बुधवार, 20 फ़रवरी 2013

मोहे लालकिला पहुँचा दो !



 
 
 
२०/०२/२०१३ को जनसंदेश में !
 
प्यारे कार्यकर्ताओं !
प्रदेश की गद्दी हाथ से जाने के बाद से ही मेरे दिल में अजीब-सी छटपटाहट महसूस हो रही है,पर आप सबको नाहक परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। बस,सही समय का इंतज़ार है। अभी प्रदेश में सत्ता पाने का समय बहुत दूर है,यहाँ तक कि अभी इसका स्वप्न भी नहीं आ रहा है। हमने पिछले साल संसद में कोशिश की थी कि पदोन्नति में आरक्षण दिया जाए पर कुछ बहुजन-विरोधी ताकतों ने एक षड्यंत्र के तहत उसे कानून नहीं बनने दिया। उन सभी को आशंका थी कि इससे कहीं उनके अपने हित न प्रभावित हों। अगर ऐसा हो जाता तो एक मुख्यमंत्री की पदोन्नति आसानी से प्रधानमंत्री पद पर हो सकती थी,पर अब हमें इसे पाने के लिए सीधे मैदान में उतरना होगा।
अबकी बार आनेवाले लोकसभा चुनावों में हमें प्रधानमंत्री पद हथिया लेने की भीषण सम्भावना प्रतीत हो रही है। जहाँ हमारे मुख्य विरोधी पुत्र को प्रदेश का राज थमाकर अपने लिए देश के प्रधानमंत्री पद का ख्वाब देख रहे हैं,वहीँ हमारे सभी सहयोगी बिलकुल बेरोजगार हो गए हैं। इन लोगों को ऐसा करते हुए तनिक भी लिहाज़ नहीं है। अगर एक दलित, ख़ासकर महिला, इस देश की प्रधानमंत्री बन जाए,तो मान्यवर का सपना पूरा हो जायेगा,पर विरोधी शक्तियाँ इस नेक काम को रोकने के लिए एक हो गई हैं। हम ऐसा हरगिज़ नहीं होने देंगे कि कोई प्रदेश और देश दोनों जगह अपनी दावेदारी ठोंके और हम यूँ ही हाथ पर हाथ धरे बैठे रहें। हाथ के साथ रहने से जो मिलना था,वह भी तो नहीं मिल पाया क्योंकि न्यायालय ने फ़िर से हमारे मामलों को खोलने का फरमान जारी कर दिया है।
हम लालकिले की प्राचीर पर चढ़ना चाहते हैं और यह सब अब हाथ के सहारे नहीं,हाथी पर सवार होकर ही संभव होगा। इसलिए आप सब अगर समाज की भलाई और हमारे लिए मलाई चाहते हो तो लोगों के बहकावे में नहीं आयें। हमारे प्रतिपक्षी चुनावों तक खूब सक्रिय रहेंगे। इसके लिए वे डायरेक्ट कैश या लैपटॉप का लॉलीपॉप देने की कोशिशें कर रहे हैं,पर आप सब इनके बहकावे में न आइयेगा। आप तो जानते ही हैं कि हम सत्ता से बाहर रहते हुए वैसे ही खस्ताहाल हैं। ऐसे में हम अपनी गठरी को थैली बनाने का जोखिम नहीं ले सकते हैं। इसलिए आपसे अपील है कि अगले चुनाव में हमारे सिवा किसी अन्य के झांसे में न आयें। हम बहुजन हितों के लिए लालकिले को नीला करना चाहते हैं और यह हम आपके दम पर करके दिखायेंगे।
इस बार प्रधानमंत्री पद मिल जाना असंभव नहीं है। हमें इसके लिए बहुमत की भी चिंता नहीं करनी है। जहाँ हाथ वाले युवराज इस पद को लेकर अनमने हैं वहीँ दूसरे लोग मोदी और गैर-मोदी राग अलाप रहे हैं। हमने अगर लोकसभा में पचास सीटें भी हथिया लीं तो पांच सौ पैंतालीस के सदन में हमारी लॉटरी लग सकती है। इसलिए आप सब मिलकर जुट जाएँ और हमारी अंतिम मनोकामना पूरी करने में सक्रिय सहयोग करें। सच मानिये,मैं जब लालकिले की प्राचीर से ,बुलट-प्रूफ शीशे से अपना वक्तव्य दूँगी,हर शोषित और दलित खुशहाल हो जायेगा। मैं मंत्रिमंडल में अपने पुराने सहयोगियों की पहले की सेवाओं को देखते हुए,उनका भी पुनर्वास करूँगी। रही बात जनता की,तो जो पैंसठ सालों से अब तक सही-सलामत है,कौन-सा मेरे कार्यकाल में मर-खप जायेगी ??


 DLA में २८/०२/२०१३ को !

1 टिप्पणी:

वाणी गीत ने कहा…

पैनी धार है कलम की !

अनुभवी अंतरात्मा का रहस्योद्घाटन

एक बड़े मैदान में बड़ा - सा तंबू तना था।लोग क़तार लगाए खड़े थे।कुछ बड़ा हो रहा है , यह सोचकर हमने तंबू में घुसने की को...