का आह्वान कर रहे हैं पर इससे संविधान को मजबूती मिलती है।फर्ज़ी डिग्री से तो कानून और देश के कमजोर हो जाने का खतरा बन गया था,इसलिए कार्रवाई करनी ज़रूरी थी।आदमी की जान का क्या है;उसे तो मरना ही है,चाहे कोई जलाकर मारे या समंदर में डुबा के !

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