शुक्रवार, 10 जून 2016

सेंसर बोर्ड की कैंची और उड़ता विवाद

फिल्म सेंसर बोर्ड ने गज़ब का सेंस दिखाया और सही समय पर उसने कैंची उठा ली।नब्बे से एक कम कट मारकर बोर्ड ने ‘उड़ता पंजाब’ को हवा में उड़ा दिया।हमने ‘उड़ती खबर’ और ‘उड़ता मजाक’ तो सुना था,पर कोई राज्य उड़ता हो,कभी नहीं सुना।माना कि देश बदल रहा है पर इतना भी नहीं कि एक खुशहाल और समृद्ध राज्य को आप सोलह रील की फिल्म बनाकर दो घंटे में उड़ा दें।इसलिए कई दूरगामी परिणामों को ध्यान में रखते हुए ’उड़ता पंजाब’ पर बोर्ड को गहरी आपत्ति है।बात को बवाल बनते आजकल देर नहीं लगती।इन दो लफ़्ज़ों की कहानी को ट्रेंड बनाकर आगे चलकर न जाने किस-किसको उड़ाया जा सकता है ! यह बात बोर्ड के अलावा कोई नहीं समझ सकता।

कल को कोई सिरफिरा ‘उड़ता पीएम’,‘उड़ता बादल’ जैसे निरर्थक शब्दों तक पहुँच सकता है।इससे कितने नुकसानदेह परिणाम निकल सकते हैं,इसका अंदाज़ा हमारे जागरूक बोर्ड को पहले से है।छोटी-सी बात का कितना बड़ा अफ़साना बन सकता है,यह फिल्म वालों से बेहतर कौन जानता है ? सूखे के मौसम में पानी से लदे-फंदे बादल अगर हवा में यूँ ही उड़ जाएँ तो यह बेहद चिंता की बात है।आने वाले चुनावों में केवल फिल्म के नाम से ही सत्ता-दल की संभावना उड़ सकती है।और किसी भी संभावना का नष्ट होना सबसे बुरा होता है।यह है,तो जीवन है।इसलिए सेंसर बोर्ड ने ऐसा करके कई लोगों के जीवन की रक्षा की है।

फिल्म के निर्माता,निर्देशक इस कदम का विरोध कर रहे हैं।उनका कहना है कि वे इसके माध्यम से राज्य से गांजा,अफीम,चरस जैसे नशों को उड़ा रहे हैं।इसका विरोध करने वाले कह रहे हैं कि इससे राज्य की गरिमा,इज्जत और खुशहाली उड़ जाएगी।फिल्म बनाने वालों को यहाँ तक भरोसा है कि जैसे ही लोग उनकी यह फिल्म देखेंगे,उनका देखने तक का नशा काफूर हो जाएगा।निर्देशक का कहना है कि फिल्म की खासियत है कि इसमें ईमानदारी कूट-कूटकर भरी है।इसका सबूत तब और मिला जब ‘ईमानदार पाल्टी’ ने विवादित गुब्बारे में हवा भरनी शुरू कर दी।अब यह हवा फिल्म को हिट करती है या चुनाव को,समय बताएगा।



फ़िलहाल,हवा में विवाद उड़ रहा है।बोर्ड अध्यक्ष का कहना है कि फिल्म निर्देशक अफवाह उड़ा रहे हैं।इस सबसे यह तो जाहिर है कि इसमें ‘उड़ता’ शब्द को कोई नहीं उड़ाना चाहता।अब या तो ‘पंजाब’ उड़े या बोर्ड की कैंची,इसमें एक का उड़ना तय है।

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